गॉल: अभिनव मुकुंद को भारतीय टेस्ट टीम में वापसी करने में छह साल लग गये. लेकिन बतौर ओपनर बल्लेबाज उनके स्थान की अब भी गारंटी नहीं है. इन सबके बाद भी मुकुंद वर्तमान में रहना पसंद करते हैं और बीते समय या भविष्य के बारे में सोचने के बजाय टीम के लिये योगदान देने पर ध्यान लगा रहे हैं.



पहले टेस्ट की दूसरी पारी में मुकुंद ने 81 रन बनाए, यह उनके 2011 में डोमिनिका में वेस्टइंडीज के खिलाफ 62 रन के पिछले सर्वश्रेष्ठ प्रयास के बाद उनका दूसरा टेस्ट अर्धशतक है.



मुकुंद इस साल के शुरू में आस्ट्रेलिया सीरीज के बाद भारतीय टीम का हिस्सा रहे हैं. लेकिन शिखर धवन के पहली पारी में बनाये गये 190 रन और मुरली विजय या केएल राहुल की संभावित वापसी से टीम में उनके स्थान पर संशय बन गया है.



मुकुंद ने कहा,‘‘मेरे पास इस टेस्ट में कुछ करने का मौका था. मैं आगे के बारे में या अगले टेस्ट के बारे में नहीं सोचना चाहता. पहली पसंद के सलामी बल्लेबाज या दूसरे विकल्प के सलामी बल्लेबाज बनने से कोई अंतर नहीं पड़ता. जब आपको क्रीज पर खेलने का मौका मिलता है तो... मैं उसका फायदा उठाना चाहता हूं. मैंने यही सोचा.’’ 



उन्होंने कहा,‘‘ऐसा भी समय था, मैं इसके बारे में काफी ईमानदार हूं कि मुझे सफेद कपड़े पहनने में भी दिलचस्पी नहीं होती थी. मैं किसी टीम का हिस्सा नहीं था, मैं किसी प्रथम श्रेणी टीम का हिस्सा नहीं था. ऐसा भी समय था जब मुझे अपनी ही प्रथम श्रेणी टीम से बाहर कर दिया गया था. इस भारतीय टीम का हिस्सा होने का मौका मिला एक तरह से बड़ा बोनस था. मैं प्रत्येक मैच को मौके की तरह ले रहा हूं, बस. अगर मैं टीम का हिस्सा हूं या टीम का हिस्सा नहीं हूं, फिर भी मैं अपना सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश करूंगा.’’ 



तमिलनाडु के इस सलामी बल्लेबाज ने कहा कि वापसी के बाद टीम के सदस्य काफी सहयोगी रहे.



उन्होंने कहा,‘‘सहयोगी स्टाफ और सीनियर खिलाड़ियों ने मुझे काफी सहज महसूस कराया. मैं जूनियर स्तर पर विराट कोहली और रविंद्र जडेजा और इनमें से काफी खिलाड़ियों के साथ काफी खेला हूं. मुझे लगता है कि माहौल ही ऐसा है कि आप ड्रेसिंग रूप में सहज महसूस करते हो.’’