U19 World Cup 2024: कोविड के दौर में पिता और भाई ने खोई नौकरी, क्रिकेट करियर बचाने के लिए बेचा प्लॉट; आदर्श सिंह की कहानी
Adarsh Singh: अंडर-19 वर्ल्ड कप में आदर्श सिंह ने भारतीय टीम को अपने पहले मुकाबले में जीत दिलाई. इस खिलाड़ी को यहां तक पहुंचाने के लिए उनके पिता को कोविड के दौर के बाद अपना प्लॉट बेचना पड़ा था.
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Adarsh Singh Cricketing Journey: अंडर-19 वर्ल्ड कप 2024 में टीम इंडिया ने अपने पहले मुकाबले में बांग्लादेश को पटखनी दी. भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 7 विकेट गंवाकर 251 रन बनाए, जवाब में बांग्लादेश की टीम महज 167 रन पर ढेर हो गई. इस मुकाबले के 'प्लेयर ऑफ दी मैच' आदर्श सिंह रहे. उन्होंने टीम इंडिया के लिए बतौर सलामी बल्लेबाज 96 गेंद पर 76 रन की पारी खेली. शुरुआती दो विकेट जल्द गिरने के बाद कप्तान उदय शरण के साथ मिलकर उन्होंने ही भारतीय पारी को संभाला.
आदर्श ने बेहद ही संयम के साथ यह पारी खेली. उन्होंने अपनी 76 रन की पारी में महज 6 चौके लगाए. उन्होंने ज्यादातर रन सिंगल लेकर बनाए. मुश्किल परिस्थियों में भारतीय टीम को ऐसी ही पारी की दरकार थी. आखिर में आदर्श की इस पारी ने भारत को जीत दिला दी. इसके ठीक बाद आदर्श के क्रिकेटिंग करियर का सफर खोजने की कोशिश हुई तो एक बेहद ही भावुक किस्सा सामने आया.
आदर्श वर्तमान में 18 साल के हैं. कोविड के दौर में वह 14-15 साल के थे और अंडर-16 क्रिकेट खेलते थे. यह दौर ऐसा था जब भारत में सब कुछ ठप पड़ा हुआ था. लाखों की संख्या में लोग बेरोजगार हो गए थे. इनमें आदर्श के पिता और भाई भी शामिल थे. कोविड के दौर में इन दोनों की नौकरियां जा चुकी थी.
मां की सैलरी पर चलता था घर खर्च
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि आदर्श के पिता एक चीनी ज्वेलरी शॉप में काम करते थे और उन्हें 25000 रुपए प्रति महीना तंख्वाह मिलती थी. वहीं, आदर्श के भाई हाई स्कूल के बच्चों को प्राइवेड ट्यूशन देते थे. कोरोना के वक्त जब इन दोनों की नौकरी चली गई, तब घर का खर्च केवल आदर्श की माताजी की सैलरी पर चलता था. वह आंगनवाड़ी कार्यकर्ता थी. यानी घर में सिर्फ इतना पैसा आता था कि केवल घर खर्च निकाला जा सके.
प्लॉट बेचकर बरकरार रखा बेटे का सपना
तंगी के इस दौर में आदर्श को क्रिकेटर बनाने का सपना पूरा होते देखना उनके पिता के लिए मुश्किल हो गया था. ऐसे में अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने के लिए उन्होंने अपने एक प्लॉट को बेचकर पैसा बैंक में आदर्श के नाम पर रख दिया ताकि उनके क्रिकेटर बनने के सफर में कोई बाधा न आए. अब जब आदर्श ने अंडर-19 वर्ल्ड कप के पहले मुकाबले में भारत को जीत दिलाई है तो निश्चित तौर पर उनके पिता का यह त्याग सफल होते नजर आ रहा है.
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