वो अफगानी जिसे टीम इंडिया में खिलाने के लिए लहराए गए 'नो दुर्रानी-नो मैच' के स्लोगन
14 जून यानि क्रिकेट जगत के इतिहास का एक सुनहरा दिन. जी हां, आज से टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले देशों की संख्या 12 हो गई है क्योंकि अब से अफगानिस्तान भी टेस्ट प्लेइंग नेशन बन गया है.
नई दिल्ली: 14 जून यानि क्रिकेट जगत के इतिहास का एक सुनहरा दिन. जी हां, आज से टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले देशों की संख्या 12 हो गई है क्योंकि अब से अफगानिस्तान भी टेस्ट प्लेइंग नेशन बन गया है.
आज से बेंगलुरू के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में अफगानिस्तान, भारत के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेल रहा है. इस मुकाबले में भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी चुनी और भारतीय बल्लेबाज़ों ने मेहमान टीम को ये बता दिया कि टेस्ट क्रिकेट में उनका सफर आसान नहीं रहने वाला.
भारतीय बल्लेबाज़ शिखर धवन, मुरली विजय और केएल राहुल ने शानदार बल्लेबाज़ी कर पूरी दिन अफगानी गेंदबाज़ों का टेस्ट लिया. लेकिन आज से 58 साल पहले ही एक ऐसा अफगानी भारत आया था. जिसने करोड़ों भारतीयों के दिलों में अपनी ऐसी जगह बनाई जो भूले नहीं भूलती. आइये आपको सीधे बताते हैं कि आखिर क्या है भारत में इस अफगानी का कनेक्शन.
भारतीय खिलाड़ी का अफगान कनेक्शन:
अफगानिस्तान की टीम अपना ऐतिहासिक मैच खेलने के लिए भारत में है. आज मैच से पहले एक स्पेशल प्रेज़ेंटेशन के मौके पर भारत के खेल मंत्री से लेकर कई बड़े दिग्गज मौजूद रहे. लेकिन इस मौके पर एक ऐसा शख्स मौजूद था जिनका संबंध दोनों मुल्कों से बराबर का है.
जी हां, हम बात कर रहे हैं टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी सलीम दुर्रानी की. सलीम दुर्रानी का जन्म अफगानिस्तान में हुआ लेकिन उन्होंने अपनी पहचान भारत के तिरंगे तले बनाई. सलीम दुरार्नी का जन्म तो अफगानिस्तान में हुआ लेकिन वो क्रिकेट भारत के लिए.
आज अफगानिस्तान टीम के ऐतिहासिक मौके पर बीसीसीआई ने उन्हें बतौर स्पेशल गेस्ट इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया. टॉस से पहले दुर्रानी ने अफगानिस्तान के कप्तान असगर स्टानिकजाई को एक मोमेंटो भेंट किया. साथ ही उनसे कुछ बातें भी की.
कौन हैं सलीम दुर्रानी:
सलीम दुर्रानी ने भारत केलिए कुल 29 टेस्ट खेले. जिसमें उन्होंने 1202 रन बनाए. वहींम दुर्रानी गेंदबाज़ी में भी महारथ रखते थे. उन्होंने बतौर लेफ्ट आर्म स्पिनर 75 विकेट भी चटकाए.
सलीम दुर्रानी ने 1 दिसंबर 1960 को भारत की जर्सी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना डेब्यू किया. 1960 से शुरू हुआ उनका सफर 1973 तक चला. दर्रानी ने बतौर गेंदबाज़ अपनी छाप छोड़ी लेकिन उनके बल्ले की धमक से उन्हें पहचाना जाने लगा. इसमें खास बात ये है कि दुर्रानी फैंस की डिमांड पर छक्के लगाते थे. खासकर फैन जहां बोलें वो वहीं छक्के लगाया करते थे.
सलीम दर्रानी भारतीय क्रिकेट फैंस में इतने लोकप्रिय थे कि साल 1973 में इंग्लैंड के भारत दौरे के दौरान उन्हें टेस्ट टीम में शामिल नहीं किया. इसके बाद कानपुर में ये स्लोगन तक लहराए गए कि 'नो दर्रानी, नो टेस्ट'.
साथ ही दुर्रानी पहले ऐसे भारतीय क्रिकेटर रहे उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से नवाज़ा गया.
फिल्मों में भी आज़माया हाथ:
भारतीय फिल्मों में अफगान जलेबी गाना हालिया दिनों में सुनाई दिया हो लेकिन अफगानी मिठाई तो यहां पहले ही परोसी जा चुकी है. भारतीय क्रिकेट के नायाब सितारे सलीम दुर्रानी ने साल 1973 में क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद फिल्मों में भी हाथ आजमाया था.
साल 1973 में आई फिल्म 'चरित्र' में वो परवीन बॉबी के साथ भी दिखाई दिए. हालांकि इसके बाद उन्होंने इस फील्ड से भी किनारा कर लिया.