आखिरी टेस्ट से पहले एलिस्टेयर कुक ने 12 साल लंबे करियर को किया याद
इंग्लैंड क्रिकेट टीम के ओपनर बल्लेबाज एलिस्टेयर कुक ने करियर के आखिरी टेस्ट से पहले संन्यास लेने की वजह पर खुलकर बात की. कुक ने फेयरवेल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि उन्होंने क्रिकेट से संन्यास का फैसला इसलिए लिया क्योंकि उन्होंने उस मानसिक फूर्ती को खो दिया था जिससे उन्होंने अपने करियर के दौरान आसानी से काम किया था.
इंग्लैंड क्रिकेट टीम के ओपनर बल्लेबाज एलिस्टेयर कुक ने करियर के आखिरी टेस्ट से पहले संन्यास लेने की वजह पर खुलकर बात की. कुक ने फेयरवेल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि उन्होंने क्रिकेट से संन्यास का फैसला इसलिए लिया क्योंकि उन्होंने उस मानसिक फूर्ती को खो दिया था जिससे उन्होंने अपने करियर के दौरान आसानी से काम किया था.
भारत के खिलाफ ओवल मैदान पर खेले जाने वाले मौजूदा टेस्ट सीरीज के पांचवें और आखिरी मैच के बाद उन्होंने संन्यास लेने की घोषणा की है. सीरीज में इंग्लैंड की टीम 3-1 से आगे है.
इंटरनेशनल क्रिकेट पर पिछले 12 साल से इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व कर रहे कुक ने कहा, ‘‘ मेरी मानसिक फूर्ती अधिक रही है. मैं हमेशा मानसिक रूप से मजबूत रहा हूं लेकिन अब मेरी मानसिक फूर्ती कम हो रही है और फिर से उस फूर्ती को पाना काफी मुश्किल है.’’
कुक ने कहा कि अगर साउथम्प्टन में मैच के बाद सीरीज का फैसला नहीं होता तो वह अपने संन्यास के फैसले को साझा नहीं करते.
उन्होंने कहा, ‘‘सच कहूं तो मेरे एक दोस्त ने यह जानने के लिए मुझे फोन किया कि मैं जिंदा हूं क्योंकि हर कोई ऐसे बात कर रहा जैसे मैं जिंदा नही हूं . जब आप अपने बारे में बहुत अच्छी बातें सुनते है तो अच्छा लगता है. उदाहरण के तौर पर, जब मैं गाड़ी चला रहा था और किसी ने मुझसे खिड़की के शीशे को नीचे करवा कर कहा कि ‘बहुत बहुत धन्यवाद’. यह आपके अच्छे पलों में से एक है. उम्मीद है कि अलविदा कहने से पहले इस सप्ताह मैं कुछ रन बना सकूं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ यह कहना मुश्किल है लेकिन पिछले छह महीनो से मैंने ऐसे संकेत दे दिये थे. मैंने पिछले मैच से पहले कप्तान जो रूट से और मैच के दौरान कोच ट्रेवर बेलिस को इस बारे में बता दिया था. आज के दौर और इस उम्र में सब कुछ छुपा कर रखना काफी मुश्किल है. अगर सीरीज 2-2 से बराबरी पर होती तो मैं अपने फैसले को साझा नहीं करता.’’
कुक ने 59 टेस्ट और 92 वनडे में टीम में कप्तानी की है. जिसमें से उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में एशेज सीरीज में जीत (2010-10 में एंड्रयू स्ट्रॉस की कप्तानी में) के साथ अपनी कप्तानी में भारत में सीरीज जीत को करियर की सबसे बड़ी सफलता बताया.
उन्होंने कहा, ‘‘ विदेश में इन दोनों सीरीज में मैं मैन ऑफ द सीरीज था और हम भारत तथा ऑस्ट्रेलिया में जीते थे. मेरे करियर के दौरान यह सर्वश्रेष्ठ क्षण था. हां, मैं कभी भी सबसे प्रतिभाशाली क्रिकेटर नहीं रहा हूं लेकिन अपनी क्षमता से मैंने सबकुछ पाया है.’’
उन्होंने केविन पीटरसन के साथ विवाद पर खेद जताया क्योंकि उन्हें टीम से बाहर करने के फैसले में वह भी शामिल थे. उन्होंने कहा, ‘‘ निस्संदेह ऐसे प्रश्न हैं जिन पर आप सवाल करते हैं. स्पष्ट रूप से पीटरसन विवाद एक कठिन समय था, इसमें कोई संदेह नहीं है. उस फैसले से आयी गिरावट न तो इंग्लैंड क्रिकेट के लिए अच्छा था न ही मेरे लिए.’’