Arshdeep Singh No Ball: कैसे सुलझेगी अर्शदीप सिंह की नो बॉल फेंकने की समस्या? गौतम गंभीर ने डिटेल में बताया
Arshdeep Singh No Ball: अपने छोटे से टी20 इंटरनेशनल करियर में अर्शदीप सिंह 15 नो बॉल फेंक चुके हैं. उनके नाम T20I में सबसे ज्यादा नो बॉल फेंकने का रिकॉर्ड है.
Gautam Gabhir On Arshdeep Singh No Ball Problem: पूर्व भारतीय ओपनर गौतम गंभीर का मानना है कि गति में विविधता के अलावा बाएं हाथ के तेज गेंदबाज अर्शदीप सिंह के लिए यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि वह अपनी नो-बॉल गेंदबाजी के मुद्दे को सुलझाएं.
अर्शदीप ने जुलाई 2022 में इंग्लैंड के खिलाफ अपना टी20 डेब्यू किया था. अपने छोटे से टी20 इंटरनेशनल करियर में अर्शदीप सिंह 15 नो बॉल फेंक चुके हैं. उनके नाम T20I में सबसे ज्यादा नो बॉल फेंकने का रिकॉर्ड है.
अर्शदीप ने ऑस्ट्रेलिया में टी20 विश्व कप में भारत के लिए 10 विकेट लिए और जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति में उनकी कमी नहीं खलने दी. साथ ही उन्होंने आईसीसी इमर्जिग मेन्स क्रिकेटर ऑफ द ईयर पुरस्कार के लिए नामांकन भी अर्जित किया. हालांकि, टी20 विश्व कप के समाप्त होने के बाद से अर्शदीप टी20 में 10.24 इकॉनमी रेट से रन दे रहे हैं.
गौतम गंभीर ने कहा, आप अपनी गेंदबाजी में कुछ नया करने के बारे में सोचते हैं. चाहे वह धीमी बाउंसर हों या स्लो गेंदबाजी. किसी प्रकार की भिन्नता. दुर्भाग्य से, उनके पास वास्तव में बल्लेबाजों को परेशान करने की गति नहीं है. इसलिए कुछ भिन्नता विकसित करनी होगी.
गंभीर ने स्टार स्पोर्ट्स के हवाले से कहा, वह उमरान मलिक नहीं है, वह मोहम्मद सिराज नहीं है. इसलिए एक चीज जो उन्हें करने की जरूरत है, वह शायद अपनी नो बॉल के मुद्दे को सुझाना है.
अर्शदीप ने इस महीने की शुरूआत में पुणे में श्रीलंका के खिलाफ दूसरे टी20 में पांच नो-बॉल फेंकी थी, जो किसी भारतीय गेंदबाज द्वारा फेंकी गई सबसे अधिक थी. न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टी20 में, अर्शदीप ने अपने आखिरी ओवर में एक नो-बॉल सहित 27 रन दिए, जिसमें भारत अंतत: हार गया.
लेकिन वह लखनऊ में गेंदबाजों की मदद वाली पिच पर भारत की छह विकेट की जीत में 2/7 लेने के साथ वापसी की. ये प्रदर्शन बेहतर है. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन नो-बॉल को फेंक नहीं सकते. यह बिल्कुल अस्वीकार्य है, खासकर इस स्तर पर, क्योंकि इससे टीम को काफी नुकसान पहुंचता है."
गंभीर ने कहा, केवल मूल बातें सही रखें. देखिए, विश्व कप की स्थिति आपके घर में सामान्य रूप से मिलने वाली स्थिति से पूरी तरह से अलग है. ऑस्ट्रेलिया में नई गेंद से आपको स्विंग और उछाल मिल रही थी. लेकिन जब आप उपमहाद्वीप में खेलते हैं, तो परिस्थिति बिल्कुल अलग होती है."
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