शीर्षक में बात जहां खत्म हुई है लेख में वहीं से बात शुरू की जानी चाहिए. इस बात में कोई दोराय नहीं है कि एशियाई क्रिकेट के लिए बांग्लादेश की तरक्की अच्छी बात है बशर्ते वो अपने प्रदर्शन में निरंतरता या ‘कंसिसटेंसी’ लेकर आएं. एशियाई क्रिकेट में भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका के अलावा बांग्लादेश की टीम है. श्रीलंका की टीम का जो हाल भारत के खिलाफ पिछली सीरीज में हुआ है वो सबको पता है. उस सदमे से निकलने में अभी उसे वक्त लगेगा. पाकिस्तान की टीम की स्थिति भी ऐसी ही है. वेस्टइंडीज के खिलाफ पिछली टेस्ट सीरीज जीत को छोड़ दिया जाए तो ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसी बड़ी टीमों के खिलाफ उसे संघर्ष ही करना पड़ा है.
ऐसे में बांग्लादेश का टेस्ट क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन एशियाई क्रिकेट की साख के लिए सकारात्मक है. दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और श्रीलंका की टीमों के साथ हालिया टेस्ट सीरीज में बांग्लादेश ने ड्रॉ किया है. पिछले करीब 2 साल में खेली गई 7 टेस्ट सीरीज में बांग्लादेश ने 5 टेस्ट सीरीज में ड्रॉ किया है. न्यूजीलैंड और भारत के खिलाफ उसे हार का सामना करना पड़ा है. कंगारूओं के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में बांग्लादेश के क्रिकेट फैंस को बस इस बात की टीस है.
जरा सी मेहनत करके रचा जा सकता था इतिहास
पहले टेस्ट मैच में एतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद बांग्लादेश के पास सीरीज जीत कर एक और बड़े इतिहास को रचने का मौका था, लेकिन बांग्लादेश ने वो मौका गंवा दिया. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में बांग्लादेश को 7 विकेट से हार का सामना करना पड़ा और सीरीज 1-1 से बराबरी पर खत्म हुई. बांग्लादेश की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए पहली पारी में 305 रन बनाए थे. इसके बाद पहली पारी में डेविड वॉर्नर के शानदार शतक के बाद भी बांग्लादेश ने कंगारुओं को 377 रनों पर समेट दिया था यानी पहली पारी के आधार पर ऑस्ट्रेलिया के पास 72 रनों की बढ़त थी. टेस्ट मैच में 72 रन की बढ़त निर्णायक होती है लेकिन तब जब आपको चौथी पारी में बल्लेबाजी करनी हो.
चौथी पारी में बल्लेबाजी ऑस्ट्रेलिया को करनी थी लेकिन ऐसा लगा जैसे चौथी पारी का दबाव बांग्लादेश के बल्लेबाजों पर तीसरी पारी में ही आ गया. बांग्लादेश की टीम दूसरी पारी में सिर्फ 157 रन पर ही सिमट गई. नैथन लियॉन ने 6 विकेट लिए. बांग्लादेश की तरफ से सर्वाधिक स्कोर 31 रन कप्तान मुशफीकुर रहीम ने बनाए. 4 बल्लेबाज दहाई के आंकड़े को छूने से पहले ही पवेलियन लौट चुके थे. अगर बांग्लादेश के बल्लेबाजों ने 70-80 रन भी और जोड़ दिए होते तो टेस्ट क्रिकेट में रोमांच आ जाता.
ऐसा इसलिए क्योंकि अगर चौथी पारी में कंगारूओं के सामने 86 रनों की बजाए 150 रनों के आस पास का लक्ष्य होता तो बात ही कुछ और होती. 86 रनों का लक्ष्य हासिल करने में कंगारुओं ने अपने तीन विकेट गंवा दिए थे. बांग्लादेश के गेंदबाजों ने रेनशॉ, वॉर्नर और स्मिथ को पवेलियन भेज दिया था. बाद में हैंडस्कॉम्ब और मैक्सवेल ने टीम को जीत दिलाई. नैथन लियॉन ने टेस्ट मैच में कुल 13 विकेट लिए. उन्हें मैन ऑफ द मैच का खिताब दिया गया. उन्हें डेविड वॉर्नर के साथ साझा तौर पर मैन ऑफ द सीरीज का खिताब भी दिया गया.
पहले टेस्ट में भी ऐसे ही मिली थी जीत
पहले टेस्ट मैच में कमोबेश यही स्थिति थी. चौथी पारी में ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 265 रन चाहिए थे लेकिन कंगारुओं की पूरी टीम 244 रन पर सिमट गई थी. इसके साथ ही 30 अगस्त 2017 की तारीख क्रिकेट के इतिहास में दर्ज हो गई थी, जब बांग्लादेश ने ऑस्ट्रेलिया को ढाका में खेले गए टेस्ट मैच में 20 रन से हरा दिया था. इस जीत की सबसे बड़ी बात ये थी कि 17 साल के टेस्ट इतिहास में बांग्लादेश ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया को हराया था.
बांग्लादेश आईसीसी रैंकिग्स मे नौंवे नंबर की जबकि ऑस्ट्रेलिया चौथे नंबर की टीम थी. बांग्लादेश को साल 2000 में टेस्ट नेशन का दर्जा मिला था. उसके बाद उसने जिम्बाब्वे, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज की टीमों को तो टेस्ट मैच में हराया था लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली जीत निश्चित तौर पर उसके टेस्ट इतिहास की सबसे बड़ी जीत है.