DDCA चुनाव से पहले गरमाया माहौल, कीर्ती आजाद ने भरी हुंकार; रोहन जेटली के काम पर उठाए सवाल
DDCA Elections 2024: DDCA यानी दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष पद के लिए 16 दिसंबर को चुनाव होना है. इस बार रोहन जेटली और कीर्ति आजाद के बीच सीधा मुकाबला है.
DDCA Elections 2024, Kirti Azad Vs Rohan Jaitley: 5 दिन बाद दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष पद का चुनाव होना है. इस बार मैदान में पूर्व क्रिकेटर और नेता कीर्ति आजाद और मौजूदा अध्यक्ष रोहन जेटली के बीच मुकाबला है. रोहन जेटली देश के प्रतिष्ठित वकील और नेता रहे स्वर्गीय अरुण जेटली के बेटे हैं. इस बीच कीर्ति आजाद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रोहन जेटली के काम-काज पर सवाल उठाया और कुछ कड़े सवाल भी पूछे.
'अब नहीं बदलेगा तो कभी नहीं बदलेगा' के नारे के साथ कीर्ति आजाद ने डीडीसीए में बदलाव की पेशकश की. आजाद ने बताया कि वह डीडीसीए की फंक्शनिंग में बदलाव लाना चाहते हैं. साथ ही उनका उद्देश्य भारतीय क्रिकेट और खिलाड़ियों की छवि में सम्मानजनक बदलाव लाना है.
मीडिया को संबोधित करते हुए कीर्ति आज़ाद ने कहा, "डीडीसीए के सदस्यों को लंबे समय से उचित दर्जे से वंचित रखा गया है. एसोसिएशन को मिलने वाले अनुदान का गलत मैनेजमेंट किया गया है. खातों की सही ऑडिट नहीं हो रही है. एसोसिएशन के सदस्यों को उन सुविधाओं से वंचित रखा गया है, जिनके वे हकदार हैं. सबसे बड़ी बात, रोहन जेटली के नेतृत्व में डीडीसीए स्टेडियम को अपग्रेड करने में नाकाम रहा है, जैसा कि वादा किया गया था."
कीर्ति आजाद ने मौजूदा डीडीसीए पैनल पर फंड्स के गलत मैनेजमेंट, अपनी पसंद के सदस्यों में टिकट बांटना, जमीनी स्तर पर विकास की अनदेखी और सदस्यों की सहभागिता की कमी पर सवाल उठाए. उन्होंने साफ किया कि अगर वह अध्यक्ष बनते हैं तो फिर डीडीसीए में पारदर्शिता देखने को मिलेगी.
वहीं सचिव पद के उम्मीदवार संजय भारद्वाज ने भी कीर्ति आजाद का पक्ष लिया. 1986 से 1989 के बीच उन्होंने रणजी ट्रॉफी में दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया था. वह कीर्ति आजाद, मदन लाल, मोहिन्दर अमरनाथ, सुरिंदर खन्ना, रमन लांबा, संजय भारद्वाज जैसे दिग्गजों के साथ खेल चुके हैं.
2018 में संजय ने डीडीसीए राजनीति में कदम रखा और क्रिकेट में सुधार लाने की सोच के साथ आदर्श उम्मीदवार बन गए. वह डीडीसीए में भ्रष्टाचार के खिलाफ भूख हड़ताल करने वाले पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने सदस्यों के लिए बेहतर सुविधाओं और पारदर्शिता के लिए लड़ाई शुरू की थी.