जज्बे को सलाम, रणजी ट्रॉफी के बीच बेटी गुजरी, अब पिता भी दुनिया छोड़ गए, लेकिन इस खिलाड़ी ने नहीं छोड़ा टीम का साथ
बड़ौदा के रणजी खिलाड़ी विष्णु सोलंकी की नवजात बेटी की कुछ दिन पहले मौत हो गई थी. रविवार को उनके पिता भी गुजर गए.
बड़ौदा के रणजी प्लेयर विष्णु सोलंकी (Vishnu Solanki) ने खिलाड़ियों के लिए एक मिसाल पेश की है. यह खिलाड़ी अपनी बेटी और पिता के गुजर जाने के बाद भी जरूरत के वक्त टीम के साथ बना रहा. दरअसल, रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy 2022) में बड़ौदा के पहले मैच के ठीक बाद विष्णु की नवजात बेटी (Newborn Daughter) की मौत हो गई थी. इसके बाद वह फौरन अपने घर चले गए थे. लेकिन अंतिम संस्कार के बाद उन्होंने फिर अपनी टीम के साथ अगला मैच खेलने का फैसला लिया और वह भुवनेश्वर लौट आए. चंडीगढ़ के खिलाफ इस दूसरे मैच के आखिरी दिन उनके पिता भी गुजर गए (Demise of Vishnu's Father) लेकिन मैच खत्म होने तक वह टीम के साथ बने रहे.
29 साल के इस खिलाड़ी ने नवजात बेटी को खोने के बाद जब फिर से अपनी टीम का हाथ पकड़ा था तो उनकी खूब सराहना हुई थी. बड़ौदा के लिए पांचवे नंबर पर बल्लेबाजी करने वाले विष्णु ने मैदान पर लौटते ही चंडीगढ़ के खिलाफ यादगार पारी खेली. उन्होंने 165 गेंद पर 104 रन बनाए. उनकी इस पारी की बदौलत बड़ौदा ने 517 रन का स्कोर बनाकर पहली पारी के आधार पर 349 रन की विशाल बढ़त ले ली थी. हालांकि यह टेस्ट आखिरी दिन ड्रॉ हो गया. बड़ौदा क्रिकेट एसोसिएशन से लेकर कई खिलाड़ियों ने उनके जज्बे को सलाम किया था और उन्हें रियल हीरो बताया था.
इस बात को ठीक से चार दिन ही गुजरे कि अब विष्णु पर फिर दुख का पहाड़ टूट पड़ा. चंडीगढ़ के खिलाफ मैच के आखिरी दिन उनके पिता भी गुजर गए. विष्णु के पिता करीब दो महीने से बीमार थे. बड़ौदा टीम के मैनेजर ने उन्हें इस घटना की सूचना दी. उन्हें घर जाने के लिए भी कहा गया लेकिन विष्णु ने मैच खत्म होने तक टीम के साथ रहने का फैसला किया. इसके पीछे यह भी कारण बताया जा रहा है कि वह अगर उसी वक्त घर के लिए रवाना हो जाते तो भी वह वक्त पर नहीं पहुंच पाते. ऐसे में विष्णु के पिता का अंतिम संस्कार उनके बिना ही कर दिया गया. विष्णु ने अपने पिता को अंतिम विदाई वीडियो कॉल पर ही दी.
यह भी पढ़ें..