राय से एक इंटरव्यू में जब पूछा गया कि बीसीसीआई को वह पैसा मिला जो आईसीसी ने 2014 रेवेन्यू मॉडल के तहत उसे देने का वादा किया था? राय ने इसपर कहा कि उन्होंने यही सवाल कोषाध्यक्ष से पूछा था. चौधरी ने इस पर कहा कि राय के इस बयान पर उन्हें हंसी आई थी, क्योंकि यह बताता है कि राय को क्रिकेट प्रशासन के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी.
चौधरी ने राय की बात को गलत ठहराया है. उन्होंने कहा, "राय का पूरा इंटरव्यू गलत तथ्यों और झूठी बातों पर आधारित था, जिस पर हंसी आ रही थी. राय ने जो बात इंटरव्यू में कही, वह मेरी समझ से परे है. मैं इसके कारण भी नहीं सोच पा रहा हूं. विनोद राय की प्रतिक्रिया ने बता दिया है कि उन्हें इस बात की कितनी समझ थी."
अनिरुद्ध ने कहा कि पूर्व सीओए अध्यक्ष का बीसीसीआई के रेवेन्यू मॉडल को गलत तरीके से पेश करना दुर्भाग्यपूर्ण है और उन्होंने पूर्व सीएजी से इस तरह की उम्मीद नहीं की थी. चौधरी ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस शख्स ने तीन साल तक बीसीसीआई का प्रशासन संभाला हो, उसे इस मामूली-सी बात की जानकारी नहीं है."
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चौधरी ने कहा, "राय आईसीसी को लेकर खुद में ही उलझे रहते थे, क्योंकि एक तरफ वह बीसीसीआई के गर्वनेंस पैकेज और फाइनेंसियल पैकेज से अछूते रहने पर दूसरों पर दोष मड़ते थे तो वहीं दूसरी तरफ वह आईसीसी चेयरमैन शशांक मनोहर की तारीफें किया करते थे और कहते थे उन दोनों के संबंध मधुर हैं. क्या यह संबंध इस बात का कारण नहीं थे, जिनकी वजह से आईसीसी को बीसीसीआई को बुरी तरह से ट्रीट करने की इजाजत दी, क्योंकि वह जानते थे कि बीसीसीआई की तरफ से पलट कर कार्रवाई नहीं की जाएगी."
चौधरी ने बताया कि सीओए के आदेश के बाद से उनके हाथ बंधे हुए थे और वह किस तरह से सर्वोच्च अदालत के आदेशों का पालन कर रहे थे.