भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने इंग्लैंड के खिलाफ अगले साल फरवरी में खेले जानी वाली टेस्ट, वनडे और टी20 सीरीज के लिए शेड्यूल घोषित कर दिया है. बीसीसीआई ने हालांकि जिन स्टेडियम का चयन किया है उससे राज्यों संघ खुश नहीं है और इस वजह से बोर्ड एक नए विवाद में फंसता नज़र आ रहा है. आयोजन स्थलों को बीसीसीआई के अगले महीने होने वाले चुनावों से जोड़कर भी देखा जाने लगा है.


यहां तक कि बीसीसीआई के प्रमुख सौरव गांगुली के घरेलू राज्य के संघ ने आयोजन स्थलों के चयन पर आपत्ति जताई है. सीरीज के 12 मैचों में से एक भी मैच उसे एलॉट नहीं किया गया. मुम्बई क्रिकेट संघ ने तो इस फैसले पर हैरानी जाहिर की है. उसे एक भी मैच की मेजबानी नहीं मिली है जबकि गुजरात क्रिकेट संघ को 12 में से सात मैचों की मेजबानी मिली है.


पुणे और चेन्नई को मेजबानी मिली है. चेन्नई में दो टेस्ट मैच खेले जाएंगे जबकि पुणे को तीन मैचों की वनडे सीरीज की मेजबानी करनी है. मुम्बई क्रिकेट संघ का कहना है कि उसे चार साल में एक भी टेस्ट की मेजबानी नहीं मिली है और यह काफी हैरान करने वाला फैसला है.


इस वजह से बढ़ा विवाद


विवाद इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि आईपीएल के दौरान बीसीसीआई चीफ सौरव गांगुली ने कहा था कि मुंबई और कोलकाता को इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज की मेजबानी मिलेगी. सीएबी के अध्यक्ष अभिषेक डालमिया ने कहा है कि उन्हें यह बताया जाए कि आखिरकार उनके संघों को इस सीरीज के मैचों की मेजबानी क्यों नहीं मिली.


इसी तरह एमसीए की कार्यकारी समिति के सदस्य नदीम मेनन ने पैनल के सदस्यों की ओर से बोलते हुए एमसीए अध्यक्ष विजय पाटिल से सीधा सवाल किया है कि वह पैनल को बताएं कि आखिरकार एमसीए को बीते चार साल से टेस्ट की मेजबानी क्यों नहीं मिली है.


संघों की चिंता यह भी है कि अगर उन्हें लम्बे समय तक मैचों की मेजबानी नहीं मिलेगी तो उनकी वित्तीय स्थिति खराब हो जाएगी क्योंकि बोर्ड एक टेस्ट के लिए संघों को 2.5 करोड़ रुपये, एक वनडे के लिए 1.5 करोड़ रुपये और एक टी20 के लिए भी इतने ही रुपये देता है.भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने इंग्लैंड के साथ होने वाली टेस्ट, वनडे और टी20 सीरीज के लिए आयोजन स्थलों का जो चयन किया है, उससे उसके सभी राज्य संघ खुश नहीं हैं.


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