कोरोना वायरस की वजह से बीसीसीआई को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. महामारी के चलते बीसीसीआई को एक और बड़ा झटका लग सकता है. 14 साल के अंतराल के बाद टीम इंडिया की जर्सी से नाइकी का लोगो हट सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि नाइकी बीसीसीआई के साथ अपना करार आगे नहीं बढ़ाएगा. नाइकी का मौजूदा करार सितंबर में खत्म होने जा रहा है.
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक नाइकी को लॉकडाउन की वजह से नुकसान उठाना पड़ा है. नाइकी ने चार साल के करार के लिए बीसीसीआई को 370 करोड़ रुपये दिए थे, जिनमें 85 लाख रुपये प्रति मैच फीस थी. इसके अलावा 12 से 15 करोड़ रुपये की रॉयल्टी दी गई थी. पिछले तीन महीने में टीम इंडिया के 12 इंटरनेशनल मुकाबले रद्द हुए हैं. जिसकी वजह से नाइकी अपने करार को आगे बढ़ाने की अपील कर रहा है.
नाइकी के मौजूदा करार का अंत सितंबर में होगा, लेकिन कंपनी चाहती है कि बीसीसीआई रद्द हुए मैचों के मद्देनज़र करार को आगे बढ़ाए. इस शर्त के पूरा नहीं होने पर नाइकी बीसीसीआई से आगे करार नहीं करेगी.
बीसीसीआई पर है भारी दबाव
नाइकी टीम इंडिया के खिलाड़ियों को शूज, जर्सी और अन्य सामान मुफ्त में ही उपलब्ध करवाती है. नाइकी और बीसीसीआई के बीच पहली बार 2006 में करार हुआ था. 14 साल से नाइकी और बीसीसीआई के बीच करार कायम रहा है.
नाइकी का करार खत्म होने के बाद टीम इंडिया की जर्सी में बदलाव देखा जा सकता है. अगर नाइकी का करार आगे नहीं बढ़ता है तो टीम इंडिया की जर्सी में बदलाव देखने को मिल सकता है. हालांकि नाइकी के साथ करार टूटने की वजह से बीसीसीआई की मुश्किलें बढ़ सकती है. बीसीसीआई पर पहले ही चीन के साथ रिश्ते बिगड़ने की वजह से वीवो के साथ करार रद्द करने का दबाव बना हुआ है.
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