भारतीय क्रिकेट के घरेलू सीजन में बड़े बदलाव होने जा रहे हैं. रणजी ट्रॉफी की जगह अब 2018-19 सीजन की शुरुआत विजय हजारे वनडे टूर्नामेंट से की जा सकती है. सोमवार को हुई बैठक में तकनीकि समिति ने ये प्रस्ताव रखा है. इसके साथ ही रणजी ट्रॉफी में प्री क्वार्टर फाइनल के शामिल होने की भी संभावना है.

कोलकाता में आज ढाई घंटे लंबी बैठक चली जिसमें इस बात पर भी चर्चा हुई कि क्या रणजी मैचों को एसजी की जगह कूकाबूरा गेंद से खेला जा सकता है.

यहां रखे गये प्रमुख सुझावों में से एक यह भी था कि रणजी ट्रॉफी में प्री - क्वार्टर फाइनल मैच के दौर की शुरुआत की जाए.

तकनीकी समिति के एक सदस्य ने गोपनीयता की शर्त पर बताया , ‘‘पिछले दिनों मुंबई में हुए कप्तान - कोच बैठक में ज्यादातर राज्यों के कप्तान इसमें प्री - क्वार्टर फाइनल को शामिल करने के पक्ष में थे. फिलहाल हमारे पास चार ग्रुप है जिससे टॉप की दो टीमें क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई करती हैं ’’

उन्होंने कहा , ‘‘कप्तानों को लगता है कि नॉकआउट दौर प्री - क्वार्टर फाइनल से ही शुरू हो जाना चाहिए, इसलिए तकनीकी समिति चाहती है कि राउंड ऑफ 16 को रणजी ट्रॉफी में शामिल किया जाए. इसका मतलब होगा आठ अतिरिक्त मैच और 16 टीमों के लिए एक अतिरिक्त मैच. ’’

पश्चिमी भारत में सूखे और मानसून में कम बारिश की स्थिति को देखते हुए यह फैसला किया गया कि विजय हजारे ट्रॉफी से सीजन की शुरूआत हो. अक्टूबर में रणजी ट्रॉफी शुरू करने से कई चार दिवसीय मैच प्रभावित होते है जिनका कोई परिणाम नहीं निकलता.

उन्होंने कहा , ‘‘घरेलू मैचों के कैलेंडर में बदलाव किया जा सकता है. यह अब हजारे ट्राफी से शुरू होगा और फिर रणजी ट्रॉफी के ग्रुप लीग राउंड के मैच होंगे. उसके बाद सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी ( राष्ट्रीय टी 20 टूर्नामेंट ) जिससे आईपीएल टीमों को भी प्रतिभा पहचान करने में मदद मिले. सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के बाद रणजी ट्रॉफी के प्री - क्वार्टरफाइनल से नॉक आउट राउंड शुरू होगा. ’’

उन्होंने कहा , ‘‘तकनीकी समिति के अध्यक्ष सौरव गांगुली चाहते है कि ऐसा कार्यक्रम बने जिसमें जल्द बदलाव करने की जरूरत नहीं हो और उसमें निरंतरता रहे.

संवाददाता सम्मेलन में बीसीसीबाई के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी ने कहा कि ऐसे सुझाव मिले थे कि रणजी ट्रॉफी में लाल कूकाबुरा गेंद का इस्तेमाल किया जाए लेकिन वे भारत में बने एसजी टेस्ट गेंद का प्रयोग जारी रखना चाहते है.

चौधरी ने संकेत दिया कि दलीप ट्रॉफी को एकबार फिर डे-नाइट फॉर्मेट में गुलाबी गेंद से खेला जाएगा और नए स्थलों पर मैच करने का बीसीसीआई का अनुभव अच्छा रहा है.

इस मौके पर महिला क्रिकेट के बारे में भी चर्चा हुई और समिति का मानना ​​था कि खेल को लोकप्रिय बनाने और नए प्रतिभाओं की पहचान के लिए बीसीसीआई को सीमित ओवरों के मैच खेलने पर ध्यान देना चाहिए.