भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने सोमवार को यौन उत्पीड़न रोकथाम 'Prevention of Sexual Harassment' (POSH) की पॉलिसी को स्वीकृति दी जिसके दायरे में भारतीय क्रिकेटर भी आएंगे. अब तक बीसीसीआई के पास यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए किसी भी तरह की विशिष्ट नीति नहीं थी. यह नीति पदाधिकारियों, शीर्ष परिषद और आईपीएल संचालन परिषद के सदस्यों के अलावा सीनियर से अंडर-16 स्तर के क्रिकेटरों पर भी लागू होगी.

 

अपनी इस नीति में बीसीसीआई ने कहा है कि यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच के लिए चार सदस्यीय आंतरिक समिति का गठन किया जाएगा. सोमवार को शीर्ष परिषद की बैठक के दौरान हालांकि इसके सदस्यों पर फैसला नहीं किया गया. नीति के अनुसार, "आंतरिक समिति की अध्यक्ष महिला होनी चाहिए जो अपने कार्यस्थल पर सीनियर स्तर पर नियुक्त हो."

 

ऐसे चुने जाएंगे समिति के सदस्य 

 

इसमें कहा गया, "आंतरिक समिति के दो सदस्यों का चयन कर्मचारियों के बीच से किया जाएगा, इसमें उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी जो महिलाओं के अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध हों या उन्हें सामाजिक कार्य का अनुभव हो या कानूनी जानकारी हो." इसके अनुसार, "आंतरिक समिति का एक सदस्य गैर सरकारी संगठन या ऐसे संघ से चुना जाना चाहिए जो महिलाओं के अधिकारियों के लिए काम करते हों या यौन उत्पीड़न से जुड़े मुद्दों की जानकारी रखते हो (बाहरी सदस्य).

 

इस तरह से काम करेगी समिति 

 

आंतरिक समिति में कम से कम आधे सदस्य पदों पर महिलाएं होनी चाहिए. यौन उत्पीड़न को लेकर शिकायकर्ता को घटना के तीन महीने के भीतर शिकायत दर्ज करानी होगी और आंतरिक समिति आरोपी को आरोपों का जवाब देने के लिए सात कार्यदिवस का समय देगी. आंतरिक समिति को अपनी जांच पूरी करने के लिए शिकायत के दिन से 90 दिन का समय मिलेगा और वह अपनी सिफारिश बीसीसीआई को सौंपेगी जो 60 दिन में कार्रवाई करेगा. शिकायतकर्ता या आरोपी अगर बीसीसीआई के फैसले से संतुष्ट नहीं होते हैं तो अदालत की शरण में जा सकते हैं.

 

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