नई दिल्ली: बीसीसीआई ने अपनी आम सभा की खास बैठक (एसजीएम) में लोढा समिति की सिफारिशों को आंशिक रूप से मंज़ूर कर लिया है, लेकिन सुशासन को लेकर बड़ी सिफारिशों को खारिज कर दिया, जिसमें उम्र सीमित करना, कार्यकाल और ब्रेक जैसे मुद्दे शामिल हैं.


सुप्रीम कोर्ट के व्यावहारिक कठिनाइयों पर 18 अगस्त को सुनवाई के लिए राजी होने के बाद बीसीसीआई ने उम्र सीमा (70 साल), ब्रेक (तीन साल) और कार्यकाल (राज्य और बीसीसीआई प्रत्येक में नौ साल) पर विवादास्पद सुधारों को लागू नहीं किया.


लोढ़ा समिति ने जिन्हें सुशासन का सिद्धांत कहा था, बीसीसीआई का उन्हें स्वीकार नहीं करना संकेत है कि अयोग्य होने के बावजूद एन श्रीनावसन और निरंजन शाह जैसे पुराने पदाधिकारी अब भी प्रासंगिक हैं.


बीसीसीआई के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 18 जुलाई 2016 के आदेश के तहत पांच सुधारवादी कदमों को छोड़कर बाकी सभी सिफारिशों को सर्वसम्मति से मंज़ूर कर लिया है.


पांच सुधारवादी कदम इस प्रकार हैं :- 


1. सदस्यता से जुड़े मामले, एक राज्य एक मत, रेलवे और सेना जैसे पूर्ण सदस्यों को बरकरार रखना.


2. नियुक्त किए गए अधिकारियों के अधिकारों को परिभाषित करना.


3. शीर्ष परिषद का आकार और संविधान.


4. पदाधिकारियों, मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों पर रोक और अयोग्यता, आयु, कार्यकाल और ब्रेक.


5. राष्ट्रीय चयन समिति का आकार.