बीसीसीआई सचिव अमिताभ चौधरी ने सीके खन्ना पर लगाए कामचोरी के आरोप
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और प्रशासकों की समिति (सीओए) के बीच आईपीएल विजेता को ट्रॉफी देने के लिए उपजे विवाद में एक नया मोड़ आ गया है.
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और प्रशासकों की समिति (सीओए) के बीच आईपीएल विजेता को ट्रॉफी देने के लिए उपजे विवाद में एक नया मोड़ आ गया है. बीसीसीआई के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी ने खन्ना पर हमला बोलते हुए कहा है कि बार-बार फोटो खिंचाने के अलावा कार्यवाहक अध्यक्ष ने कितना काम किया है. चौधरी ने खन्ना पर आरोप मढ़ते हुए कहा है कि वह काम को बहुत कम तवज्जो देते हैं.
चौधरी ने एक पत्र लिखकर खन्ना को आड़े हाथों लिया है. चौधरी ने खन्ना के कार्यवाहक अध्यक्ष के तौर पर किए गए काम पर सवाल उठाए हैं और कहा है खन्ना ने लोगों से मेल मुलाकात और सभी से पास लेने के अलावा कुछ नहीं किया. उन्होंने साथ ही बताया कि खन्ना ने अहम बैठकों में कभी भी एक भी शब्द नहीं कहा.
चौधरी ने पत्र में लिखा है, "यह शायद किस्मत ही होगी. सुप्रीम कोर्ट ने दो जनवरी 2017 को बोर्ड के अध्यक्ष को हटा दिया था और उसके पास पांच उपाध्यक्षों में से किसी एक को अध्यक्ष बनाने के अलावा कोई और विकल्प था नहीं. इसके बाद आपको वो पद मिला जिस पर ग्रांट गोवन, सर सिकंदर हयात खान, विजिनाग्राम, एम.ए. चिदम्बरम, जेड. आर. ईरानी, एन.के. पी साल्वे, राज सिंह डुंगरपुरा, जगमोहन डालमिया, शरद पवार और शशांक मनोहर जैसे लोग बैठे. इन सभी ने शानदार काम किया और क्रिकेट जैसे महान खेल में अपना योगदान देते हुए सम्मान हासिल किया."
चौधरी ने आगे लिखा, "जब आप इस पद पर बैठे थे तब सभी ने उम्मीद की थी कि जिस स्थिति में आपको जो उन्नति, पद और जिम्मेदारी मिली है जो पहले कई दिग्गजों के पास रही है, यह आपको आगे ले जाने में मदद करेगी और अभी तक के कार्यकाल में आपको एक अलग स्थान पर खड़ा कर देगी."
चौधरी ने लिखा, "आपने पद संभालने के बाद से किया क्या है? सिर्फ पास लेने, नए साल, दिवाली, क्रिसमस की बधाई देने के अलावा. आपने फोटो खिंचाने का एक भी मौका नहीं छोड़ा. आपने यह भी नहीं सोचा कि इससे आपने बीसीसीआई की साख और गरिमा को कितना नुकसान पहुंचाया है."
उन्होंने कहा, "मुझे याद नहीं आता कि आपने कब अहम बैठकों में कभी एक शब्द भी कहा हो या अहम मुद्दों को लेकर कभी ई-मेल किया हो, चाहे वो लोढ़ा समिति की सिफारिश हों, सुप्रीम कोर्ट का 18 जुलाई 2016 को लिया गया फैसला हो, यौन शोषण का मामला हो, हाल ही में फेमा के मामले में भी आपने चुप्पी साधे रखी."
सचिव ने एक बार फिर खन्ना से सवाल पूछा कि क्यों उन्होंने दिल्ली के फिरोज शाह कोटला मैदान पर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए अंतिम मैच में ट्रॉफी नहीं दी और एक राज्य संघ के अध्यक्ष को कैसे ट्रॉफी देने की इजाजत दे दी.
उन्होंने लिखा, "आपने भारत और ऑस्ट्रेलिया मैच के पुरस्कार वितरण पर किए सवाल का जवाब नहीं दिया. शायद यह काफी नहीं था, अब आपने आईपीएल के फाइनल में ट्रॉफी देने को लेकर विवाद खड़ा कर दिया और पूरी दुनिया को इसके बारे में पता चल गया. ऐसा प्रतीत होता है कि उस दिन आपके दिमाग में काफी पहले से यह बात चल रही थी कि आप उस दिन विजेता टीम को ट्रॉफी दें."
चौधरी ने खन्ना को याद दिलाते हुए बताया कि उन्हें चुना नहीं गया है बल्कि हालात ऐसे थे कि वह इस पद पर आ गए और उनका असल काम बोर्ड का उपाध्यक्ष पद था.
चौधरी ने लिखा, "बीसीसीआई का आखिरी चुनाव 2015 में हुआ था. चार अधिकारियों को नियुक्त किया गया था लेकिन उनमें से आप नहीं थे. आप यहां तक कि अधिकारी के रूप में चुने भी नहीं गए हैं क्योंकि उस समय का बोर्ड का संविधान पांच उपाध्यक्षों को अधिकारी भी नहीं मानता था."
चौधरी ने लिखा, "मैं आपको बता दूं, इस तरह के प्रावधान इत्तेफाक मात्र नहीं थे. उस समय के नियम के मुताबिक, हर जोन से एक उपाध्यक्ष होना था इसलिए पांच उपाध्यक्ष थे, लेकिन इनके पास करने के लिए ज्यादा कुछ काम नहीं था. आप उनमें से एक चुने गए थे वो भी सीमित अधिकारों के साथ."