वैसे तो भारतीय क्रिकेट में कई बड़े-बड़े स्पिनर्स हुए लेकिन 90 के दशक से अनिल कुंबले ने भारतीय क्रिकेट को एक नई और अलग पहचान दिलाई. उनकी ही कदमों पर आगे बढ़ते हुए हरभजन सिंह ने भारतीय स्पिन अटैक को एक अलग धार दी. भारतीय क्रिकेट टीम के अहम सदस्य रहे भज्जी ने अब अपने डेब्यू के लगभग 20 साल बाद अपने डेब्यू से जुड़ा अहम किस्सा साझा किया.


हरभजन सिंह ने बताया कि किस तरह से टीम इंडिया के डेब्यू करते वक्त उन्होंने अंग्रेजी से परेशानी थी और टीम मीटिंग की बातें वो नहीं समझ पाते थे. इसके बाद उन्होंने ये भी बताया कि किस तरह से टीम के कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन ने उनकी इस मामले में मदद भी की.

हरभजन सिंह ने टीम इंडिया के लिए साल 1998 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डेब्यू किया था. बीते दिन भारत-दक्षिण अफ्रीका मैच के दौरान कॉमेंट्री करते हुए भज्जी ने इस राज का खुलासा किया.

उन्होंने बताया, ''मेरे डेब्यू मैच से पहले खिलाड़ी ड्रेसिंग रूम में टीम मीटिंग में अंग्रेजी में बात कर रहे थे. मैं उसमें से ज्यादातर बातें नहीं समझ पा रहा था क्योंकि मैं उस समय वो भाषा नहीं बोल पाता था. फिर उन्होंने मुझे भी कुछ बोलने के लिए कहा गया फिर मैंने बताया कि मैं अंग्रेजी नहीं बोल पाता.''

आगे भज्जी ने बताया कि फिर किस तरह से टीम के कप्तान अज़हरुद्दीन ने उनकी मदद की. भज्जी ने कहा, ''इसके बाद अज़हर मेरे पास आए और मुझे पूछा कि क्या परेशानी है. उसके बाद मैंने उन्हें बताया कि मैं अंग्रेजी नहीं बोल पाता हूं. फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं किस भाषा में कन्मफर्टेबल हूं. मैंने उन्हें जवाब दिया कि मैं पंजाबी में ठीक हूं. इसके बाद उन्होंने मुझे टीम मीटिंग में पंजाबी में अपनी बात रखने के लिए कहा.''

भज्जी ने भारत के लिए साल 1998 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेंगलुरु में अपना डेब्यू किया था. इस सीरीज़ को भारत ने 2-0 से जीता था. भद्जी ने अपने डेब्यू की पहली पारी में 2 विकेट अपने नाम किए थे. इसके बाद दूसरी पारी में कोई विकेट नहीं झटक सके थे.

उसके बाद से उन्होंने टीम इंडिया के लिए कमाल का प्रदर्शन किया और भारतीय टीम का अहम हिस्सा बन गए, उन्होंने भारत के लिए कुल 103 मैच खेले जिसमें उन्होंने 417 विकेट गंवाए, जबकि 236 वनडे खेले हैं जिसमें उन्होंने 269 विकेट अपने नाम किए हैं.