B'day Special: पिता चाहते थे आर्मी ऑफिसर बने रवींद्र जडेजा, लेकिन 'रॉकस्टार' ने मां का सपना पूरा किया
Ravindra Jadeja Birthday: टीम इंडिया के ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा आज 34 बरस के हो गए. वह दुनिया के सबसे अच्छे फील्डर्स में से एक हैं. जडेजा भारत का प्रतिनिधित्व क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में करते हैं.
Ravindra Jadeja Birthday Special: भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा आज अपना 34वां जन्मदिन मना रहे हैं. उऩका जन्म 6 दिसंबर 1988 को सौराष्ट्र के नवगाम खेड में हुआ था. जडेजा ने साल 2009 में इंटरनेशनल क्रिकेट में पदार्पण किया. उसके बाद से वह टीम इंडिया में बने हुए हैं. जडेजा भारतीय टीम में तीनों फॉर्मेट के नियमित सदस्य हैं. उनकी खूबी स्पिन गेंदबाजी, आक्रामक बैटिंग और तेज-तर्रार फील्डिंग है. वह जब मैदान पर फील्डिंग कर रहे होते होते हैं तो दुनिया का कोई बल्लेबाज सोच समझकर रन लेता है. उन्होंने मैच के दौरान अपने सटीक और पैने थ्रो पर दर्जनों खिलाड़ियों को रन आउट किया है. जडेजा टीम इंडिया के लिए मैच विनर की तरह हैं.
पिता चाहते थे आर्मी ऑफीसर बनना
रवींद्र जडेजा के पिता अनिरुद्धसिंह की तमन्ना थी कि उनका बेटा आर्मी ऑफीसर बने. लेकिन जडेजा को कुछ और ही पसंद था. उनका मन क्रिकेट में रम गया. जडेजा दिन/रात क्रिकेट बनने का सपने देखते थे. इस खेल से वह आगे नहीं सोच पाए. इसलिए वह अपने पिता की चाहत पूरी नहीं कर सके. हालांकि उनके कुछ शौक आर्मी ऑफिसर से भी बढ़कर हैं.
मां का सपना पूरा किया
जडेजा की मां का सपना था कि उनका बेटा क्रिकेटर बने. उन्होंने अपने मां के सपने को साकार करने के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया. हालांकि मां अपने बेटे को ब्लू शर्ट में देख नहीं सकी. साल 2005 में कार दुर्घटना में उनका निधन हो गया था. तब रवींद्र जडेजा 17 साल के थे. लेकिन जडेजा ने हिम्मत नहीं हारी. अंत में 10 फरवरी 2009 का वह दिन आया जब जडेजा को भारतीय टीम की ब्लू कैप मिली.
पर्सनल लाइस में तेजी पसंद
जडेजा मैदान पर भले स्पिन गेंदबाजी करते हों लेकिन पर्सनल लाइफ में उन्हें तेजी पसंद है. उनके पास तेज गति से चलने वाली ऑडी कार के अलावा सुजुकी हायाबुशा है. इसके अलावा उन्हें तेज दौड़ने वाले घोड़े काफी पसंद हैं. जामनगर के पास उनका फार्महाउस है. जहां वह अपनी पसंद के कई शानदार घोड़े रखते हैं. जडेजा को तलवारबाजी का भी शौक है. मैच में अक्सर अर्धशतक और शतक पूरा करने के बाद वह बल्ले को तलवार के अंदाज में घुमाते हैं.
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