गौतम गंभीर ने रविवार को भारत के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी पर भाई- भतीजावाद का आरोप लगाया और कहा कि बिशन सिंह बेदी ने अपने बेटे अंगद को दिल्ली के ग्रुप टीम में घुसाने की कोशिश की थी. गंभीर ने डीडीसीए के सेलेक्शन कमेटी चीफ चेतन चौहान पर भी हमला किया और कहा कि उन्होंने साल 2013 में नवदीप सैनी को दिल्ली की रणजी टीम में आने से रोका था.

गंभीर ने इन बातों का उस वक्त खुलासा किया जब करनाल के तेज गेंदबाज नवदीप सैनी ने अपने पहले ही मैच में 3 विकेट लेकर सबको चौंका दिया. 26 साल के सैनी ने 17 रन देकर 3 विकेट झटके थे.

इसके बाद गंभीर ने ट्वीट किया, ‘नवदीप सैनी भारत के लिए पदार्पण करने के दौरान शानदार प्रदर्शन किया. तुमने गेंदबाजी करने से पहले ही बिशन बेदी और चेतन चौहान को आउट करके दो विकेट ले लिए. एक ऐसे खिलाड़ी को पदार्पण करते हुए देखना उनके मिडिल स्टंप उखाड़ना ही है जिन्होंने मैदान पर उतरने से पहले ही उसे बाहर कर दिया था.'



बिशन सिंह बेदी से जब गौतम गंभीर के बयान के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा, ‘मुझे गौतम गंभीर की तरह गिरी हुई हरकत करने की जरूरत है. मैं ट्विटर पर दिए गए उनके बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दूंगा. बेदी ने कहा कि मैंने नवदीप सैनी के बारे में कभी कुछ नकारात्मक नहीं कहा, इसके साथ ही अगर किसी ने कुछ हासिल किया है तो यह उसकी प्रतिभा है ना कि किसी और की वजह से.



भाजपा के पूर्व सांसद और उत्तर प्रदेश सरकार के मौजूदा मंत्री चेतन चौहान ने ट्वीट कर गंभीर को जवाब दिया. उन्होंने लिखा, ‘दिल्ली क्रिकेट संघ की नियमों के मुताबिक दूसरे राज्यों के क्रिकेटरों के लिए एक साल का कूलिंग पीरियड (इंतजार का समय) रखा गया है. इस मामले में प्रतिभा और क्षमता की बात ही नहीं है. खुद को महिमामंडित करने के लिए दूसरों को छोटा दिखाने की कोशिश मत करो.’



पीटीआई रिपोर्ट के अनुसार दोनों बेदी और चौहान जो डीडीसीए के सदस्य थे उन्होंने गौतम गंभीर को उस निर्णय को साफ मना कर दिया था जिसमें ये कहा गया था कि वो हरयाणा में जन्में सैनी को दिल्ली की रणजी टीम में लाना चाहते हैं. उस वक्त ये कहा गया था कि कैसे एक बाहरी खिलाड़ी को दिल्ली की टीम में लाया जा सकता है.

गौतम गंभीर, बेदी और चेतन चौहान पर ये विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है जहां साल 2013 में सेलेक्शन को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि अगर ये पूर्व खिलाड़ी चाहते तो नवदीन सैनी को पहले मौका मिल जाता.