IND vs BAN Test Series 2024: भारत बनाम बांग्लादेश दो टेस्ट मैचों की सीरीज 19 सितंबर से शुरू हो रही है. पहला टेस्ट मैच चेन्नई में खेला जाना है, जहां टीम इंडिया ने बैटिंग से लेकर बॉलिंग और फील्डिंग में भी अपनी तैयारियों को दुरुस्त करने का प्रयास शुरू कर दिया है. मगर पिछले दिनों चेन्नई में लाल मिट्टी की पिच का विषय खूब चर्चाओं में रहा है. क्रिकेट में ज्यादातर लाल और काली मिट्टी की पिच तैयार की जाती है, लेकिन इन दोनों में आखिर अंतर क्या है?


लाल मिट्टी


लाल मिट्टी की पिच कम पानी सोखती है और इसी कारण यह जल्दी सूखने भी लगती है. आपने देखा होगा कि टेस्ट मैचों में तीसरे और चौथे दिन तक पिच में बड़ी-बड़ी दरार पैदा हो जाती हैं, लाल मिट्टी अपनी शुष्क यानी सूखी प्रकृति के कारण जल्दी टूटने लगती है.


लाल मिट्टी की पिच पर मैच की शुरुआत में तेज गेंदबाजों को काफी उछाल मिलता है, मगर जैसे-जैसे मिट्टी में दरार आने लगती है वैसे-वैसे स्पिन गेंदबाजी में ज्यादा टर्न देखने को मिलता है. पहले 2 दिन बल्लेबाजों का वर्चस्व देखने को मिलने की संभावना होती है, लेकिन आखिरी 2-3 दिनों में स्पिन गेंदबाज हावी होने लगती है.


काली मिट्टी


जब काली मिट्टी की पिच तैयार की जाती है तो उसमें चिकनी मिट्टी की मात्रा अधिक होती है. लाल मिट्टी की तुलना में काली मिट्टी की पिच अधिक पानी सोखती है, जिसके कारण यह ज्यादा समय तक बिना दरार के समतल बनी रहती है. ऐसी पिच पर गेंद में असामान्य उछाल देखा जाना आम बात है, इसलिए बल्लेबाजों को काली मिट्टी की पिच पर खेलने से पहले सलाह दी जाती है कि शुरुआत में क्रीज पर ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करें. काली मिट्टी की पिच शुरुआत से ही स्पिन गेंदबाजी के अनुरूप साबित हो सकती है.


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