सेंचुरियन में दक्षिण अफ्रीकी टीम की दुर्दशा हुई. उसे 9 विकेट से हार का सामना करना पड़ा. पचास ओवर के मैच को टीम इंडिया ने 20-20 मैच बना दिया. भारत ने सिर्फ 20.3 ओवर में मैच जीत लिया. दक्षिण अफ्रीका ने भारतीय टीम को 119 रनों का लक्ष्य दिया था जो भारतीय टीम ने 1 विकेट खोकर 20.3 ओवर में हासिल कर लिया. वनडे सीरीज में भारत की ये लगातार दूसरी जीत है.


पिछले वनडे में भी भारत ने 6 विकेट से जीत हासिल की थी. उस मैच में भी भारत मैच खत्म होने से करीब पांच ओवर पहले ही जीत हासिल कर चुका था. ये दोनों ही जीत टीम इंडिया के लिए बहुत ‘कनविंसिंग’ रहीं. दक्षिण अफ्रीका के लिए इन दोनों वनडे मैचों में सबसे बड़ी मुसीबत भारतीय स्पिनर्स रहे हैं.


सेंचुरियन में मेजबानों की दुर्दशा के पीछे भी भारतीय स्पिनर्स ही थे. यजुवेंद्र चहल और कुलदीप यादव की जोड़ी ने मिलकर 8 विकेट लिए. दक्षिण अफ्रीका के पांच बल्लेबाज दहाई के आंकड़े तक को नहीं छू पाए. भारतीय स्पिनर्स के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाजों की जो रणनीति रही उसे देखकर हर कोई यही सवाल उठा रहा है कि क्या भारतीय स्पिनर्स का सामना करने के लिए दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज तैयार नहीं हैं.


यजुवेंद्र चहल और कुलदीप यादव की ‘खतरनाक’ जोड़ी
सेंचुरियन में यजुवेंद्र चहल ने 8.2 ओवर में 22 रन देकर 5 विकेट लिए. सेंचुरियन में उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया. करियर में पहला मौका है जब उन्होंने पांच विकेट चटकाए हैं. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एक मैच में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी के मामले में वो अब भारत के दूसरे सबसे कामयाब स्पिनर बन गए हैं. कुलदीप यादव ने 6 ओवर में 20 रन देकर 3 विकेट लिए. दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाजों में हाशिम अमला को छोड़ कर बाकी सभी बल्लेबाजों को स्पिनर्स ने आउट किया. पिछले मैच में भी भारतीय स्पिनर्स ने 5 विकेट लिए थे. 







ये बात नहीं भूलनी चाहिए कि सेंचुरियन में दक्षिण अफ्रीका के दो नामी गिरामी बल्लेबाज एबी डीविलियर्स और फाफ ड्यूप्लेसी टीम में नहीं थे. दोनों ही बल्लेबाज चोट की वजह से टीम से बाहर हैं. दोनों ही अनुभवी बल्लेबाज हैं और स्पिन के खिलाफ अच्छी बल्लेबाजी करते हैं. इन दोनों की गैरमौजूदगी में मेजबान टीम की बल्लेबाजी बिखरती नजर आई. यजुवेंद्र चहल और कुलदीप यादव दोनों ही ‘रिस्ट-स्पिनर’ हैं यानी कलाई की मदद से गेंद को घुमाते हैं. लेकिन दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों के पास उनका कोई तोड़ नहीं था.


क्रिकेट का इतिहास जोड़ी में गेंदबाजों की कामयाबी से भरा पड़ा है. चाहे वो तेज गेंदबाज हों या स्पिनर्स. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि टीम इंडिया को वनडे में वो खतरनाक जोड़ी मिल गई है जो काफी समय तक राज करेगी.


क्या खास है चहल और यादव की गेंदबाजी में
यजुवेंद्र चहल और कुलदीप यादव की सबसे बड़ी खासियत है बेखौफ होकर गेंदबाजी करना. दोनों ही गेंदबाज इस बात की बिल्कुल फिक्र नहीं करते हैं कि उनकी गेंदों पर चौके-छक्के पड़ जाएंगे तो क्या होगा? कप्तान विराट कोहली ने भी इन दोनों गेंदबाजों में इस बात का भरोसा जगाया है कि वो रनों की परवाह किए बिना सिर्फ विकेट लेने पर ध्यान दें. उनका ये भरोसा इन दोनों की गेंदबाजी में साफ दिखता है. चहल और यादव दोनों गेंद के साथ हर मुमकिन एक्सपेरीमेंट करते हैं. लेंथ के साथ, रफ्तार के साथ. मकसद सिर्फ विकेट लेना होता है. रन बचाना नहीं.


सुनील गावस्कर कहते हैं कि विराट कोहली इस बात के लिए भी मानसिक तौर पर तैयार दिखते हैं कि किसी रोज हो सकता है कि इन दोनों ही गेंदबाजों की जमकर धुनाई हो जाए लेकिन उन्हें पता है कि ऐसे मौके कम आएंगे, ज्यादा मौके ऐसे ही होंगे जब इन दोनों की बदौलत टीम को जीत मिलेगी. इन दोनों गेंदबाजों की इन्हीं खूबियों की बदौलत उन्हें वनडे टीम में पक्की जगह मिली है. 







आर अश्विन और रवींद्र जडेजा की गिनती अब वनडे टीम में नहीं की जाती है. देखा जाए तो टेस्ट सीरीज में अश्विन के खिलाफ भी दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज बहुत सहज नहीं दिखे थे. एक खास बात और भी है कि शायद भारतीय क्रिकेट इतिहास में ऐसा इक्का दुक्का बार ही हुआ होगा जब टेस्ट और वनडे टीम के स्पिनर्स बिल्कुल अलग अलग तौर तरीके के हों. वरना ज्यादातर ये होता था कुछ ही स्पिन गेंदबाज होते थे जो टेस्ट और वनडे दोनों खेलते थे. इसी वेराइटी का फायदा भारतीय टीम को मिल रहा है.