एक लंबा दौर ऐसा रहा जब भारत पाकिस्तान के हर मैच से पहले आपने ये लाइन जरूर सुनी होगी कि मैच में भारतीय बल्लेबाज बनाम पाकिस्तानी गेंदबाजों की लड़ाई देखने को मिलेगी. ये लड़ाई आज की नहीं है. फजल महमूद, इमरान खान, सरफराज नवाज, वसीम अकरम, वकार यूनिस से लेकर शोएब अख्तर और इस तरफ अजीत वाडेकर, सुनील गावस्कर, श्रीकांत, मोहिंदर अमरनाथ, अंशुमान गायकवाड़, सचिन तेंडुलकर से लेकर विराट कोहली तक चलती रही. 



 



कई बरसों का इतिहास बताता है कि गेंदबाज हमेशा पाकिस्तान के ही बेहतर माने गए. यही वजह थी कि हर बार मुकाबले को भारतीय बल्लेबाजों के इम्तिहान के तौर पर देखा गया. दिलचस्प बात ये है कि पिछले कुछ महीनों ने क्रिकेट फैंस की इस पारंपरिक सोच को बदलने के लिए मजबूर कर दिया है. हाल के दिनों में भारतीय गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया है. तेज गेंदबाजों के प्रदर्शन में एक निरंतरता आई है. 



 



साथ ही साथ उनकी रफ्तार भी 145 के आस पास है. तेज गेंदबाजों के लिए तरसती रही टीम इंडिया की हालिया कामयाबियों में उसके तेज गेंदबाजों का जबरदस्त रोल है. यही वजह है कि इस बार का मुकाबला भारतीय गेंदबाज बनाम पाकिस्तानी गेंदबाज है. बल्लेबाजी में तो भारतीय टीम हर हाल में पाकिस्तान से बीस है. ऐसे में चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब उस टीम के खाते में जाएगा जिसके गेंदबाज रविवार को ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करेंगे.



   



भारतीय तेज गेंदबाजों की तिकड़ी



  



भुवनेश्वर कुमार, उमेश यादव, जसप्रीत बुमराह ने हाल के दिनों में शानदार गेंदबाजी की है. भुवनेश्नर कुमार और जसप्रीत बुमराह की इकॉनमी रेट पांच से काफी कम है. भुवी ने 6 विकेटें भी ली हैं. ये विराट कोहली की किस्मत ही है कि हार्दिक पांड्या के तौर पर उन्हें एक ऐसा ऑलराउंडर मिल गया है जो ताबड़तोड़ बल्लेबाजी के साथ साथ 145 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी भी करता है. 



 



हार्दिक पांड्या भी इस टूर्नामेंट में 3 विकेट ले चुके हैं. विराट कोहली की कप्तानी में इन तेज गेंदबाजों को एक अलग किस्म का आत्मविश्वास मिला है. इस टूर्नामेंट में भारतीय गेंदबाजी की जितनी चर्चा हुई है उतनी किसी भी टीम की नहीं हुई. टीम के कोच के तौर पर अनिल कुंबले का होना अहमियत रखता है. एक गेंदबाज होने के नाते उन्होंने गेंदबाजी यूनिट पर अलग ही ‘फोकस’ किया है. जिसका नतीजा ये है कि विराट के पास आज तेज गेंदबाजों को लेकर ‘ऑप्शन’ रहता है. तेज गेंदबाजों में ‘रोटेशन’ भी देखने को मिला है. जिसका एक सकारात्मक पक्ष ये है कि अब टीम के तेज गेंदबाज अपनी रफ्तार को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं करते हैं. लाइन लेंथ पर भारतीय टीम के गेंदबाजों ने जबरदस्त मेहनत की है. श्रीलंका के खिलाफ एक मैच को छोड़ दिया जाए तो भारतीय गेंदबाजों ने वॉर्म अप से लेकर लीग मैचों में जबरदस्त प्रदर्शन किया है.



 



पाकिस्तान के तेज गेंदबाज भी करेंगे हमला



 



पाकिस्तान पारंपरिक तौर पर तेज गेंदबाजों का देश रहा है. इस बार भी सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में उनकी टीम के हसन अली सबसे आगे हैं. हसन अली 4.52 की इकॉनमी से 4 मैचों में 10 विकेट ले चुके हैं. दर्द की वजह से इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में प्लेइंग 11 से बाहर रहे मोहम्मद आमिर भी फिट हैं. वहाब रियाज के टूर्नामेंट से बाहर होने की वजह से पाकिस्तान को झटका जरूर लगा लेकिन उस कमी को उन्होंने पूरा कर लिया. 



 



आपको याद दिला दें कि वहाब रियाज भारत के खिलाफ मैच के दौरान चोटिल हो गए थे. पाकिस्तान ने सेमीफाइनल में रूमान रईस को भी मौका दिया था. एक बड़े मैच से वनडे करियर की शुरूआत करने वाले रूमान रईस ने 9 ओवर में 44 रन देकर 2 विकेट चटकाए थे.



 



पिच के बेहतर इस्तेमाल से होगा फैसला 



 



चैंपियंस ट्रॉफी के अभी तक के सभी मैचों में बैटिंग के मुफीद पिचें देखने को मिली हैं. गेंदबाजों को ना के बराबर ‘स्विंग’ मिल रही है. यही वजह है कि तेज गेंदबाजों को अपेक्षाकृत ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है. फाइनल में भी जिस टीम के गेंदबाज अपनी लाइन लेंथ और पिच के मिजाज को देखकर गेंदबाजी करेंगे उनका पलड़ा भारी होगा.