दरअसल ये बड़ा अनोखा रिकॉर्ड है जो विराट कोहली के नाम के साथ दर्ज है. विराट कोहली ने अब तक बतौर कप्तान जो 38 टेस्ट मैच खेले हैं उनमें हर बार उन्होंने टीम में बदलाव किया है. इस बदलाव का टीम की जीत हार से लेना देना नहीं है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि ‘विनिंग कॉम्बिनेशन’ को छेड़ने में भी विराट कोहली कभी हिचके नहीं हैं. उन्होंने बतौर कप्तान अपने करियर में क्रिकेट की उस पुरानी कहावत को कई बार चुनौती दी है कि ‘विनिंग कॉम्बिनेशन’ को छेड़ना नहीं चाहिए.


विराट कोहली के लिए शायद ये कोई लकी चार्म या टोटका है. इस सीरीज के भी तीन मैचों में उन्होंने अलग अलग प्लेइंग 11 को मौका दिया है. पहले टेस्ट में उमेश यादव और दूसरे टेस्ट में कुलदीप यादव को प्लेइंग 11 में मौका देने के बाद उन्होंने अगले टेस्ट की टीम में बदलाव कर दिया था. ये दोनों बदलाव कितने सही और कितने गलत थे इस पर चर्चा किए बिना ये जरूर कहा जा सकता है कि कई बार ऐसा लगता है कि विराट कोहली अपनी टीम की जरूरत के लिए नहीं बल्कि अपने टोटके के लिए टीम में बदलाव करते हैं.


यही वजह है कि इस बात का डर है कि कहीं साउथैंप्टन में होने वाले चौथे टेस्ट मैच के लिए भी विराट कोहली टीम में कोई बेवजह बदलाव ना कर दें. हां, बदलाव की एक गुंजाइश जरूर बनती है. वो है आर अश्विन. 







आर अश्विन को दे सकते हैं आराम
आर अश्विन को नॉटिंघम में तकलीफ थी. उन्हें कूल्हों में दर्द था. वो बीच में मैदान छोड़कर भी गए. हालांकि दूसरी पारी में उन्होंने 22.5 ओवर गेंदबाजी की. इसका एक ही मतलब है कि या तो आर अश्विन को उनकी तकलीफ में आराम मिला या फिर उन्होंने दर्द को दूर करने की कोई दवा या इंजेक्शन लेकर गेंदबाजी की. नॉटिंघम टेस्ट मैच की दूसरी पारी में वो भारत की तरफ से सबसे ज्यादा ओवर फेंकने वाले दूसरे गेंदबाज थे. आर अश्विन ने अब तक सीरीज के सभी तीन टेस्ट मैच खेले हैं. इन तीन टेस्ट मैचों में उन्होंने 8 विकेट लिए हैं. इसके अलावा उन्होंने 100 रन भी बनाए हैं.


कम स्कोर वाले मैचों में निचले क्रम में आर अश्विन की बल्लेबाजी बहुत काम आती है. यूं तो अभी टेस्ट मैच में 4 दिन का वक्त बाकी है लेकिन अगर इसके बाद भी आर अश्विन पूरी तरह फिट नहीं होते हैं तो उन्हें प्लेइंग 11 में शामिल करने का ‘रिस्क’ कप्तान कोहली शायद ही लेंगे. ऐसे में विराट कोहली प्लेइंग 11 में रवींद्र जडेजा को शामिल कर सकते हैं. रवींद्र जडेजा को अभी तक सीरीज के एक भी मैच में मौका नहीं मिला है. जडेजा बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाजी के अलावा मध्यक्रम में बल्लेबाजी कर अपनी उपयोगिता साबित कर सकते हैं.


अश्विन के अलावा कोई और बदलाव संभव नहीं
नॉटिंघम टेस्ट मैच की प्लेइंग 11 में कोई और बदलाव संभव नहीं दिखता. उस टेस्ट मैच में जीत की वजह थी टीम का ‘कम्बाइंड एफर्ट’. टीम की जीत के लिए हर एक खिलाड़ी ने ताकत लगाई और नतीजा सकारात्मक रहा. बल्लेबाजों में शिखर धवन और केएल राहुल ने संभली शुरूआत की. चेतेश्वर पुजारा ने दूसरी पारी में अर्धशतक लगाया. अजिंक्य रहाणे ने पहली पारी में शानदार अर्धशतक लगाया. ऋषभ पंत ने शानदार विकेटकीपिंग के साथ साथ बल्ले से भी योगदान दिया.


हार्दिक पांड्या ने पहली पारी में पांच विकेट चटकाए. मोहम्मद शमी ने लगातार बल्लेबाजों को मुश्किल में डालते रहे. बुमराह ने पहली पारी में 2 और दूसरी पारी में 5 विकेट लिए. ईशांत शर्मा ने टेस्ट मैच में चार विकेट लिए. उन्होंने इंग्लिश टीम के टॉप ऑर्डर को जमने नहीं दिया. विराट कोहली के फॉर्म की तो धूम पूरे मैच में रही. जाहिर है तीसरे टेस्ट मैच में 203 रनों से मिली जीत में हर कोई हीरो था. विराट कोहली शायद ही खुद को मिलाकर इन 10 खिलाड़ियों में किसी तरह का बदलाव करना चाहें. बशर्ते उन्हें कोई टोटका अपनी तरफ ना खींच ले.