आज एक आम क्रिकेट प्रेमी क्रिकेट मैच को क्रिकेट मैच की तरह देखना नहीं चाहता. देखेगा भी नहीं. हो सकता है कि हैदराबाद के समर्थकों में से भी कुछ लोग धोनी को जीतते देखना चाहते हों. धोनी चेन्नई के अलावा किसी और भी टीम की कप्तानी कर रहे होते तो भी लोग धोनी का साथ देते. ऐसा क्यों? इस सवाल का पहला जवाब तो स्वाभाविक तौर पर यही है कि लीग ‘इंडियन’ है तो इसे क्यों ना एक ‘इंडियन’ कप्तान जीते.


लेकिन सच इससे कहीं आगे का है. सच ये है कि एक आम हिंदुस्तानी धोनी को जीतते देखना चाहता है. एक आम क्रिकेट फैन खुद को धोनी से ‘कनेक्ट’ करता है. ऐसा नहीं है कि धोनी करोड़ों क्रिकेट फैंस से जाकर मिले हैं लेकिन करोड़ों क्रिकेट फैंस को लगता है कि धोनी उनके ही बीच के हैं. इसके पीछे है धोनी की कहानी. उनके संघर्ष. उनका पारिवारिक ‘बैकग्राउंड’. एक छोटे से शहर से निकलकर टीम इंडिया में जगह बनाना. जगह मिलने के बाद धमाका करना. कप्तानी हासिल करना. टीम को कामयाब बनाना. ये कुछ बातें हैं जो लोगों में धोनी को लेकर एक प्यार जगाती हैं. इस देश के क्रिकेट प्रेमियों को धोनी को ‘महानता’ की कसौटी पर नहीं बल्कि ‘प्यार और स्नेह’ की कसौटी पर परखा है.


जाहिर है आज जब दो साल के बैन के बाद उनकी टीम चेन्नई सुपरकिंग्स आईपीएल के इस सीजन के फाइनल में पहुंची है तो करोड़ों भारतीय अपने सबसे चहेते खिलाड़ी को जीतते देखना चाहते हैं. ये प्यार धोनी ने अपने खेल से कमाया है. अगर बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन को धोनी का ‘गॉडफादर’ मान भी लिया जाए तो ये नहीं भूलना चाहिए कि जब वो धोनी के ‘गॉडफादर’ बने उससे कहीं पहले धोनी ने विश्व क्रिकेट में अपनी साख बना ली थी. आमलोगों में धोनी को लेकर जो प्यार है उसके पीछे उन पर बनी फिल्म भी है. जिससे उनकी पहुंच और व्यापक हुई है. क्रिकेट में दिलचस्पी ना रखने वालों को भी पता है कि धोनी का संघर्ष कितना व्यापक रहा है. 


बड़ी कामयाबियों के चलते धोनी को मिला प्यार
धोनी को हमेशा एक ऐसे कप्तान के तौर पर देखा गया जो जीतने पर इतराते नहीं और हारने पर घबराते नहीं. उन्हें प्रयोग करने में मजा आता है. वो अनप्रेडिक्टेबल हैं. वो टी-20 फाइनल में जोगिंदर सिंह से गेंदबाजी करा सकते हैं. वो वर्ल्ड कप फाइनल में खुद बल्लेबाजी करने पहले आ सकते हैं. वो निडर हैं. उन्हें अपनी आलोचना से डर नहीं लगता. इसीलिए जब वो टी-20 वर्ल्ड कप जीत लेते हैं, 2011 का वर्ल्ड कप जीत लेते हैं तो उन्हें मिस्टर कूल, मिस्टर सुपरकूल जैसी उपमाएं मिलती हैं. उनके ‘एक्स फैक्टर’ का हर कोई दीवाना हो जाता है.


वही धोनी जब आईपीएल खेलने आते हैं तो अलग अलग देशों के खिलाड़ियों के साथ भी वैसा ही सामंजस्य बिठा लेते हैं जैसे उनके साथ लंबे समय तक खेले हों. अब तक खेले गए 11 सीजन में से 2 सीजन में चेन्नई की टीम प्रतिबंध की वजह से खेली नहीं थी. बचे रह गए 9 सीजन में से 7 सीजन में चेन्नई की टीम ने फाइनल के लिए क्वालीफाई किया है जो ये बताता है कि धोनी किस कमाल मिट्टी के बने कप्तान हैं. 2 बार उनकी टीम चैंपियन भी बन चुकी है. चेन्नई की टीम को भले ही स्पॉट फिक्सिंग के मामले के बाद दो साल के लिए बैन किया गया था लेकिन अब जबकि धोनी की टीम ने वापसी की है तो उसके साथ लोगों का ‘कनेक्ट’ गजब का है. 







इस सीजन में धोनी और सीएसके का प्रदर्शन
धोनी की टीम इस सीजन में सबसे उम्रदराज टीमों में शुमार है. इक्का दुक्का खिलाड़ियों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर खिलाड़ी 35 साल से ज्यादा के हैं. धोनी खुद भी इसमें शामिल हैं. बावजूद इसके उनकी टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है. उन्हें फाइनल तक पहुंचने के लिए किसी तरह का संघर्ष नहीं करना पड़ा. संघर्ष से आशय ये है कि उन पर टूर्नामेंट से बाहर होने का खतरा कभी नहीं था.


धोनी ने पूरे सीजन में टीम को फ्रंट सी लीड किया है. वो इस सीजन में अब तक 15 मैचों में 455 रन बना चुके हैं. इसमें 3 हाफ सेंचुरी शामिल हैं. उनका स्ट्राइक रेट 150 से ज्यादा का है. बतौर विकेटकीपर भी उनका प्रदर्शन शानदार रहा है. इस सीजन में लीग मैच से लेकर पहले क्वालीफायर तक हर मैच में चेन्नई ने हैदराबाद को मात दी है. आज करोड़ों हिदुस्तानी धोनी के माथे पर एक और जीत का सेहरा देखना चाहते हैं.