BLOG: क्या धोनी को मिल गई सत्रह की संजीवनी?
आज क्रिकेट की दुनिया में धोनी की जमकर चर्चा हो रही है. उन्होंने पुणे में कल जिस अंदाज में बल्लेबाजी की उसके बाद ये तारीफ स्वाभाविक भी है. इस तारीफ की एक बड़ी वजह ये भी है कि धोनी के फैंस को अब बोलने का मौका मिला है.
सीजन की शुरूआत में धोनी से कप्तानी लिए जाने और उसके बाद धोनी को लेकर टीम मालिक के बयानों और प्रतिक्रियाओं का दौर लंबा चला है. इन बातों के मद्देनजर कल सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ 34 गेंद पर 61 रनों की उनकी मैच विनिंग पारी बहुत खास है.
इस पारी में धोनी ने 5 चौके और 3 छक्के लगाए. उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया. ये सच है कि इस सीजन में ये धोनी का पहला धमाका है लेकिन इस धमाके की गूंज दूर तक सुनाई दे रही है.
क्या कल की पारी है 2017 की संजीवनी?
इससे पहले भी कई बार धोनी को बीते कल का स्टार बताने की कोशिश की गई. उनके बल्ले की धार और वार दोनों को कमजोर होता बताया गया. ये अलग बात है कि धोनी हर बार सबको गलत साबित करते चले गए.
भारतीय क्रिकेट फैंस की आंखों में जाने कितने ऐसे लम्हें कैद हैं जब धोनी ने आखिरी ओवर में टीम के लिए ‘मैच फिनिश’ किया है. इसमें 2011 की एतिहासिक विश्व कप जीत भी शामिल है. आईपीएल के तुरंत बाद भारतीय टीम को चैंपियंस ट्रॉफी खेलने के लिए इंग्लैंड जाना है.
इसके बाद 2019 में विश्व कप भी है. कुछ समय पहले एक पूर्व चयनकर्ता ने कहा था कि धोनी चैंपियंस ट्रॉफी में अपनी फॉर्म और फिटनेस के बाद आगे का रास्ता तय करेंगे. इस ‘प्लानिंग’ में धोनी का आत्मविश्वास बहुत जरूरी है.
हैदराबाद के खिलाफ मैच में जिस तरह की बल्लेबाजी धोनी ने की है उसके बाद उनका आत्मविश्वास निश्चित तौर पर बढ़ेगा. बहुत हद तक संभव है कि अगले कुछ महीनों की प्लानिंग की नींव कल के मैच में पड़ गई हो.
बहुत तेज काम करता है धोनी का रडार
सालों साल से धोनी के हेलीकॉप्टर शॉट की चर्चा होती आई है. दरअसल उस हेलीकॉप्टर शॉट से पहले धोनी के रडार को समझना होगा. जिस तरह रडार अंतरिक्ष में आने जाने वाले यंत्रों की सटीक जानकारी लगा लेता है वैसे ही धोनी का रडार गेंदबाज के हाथ से गेंद के निकलने के बाद उसकी सटीक जानकारी लगा लेता है.
हैदराबाद के खिलाफ मैच के दौरान धोनी की बल्लेबाजी को ध्यान से याद कीजिए. उन्होंने अपनी बल्लेबाजी के दौरान ज्यादातर शॉट्स ‘लॉंग ऑन’ और ‘मिडविकेट’ की दिशा में खेले. एकाध कट और एकाध फ्लिक शॉट को छोड़ दिया जाए तो उनका पूरा जोर अपने ‘एरिया’ में खेलने पर रहा. गेंदबाजों से भी यही चूक हुई कि वो धोनी को उन्हीं ‘एरिया’ में गेंद फेंकते चले गए जहां वो चाहते थे. इसके बाद का काम तो धोनी का रडार करता चला गया.
टीम मालिकों को दिया संदेश
पुणे की टीम के मालिकों को निश्चित तौर पर धोनी की इस पारी से संदेश मिला होगा. उन्हें ये समझ आना चाहिए कि धोनी भारतीय क्रिकेट का बहुत बड़ा नाम हैं. ऐसे में उन्हें लेकर अनावश्यक टिप्पणी करने का कोई फायदा नहीं है.
इस बात से शायद ही कोई इंकार करेगा कि धोनी कभी माइलस्टोन्स के पीछे नहीं भागे. उन्होंने 199 वनडे मैचों में भारत की कप्तानी की. वो बतौर कप्तान एक और वनडे खेल सकते थे. 200 वनडे मैचों में कप्तानी कर सकते थे. लेकिन धोनी को लगा कि वनडे की कप्तानी छोड़ देनी चाहिए तो उन्होंने छोड़ दी. इससे पहले टेस्ट क्रिकेट में भी उन्होंने बड़ा फैसला किया था. पुणे के टीम मालिकों को ये भूलना नहीं चाहिए कि धोनी भारत के सबसे कामयाब कप्तान हैं.
धोनी भारत के इकलौते ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने वनडे फॉर्मैट के तीनों बड़े टूर्नामेंट जीते हैं. 2007 में धोनी की कप्तानी में भारत ने टी20 वर्ल्ड कप जीता. 2011 में धोनी ने टीम इंडिया को वनडे क्रिकेट का वर्ल्ड चैम्पियन बना दिया और 2013 में धोनी का कप्तानी में ही भारत ने आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी भी जीती थी. साल 2010 में टेस्ट क्रिकेट में भी धोनी ने टीम इंडिया को टेस्ट की नंबर एक टीम बना दिया. ऐसे में बेहतर यही होगा कि धोनी का उचित सम्मान दिया जाए. जिसके वो हकदार हैं.