महान वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन का सिद्धांत ‘सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट’ कहता है कि दुनिया में उन्हीं जिराफों की प्रजातियां बची रहीं जिन्होंने अपने भोजन के लिए ऊंचे-ऊंचे पेडों की पत्तियों को भी कठिन प्रयास करके अपना पेट भरा. जिराफ तो एक उदारहण भर है. असल में ये फॉर्मूला जिंदगी के तमाम पहलुओं पर लागू होता है. विश्व कप के लिए टीम इंडिया के चयन पर भी ये फॉर्मूला लगता है. टीम के एलान के बाद से इसी बात पर चर्चा है कि अंबाती रायडू और ऋषभ पंत को टीम में क्यों नहीं चुना गया. इस सवाल का जवाब बहुत आसान है.
अंबाती रायडू अनलकी रहे कि कप्तान विराट कोहली को उनसे बेहतर विकल्प मिल गया. जबकि ऋषभ पंत ने हाथ आए मौके का फायदा ही नहीं उठाया. उन्हें विश्व कप की गंभीरता नहीं समझ आई. विश्व कप चार साल में एक बार होता है. अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले हर खिलाड़ी की चाहत होती है कि वो अपने देश के लिए विश्व कप जरूर खेले. लेकिन ऋषभ पंत की इस चाहत को पूरा होने में अभी वक्त लगेगा. उम्र के लिहाज से भले ही उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है लेकिन चार साल का समय बहुत लंबा होता है. स्थितियां बदलते देर नहीं लगती है. ऋषभ पंत को शायद ये बात अब समझ आ रही होगी.
अंबाती रायडू रहे सबसे ज्यादा अनलकी
विश्व कप के लिए नंबर चार पर अंबाती रायडू की दावेदारी सबसे ज्यादा मजबूत थी. पिछले साल विराट कोहली ने कह भी दिया था कि अब नंबर चार पर उन्हें एक मजबूत विकल्प मिल गया है. जो मैच के हालात के हिसाब से बल्लेबाजी में सक्षम है. रायडू अच्छी फॉर्म में भी थे. मुसीबत तब हुई जब विराट कोहली ने विजय शंकर को आजमाया. विजय शंकर के शुरूआती कुछ मैच बिल्कुल अच्छे नहीं रहे. निहदास ट्रॉफी में तो वो विलेन बनते बनते बच गए. लेकिन किस्मत का पासा पलटा, विजय शंकर ने कुछ अच्छी पारियां खेलीं. मामला यहां तक भी अंबाती रायडू के पक्ष में था.
लेकिन जब विजय शंकर ने अच्छी गेंदबाजी भी की तो बाजी पलटने लगी. विराट कोहली का मन बदलने लगा. उन्हें कप्तान के तौर पर अपनी टीम की जरूरतों के हिसाब से विजय शंकर ज्यादा बेहतर विकल्प लगने लगे. इंग्लैंड की पिचों पर विजय शंकर जैसा गेंदबाज पांच-छह ओवर भी फेंक दे तो टीम की ताकत बढ़ती दिखी. हार्दिक पांड्या के साथ एक और ऑलराउंडर मिल गया. इसके अलावा नंबर चार पर बल्लेबाजी करने के लिए तो वो तैयार थे ही. इसी विकल्प ने विराट कोहली को रायडू की बजाए विजय शंकर को तरजीह देने के लिए मजबूर किया. जो व्यवहारिकता की कसौटी पर सही भी है.
ऋषभ पंत ने गंवाया मौका
दिनेश कार्तिक को जब वनडे टीम से ड्रॉप किया गया था तो तय लगने लगा था कि वो विश्व कप की स्कीम से बाहर हैं. ऋषभ पंत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज के आखिरी दो मैचों में मौका दिया गया. इन दोनों मैचों में उन्होंने विकेटकीपर या बल्लेबाज किसी भी रोल में असर नहीं दिखाया. उनके खेल में अपरिपक्वता साफ समझ आई. आईपीएल में भी उन्होंने कुछ ऐसी पारियां खेलीं जो उनकी टीम को दिक्कत में डाल सकती थीं. रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के खिलाफ 7 अप्रैल को खेले गए मैच में दिल्ली को जीत के लिए 150 रन बनाने थे. सब कुछ ठीक चल रहा था. दिल्ली की टीम सौ रनों के पार पहुंच चुकी थी. 145 रन थे स्कोरबोर्ड पर जब श्रेयस अय्यर आउट हुए. ये दिल्ली का चौथा विकेट था. इसी स्कोर पर क्रिस मॉरिस भी आउट हो गए. अभी 12 गेंद बची हुई थी.
ऋषभ पंत से उम्मीद थी कि वो आराम से शॉट्स खेलकर टीम को जीत दिलाएंगे. लेकिन दो गेंद बाद वो भी अपनी अति आक्रामकता के चक्कर में गलत शॉट खेलकर पवेलियन लौट गए. अचानक दिल्ली की टीम दबाव में दिखने लगी. वो तो जीत के लिए सिर्फ पांच रन चाहिए थे वरना मैच दिल्ली के हाथ से निकल सकता था. यही बातें ऋषभ पंत के खिलाफ गईं. ये बात अब उन्हें भी समझ आ रही होगी कि आक्रामकता क्रीज पर टिककर दिखाई जाती है पवेलियन में बैठकर नहीं.
BLOG: क्यों नहीं चुने गए अंबाती रायडू और ऋषभ पंत?
ABP News Bureau
Updated at:
16 Apr 2019 02:13 PM (IST)
अंबाती रायडू अनलकी रहे कि कप्तान विराट कोहली को उनसे बेहतर विकल्प मिल गया.
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