इस चर्चा की शुरूआत खुद टीम के कोच रवि शास्त्री ने की थी. जिसके ‘बैकग्राउंड’ में दो मैचों की कहानी है. पहले वो कहानी याद कर लेते हैं. पिछले महीने की ही बात है. भारतीय टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज का चौथा मैच खेल रही थी. हैमिल्टन का विकेट अपेक्षाकृत स्विंग कर रहा था. ट्रेंट बोल्ट ने टीम इंडिया के टॉप ऑर्डर की बखिया उधेड़ दी. 40 रन पर भारतीय टीम 7 विकेट गंवा चुकी थी. पूरी टीम से ले-देकर 92 रन स्कोरबोर्ड पर जुड़ पाए. इसमें भी 35 रनों तक पहुंचते पहुंचते टॉप ऑर्डर के सारे बल्लेबाज वापस पवेलियन लौट गए थे. इसमें रोहित शर्मा, शिखर धवन, अंबाती रायडू और दिनेश कार्तिक जैसे नाम शामिल हैं.


अगले मैच में भी कुछ ऐसा ही हुआ. 18 रन पर टीम इंडिया के चार बल्लेबाज पवेलियन लौट चुके थे. इस बार आउट होने वाले बल्लेबाजों में रोहित शर्मा, शिखर धवन, शुभमन गिल और महेंद्र सिंह धोनी थे. हालांकि इसके बाद अंबाती रायडू, विजय शंकर, केदार जाधव और हार्दिक पांड्या ने मिलकर टीम का स्कोर ढाई सौ के पार पहुंचा दिया. इसके बाद शानदार गेंदबाजी की बदौलत भारतीय टीम ने वो मैच जीत भी लिया लेकिन इन दो मैचों में टॉप ऑर्डर की दुर्दशा देखकर बतौर कोच रवि शास्त्री ने एक नई थ्योरी रखी.


विराट को नंबर चार पर उतारने की तैयारी !
रवि शास्त्री ने हालांकि साफ तौर पर कहा था कि वो देशों की सीरीज को लेकर भले ही चिंतित नहीं है लेकिन विश्व कप के मैचों में वो विराट कोहली को नंबर चार पर खिला सकते हैं. ऐसा इसलिए जिससे अगर किसी खास मैदान में गेंदबाजों को अतिरिक्त मदद मिल रही है तो उसके सामने एक के बाद एक अपने सभी टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों को क्यों ‘एक्सपोज’ करना. सलामी बल्लेबाजों की जोड़ी को छेड़ने का कोई फायदा नहीं है. इसलिए रवि शास्त्री का प्लान है कि जरूरत पड़ने पर विराट कोहली नंबर चार पर खेलने जा सकते हैं.


ऐसे में अंबाती रायडू नंबर तीन पर बल्लेबाजी करेंगे. रवि शास्त्री की राय थी कि बड़े टूर्नामेंट्स में आप कभी नहीं चाहेंगे कि 18 रन पर तीन विकेट या 16 रन पर चार विकेट का स्कोर हो. जिसमें वो अपनी टीम के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज को खो चुके हों. जाहिर है उनका मतलब विराट कोहली से है. लिहाजा बेहतर होगा कि शुरूआती आक्रमण और पिच के सेटल होने तक विराट कोहली को बचा लिया जाए. अब अगर विश्व कप के मैचों में इस रणनीति को आजमाना है तो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में इस प्रयोग को करके देखना होगा. सीधे विश्व कप में ये प्रयोग करना उलटा पड़ सकता है. 







क्या विराट को नंबर चार पर उतरना चाहिए
ये सवाल बहुत अहम है. नंबर तीन और नंबर चार पर बल्लेबाजी करने वाले बल्लेबाज का ‘टेंपरामेंट’ अलग होता है. एक का काम नींव तैयार करना है और दूसरे का उस नींव पर मजबूत इमारत बनाने का. ऐसा नहीं है कि विराट कोहली नंबर चार पर बल्लेबाजी नहीं कर सकते हैं. वो ये जिम्मेदारी पहले भी निभा चुके हैं. नंबर चार पर उनके रिकॉर्ड्स भी अच्छे हैं. नंबर चार पर अब तक खेले गए 40 मैचों में उन्होंने 58.13 की औसत से 1744 रन बनाए हैं. नंबर चार पर उनका 58.13 का औसत उनके करियर औसत 59.5 से जरा सा ही कम है. इस क्रम पर बल्लेबाजी करके उन्होंने सात शतक भी लगाए हैं.


बावजूद इसके मौजूदा भारतीय टीम के बल्लेबाजी क्रम को देखते हुए विराट कोहली के नंबर चार पर खेलने की आवश्यक्ता है नहीं. बड़ी से बड़ी टीम के साथ ये होता रहा है कि इक्का दुक्का मैचों में उसकी बल्लेबाजी में ‘कलेक्टिव फेल्योर’ देखने को मिलता है. असल में रणनीति उस ‘कलेक्टिव फेल्योर’ से बचने की होनी चाहिए. सिर्फ विराट कोहली को बचा कर भी कुछ नहीं होगा अगर विकेट के दूसरे छोर पर विकेट गिरते रहे. आखिरी फैसला विराट कोहली को ही करना है. वो ना सिर्फ टीम के कप्तान हैं बल्कि उनकी रवि शास्त्री से अच्छी ‘अंडरस्टैंडिंग’ है. अगर विराट इस बदलाव के लिए तैयार हैं तो फिर कंगारुओं के खिलाफ इस प्रयोग को पहले आजमाना होगा.