Nitish Kumar Reddy Success Story: 21 वर्षीय युवा क्रिकेटर नितीश कुमार रेड्डी के लिए भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाना सिर्फ एक खेल नहीं बल्कि परिवार के सम्मान की लड़ाई थी. उनके टखने पर बना 'अकिलीज हील' टैटू पिछले 10 सालों की कठिनाइयों और संघर्षों का प्रतीक है. नितीश ने अपने पिता मुत्याला रेड्डी को वह सम्मान वापस दिलाने की कसम खाई, जो उन्होंने परिवार की आर्थिक कठिनाइयों के कारण खो दिया था. जून के महीने में पीटीआई से बात करते हुए नितीश ने अपने परिवार के संघर्ष के दिनों की कहानी सुनाई थी.


12 साल की उम्र में नितीश ने रिश्तेदारों से अपने पिता का अपमान होते सुना था. नितीश के पिता मुत्याला रेड्डी ने हिंदुस्तान जिंक से वीआरएस ले लिया था और नितीश के क्रिकेट के सपने को पूरा करने के लिए 20 लाख रुपए से माइक्रो-फाइनेंस का कारोबार शुरू किया. लेकिन कारोबार में घाटा हुआ और दोस्तों ने कर्ज नहीं चुकाया. इसके बावजूद परिवार ने नितीश के क्रिकेट करियर को जारी रखा.


नितीश कुमार रेड्डी ने कहा, "मैं अपने पापा का सम्मान सिर्फ एक ही तरीके से लौटा सकता था—भारतीय टीम में जगह बनाकर." उस वक्त परिवार के पास साल में सिर्फ ₹15,000 का एक बैट खरीदने की क्षमता थी.


अपने पहले टेस्ट शतक के दौरान, नितीश कुमार रेड्डी ने 'अमरेंद्र बाहुबली' स्टाइल में जश्न मनाया, जो उनके पिता के लिए था. पिता मुत्याला ने भावुक होकर कहा, "मेरी खुशी शब्दों में बयां नहीं हो सकती. विराट सर ने उसे और मेहनत करने को कहा है."






नितीश कुमार रेड्डी की सफलता में आंध्र क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एमएसके प्रसाद का भी योगदान रहा. प्रसाद ने बताया, "उन्होंने हमारी U-14 अकादमी से शुरुआत की और लगातार मेहनत के दम पर भारतीय U-19 टीम में जगह बनाई."


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