Yashasvi Jaiswal: नॉट-आउट थे यशस्वी जायसवाल! BCCI के उच्च अधिकारी ने किया खुला समर्थन; दे डाला बहुत बड़ा बयान
Border Gavaskar Trophy: भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए चौथे टेस्ट के दौरान यशस्वी जायसवाल को आउट दिए जाने को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. BCCI के एक उच्च अधिकारी ने इस फैसले को गलत करार दिया है.
Melbourne Test Yashasvi Jaiswal DRS Controversy: बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2024-25 का चौथा टेस्ट खत्म हो चुका है. जो 26 दिसंबर से 30 दिसंबर तक पूरे पांच दिन मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर खेला गया. मेलबर्न टेस्ट सीरीज में भारत को करारी हार का सामना करना पड़ा. जिसके बाद अब भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जा रही पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में ऑस्ट्रेलिया 2-1 से आगे चल रहा है. चौथा टेस्ट मैच भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन मेलबर्न टेस्ट अब विवादों से घिर गया है.
पूरा मामला क्या है?
मेलबर्न में बॉक्सिंग डे टेस्ट के आखिरी दिन भारतीय ओपनर यशस्वी जायसवाल के विवादास्पद आउट होने पर बहस छिड़ गई है. जब जयसवाल 84 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे, तब विकेटकीपर एलेक्स कैरी ने ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस की गेंद को लेग साइड से आते हुए कैच कर लिया. फील्ड अंपायर जोएल विल्सन ने ऑस्ट्रेलिया की अपील खारिज कर दी, लेकिन डीआरएस के बाद थर्ड अंपायर सैकत शराफद्दौला ने जयसवाल को आउट करार दिया. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है.
राजीव शुक्ला ने टेक्नोलॉजी का किया समर्थन
सैकत शराफद्दौला ने स्निको पर कोई एज नहीं दिखने के बावजूद विजुअल डिफ्लेक्शन के आधार पर फैसला सुनाया. इस पर राजीव शुक्ला ने ट्वीट किया, “यशस्वी जायसवाल स्पष्ट रूप से नॉट आउट थे. तीसरे अंपायर को तकनीक की बात माननी चाहिए थी. फील्ड अंपायर का फैसला पलटने के लिए ठोस कारण होना चाहिए.”
Yashaswi jayaswal was clearly not out. Third umpire should have taken note of what technology was suggesting. While over ruling field umpire third umpire should have solid reasons . @BCCI @ICC @ybj_19
— Rajeev Shukla (@ShuklaRajiv) December 30, 2024
महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने भी इस फैसले की आलोचना की. उन्होंने कहा, “डिफ्लेक्शन ऑप्टिकल इल्यूजन हो सकता है. अगर तकनीक है, तो उसका उपयोग करना चाहिए. सिर्फ विजुअल सबूत के आधार पर फैसला नहीं किया जा सकता.”
साइमन टॉफल का समर्थन
हालांकि, पूर्व अंपायर साइमन टॉफेल ने इस फैसले को सही ठहराया. उन्होंने कहा, "जब बल्ले से गेंद का डिफ्लेक्शन साफ हो तो किसी दूसरी तकनीक की जरूरत नहीं होती. थर्ड अंपायर ने सही काम किया और विजुअल सबूतों को प्राथमिकता दी."
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