ना खाना...ना घर...ग्राउंड्समैन के टेंट में गुजारे दिन, अब है भारतीय टेस्ट क्रिकेट का हीरो; कोच ने बताई संघर्ष की कहानी
Indian Cricket Team: भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच 22 नवंबर से पांच टेस्ट मैचों की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी खेली जानी है. इस सीरीज के लिए खेल रहे एक युवा भारतीय खिलाड़ी के संघर्ष की कहानी काफी प्रेरणादायक है.
Yashasvi Jaiswal Struggle Journey: क्रिकेट में ऐसे कई खिलाड़ी हुए हैं जो छोटी जगहों से आते हैं, खेल के लिए काफी संघर्ष करते हैं, अपने सपनों को पूरा करने के लिए बचपन की कुर्बानी देते हैं और आगे चलकर देश के बड़े स्टार और दिग्गज क्रिकेटर बनते हैं. ऐसा ही एक युवा खिलाड़ी इस समय भारतीय टीम में है. उसे 22 नवंबर से शुरू हो रही बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया है. उसके संघर्ष की कहानी काफी प्रेरक है. इस युवा खिलाड़ी की प्रतिभा को उसके बचपन के कोच ज्वाला सिंह ने देखा और उसे देश के लिए खेलने के लिए तैयार किया. हाल ही में ज्वाला सिंह ने सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड को दिए इंटरव्यू में उस युवा क्रिकेटर के संघर्ष की कहानी बताई.
कोच ने पहचाना हुनर
करीब एक दशक पहले ज्वाला सिंह ने मुंबई के आजाद मैदान में एक लड़के को खराब पिच पर बिना शिकायत के बल्लेबाजी करते देखा. उस लड़के का नाम यशस्वी जायसवाल था. ज्वाला को तुरंत अहसास हुआ कि यह लड़का साधारण नहीं है. उन्होंने जब यशस्वी से उसकी कहानी पूछी, तो पता चला कि वह उत्तर प्रदेश के सुरियावां से क्रिकेटर बनने का सपना लेकर मुंबई आया था.
यशस्वी ने कोच ज्वाला को बताया था, "मेरे पास न घर है, न खाने के पैसे. मैं टेंट में रहकर क्रिकेट की प्रैक्टिस करता हूं." ज्वाला को यशस्वी की मेहनत और जुनून में अपने बचपन की झलक दिखी. उन्होंने उसी समय तय किया कि वह यशस्वी को भारत का स्टार खिलाड़ी बनाएंगे.
संघर्ष और सफलता का सफर
महज 12 साल की उम्र में मुंबई पहुंचे यशस्वी ने शुरुआत में अपने चाचा के घर में कुछ समय बिताया, लेकिन जगह की कमी के चलते उन्हें आजाद मैदान के ग्राउंड्समैन के टेंट में रहना पड़ा. इस दौरान उन्होंने गोलगप्पे बेचने और दूध के डिब्बे बांटने जैसे छोटे-मोटे काम भी किए.
ज्वाला सिंह ने न केवल यशस्वी को अपने घर में पनाह दी, बल्कि उनके खेल और मानसिकता को निखारने में भी अहम भूमिका निभाई. ज्वाला ने कहा- "मैंने महसूस किया कि यशस्वी में कुछ खास है. मैंने उसकी फिटनेस, तकनीक और मानसिक मजबूती पर काम किया. मुझे यकीन था कि वह एक दिन भारतीय टीम में खेलेगा."
सपने से हकीकत तक
2023 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करने के बाद, यशस्वी ने अपनी काबिलियत का सबूत दिया. वह अब भारतीय टेस्ट टीम के प्रमुख बल्लेबाज बन चुके हैं और कई महत्वपूर्ण पारियां खेली हैं.
जल्द ही वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में मैदान पर उतरेंगे. कोच ज्वाला का कहना है, "यशस्वी का लक्ष्य सिर्फ भारतीय टीम में जगह बनाना नहीं है, बल्कि वह एक ऐसा खिलाड़ी बनना चाहता है जिसे इतिहास में याद रखा जाए. मुझे यकीन है कि वह अपने सपनों को पूरा करेगा."
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