नई दिल्लीः जनवरी के तीसरे सप्ताह में जब तक भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज खत्म होगी, तब तक कम से कम 13 भारतीय खिलाड़ी कोविड बायो बबल में करीब छह महीने बिताने के करीब होंगे. इसमें वे मुख्य रूप से अपने होटल के कमरे तक ही सीमित होते हैं और आवाजाही और कॉन्टेक्ट के कड़े नियम होते हैं.


रिपोर्ट्स के अनुसार, आईपीएल की शुरुआत के साथ ही अगस्त में टीमें ने संयुक्त अरब अमीरात में पहुंचने लगी. तब से अजिंक्य रहाणे, जसप्रित बुमराह, रविंद्र जडेजा, रविचंद्रन अश्विन, के एल राहुल, उमेश यादव और मोहम्मद शमी उन खिलाड़ियों में शामिल हैं जो बबल में बने हुए हैं. दूसरे खिलाड़ियों में गेंदबाज मोहम्मद सिराज और नवदीप सैनी, विकेटकीपर रिद्धिमान साहा और ऋषभ पंत और बल्लेबाज पृथ्वी शॉ और शुभमन गिल शामिल हैं.


ये सभी टेस्ट खिलाड़ी हैं जो आईपीएल का हिस्सा थे. टी20 में खेलने वाले ऑस्ट्रेलिया से लौट आए हैं जबकि कप्तान विराट कोहली पहले टेस्ट के बाद टीम में शामिल होंगे.  रिपोर्ट्स के अनुसार यह एक "अज्ञात क्षेत्र" है और अथॉरिटीज इसके "मनोवैज्ञानिक प्रभाव को समझने" के लिए पर्याप्त काम नहीं कर रही हैं.


बायो बबल से पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभावों की जानकारी नहीं
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के सलाहकार मनोचिकित्सक डॉ. रंजीत मेनन के अनुसार "खेल का नाम लिए बिना मैं कह सकता हूं कि ऑस्ट्रेलिया ने पहले से ही ऐसी क्वॉरंटीन सिचुएसन्स का सामना किया है जहां एथलिटों में एंग्जाइटी अटैक की समस्या आई. इससे खेल भी प्रभावित हो रहा है. यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसके बारे में हमारे पास यह कहने के लिए पर्याप्त अनुभव नहीं है कि हमारे नियंत्रण में है और कौन सी संभावित समस्याएं हमारा इंतजार कर रही हैं. ” डॉ. मेनन, ऑस्ट्रेलियाई फुटबॉल लीग (एएफएल) के मुख्य मनोचिकित्सक भी हैं और ऑस्ट्रेलियाई ओपन टेनिस के साथ काम करते हैं


भारत के 2011 विश्व कप जीतने के समय के कोच गैरी कर्स्टन के असिस्टेंट रहे स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट पैडी अप्टन कहते हैं, "खिलाड़ी होटल के कमरों में आने वाले गेम्स के बारे में सोचने में समय बिताते हैं, जिससे वे मानसिक रूप से थक जाते हैं" “खिलाड़ी जितनी अधिक देर तक बबल में रहेंगे, उतना ही ज्यादा उन पर प्रभाव पड़ेगा. क्रिकेट अथॉरिटीज को इससे खिलाड़ियों पर पड़ने मनोवैज्ञानिक प्रभाव को समझने के लिए रिसर्च करनी चाहिए”


बीसीसीआई ले रहा रेगुलर फीडबैक
बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल का कहना है कि बोर्ड सपोर्ट स्टाफ के साथ "रेगुलर टच" में है और "खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य" के बारे में फीडबैक ले रहा है। "यह एक चुनौतीपूर्ण समय है क्योंकि हम बायो-बबल में बैक-टू-बैक क्रिकेट खेल रहे हैं. हमने चयनकर्ताओं और सहयोगी स्टाफ से कहा है कि अगर किसी खिलाड़ी को मानसिक थकान महसूस होती है या उसे ब्रेक की जरूरत होती है तो उन्हें हमें बताना चाहिए. खिलाड़ियों का मानसिक स्वास्थ्य हमारे लिए सर्वोपरि है.'


यह समस्या सिर्फ भारतीय खिलाड़ियों की ही नहीं हैं. इंग्लैंड के जोस बटलर और जोफ्रा आर्चर के साथ-साथ वेस्टइंडीज के जेसन होल्डर को भी लंबे समय तक बबल रखा गया है. हालांकि सिडनी दौरे में भारतीय खिलाड़ियों को थोड़ा घुमने-फिरने की अनुमति मिली है.


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