भारतीय महिला क्रिकेट टीम की वनडे कप्तान मिताली राज के लिए साल 2018 मिला जुला रहा. एक तरफ जहां मिताली राज 85 T-20 मुकाबलों में 2283 रन बनाकर इस फॉर्मेट में देश की सबसे कामयाब बल्लेबाज बनीं, तो वहीं साल के आखिर में कोच को लेकर हुए विवाद की वजह से चर्चा में आ गईं. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में कोच के साथ हुए विवाद को अपने करियर का सबसे मुश्किल वक्त बताया है.
कोच के साथ हुए विवाद पर मिताली ने कहा, 'मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि यह अच्छा अनुभव नहीं था. यह मेरे लिए करियर का सबसे मुश्किल वक्त था. एक प्लेयर के तौर पर इतने सालों तक मैंने जो योगदान दिया है, उसके बाद मुझे इन बातों पर जवाब देने की जरूरत नहीं है. मैं लोगों की सोच को नहीं बदल सकती हूं, यह मेरे बस में नहीं है. मैं जब तक खेल रही हूं तब तक एक प्लेयर के तौर पर टीम के लिए जितना संभव है उतना योगदान दे सकती हूं.'
नए कोच के बारे में मिताली का कहना है, 'मैं यहां उन्हें जज करने के लिए नहीं हूं. उन्हें काफी अनुभव हैं. यह टीम के लिए अच्छा फैसला साबित हो सकता है.' सनियर और जूनियर खिलाड़ियों में हुए मतभेद पर उन्होंने कहा, 'मैंने कभी इस बात में विश्वास नहीं किया. मुझे लगता है कि जिन्हें चुना जाता है वह खेलने की क्षमता रखता हैं. सनियर और जूनियर होने से कोई फर्क नहीं पड़ता.'
हालांकि मिताली ने माना कि उन्हें नहीं पता फील्ड के बाहर कोच के विवाद की वजह से साथी खिलाड़ियों के साथ रिश्तों पर कितना असर पड़ेगा. लेकिन उनका मानना है कि मैदान पर सभी एक दूसरे को समझते हुए टीम के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करेंगे.