नई दिल्ली: ऐशियाई देशों में क्रिकेट की लोकप्रियता भले ही अन्य खेलों से अधिक हो, लेकिन साल 2018 में होने वाले एशियाड गेम्स से क्रिकेट की छुट्टी कर दी गई है. ऐशियाई ओलंपिक परिषद ने एक बयान जारी कर क्रिकेट को ऐशियाड गेम्स से बाहर करने की पुष्टी की है. इंडोनेशिया में होने वाली ऐशियाई खेलों में इस बार 39 खेलों को शामिल किया जाएगा.



क्रिकेट को क्यों किया गया बाहर



साल 2010 में क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट टी-20 को ऐशियन गेम्स में शामिल किया था, लेकिन क्रिकेट को लेकर ओसीए की सबसे बड़ी शिकायत यह रही है कि ऐशियाई देश हमेशा इस गेम्स में अपनी दोयम दर्जे की टीम ही भेजती रही है. इस वजह से ऐशियन गेम्स में क्रिकेट एक औपचारिकता मात्र बनकर रह गया है.



ऐशियन गेम्स में क्रिकेट के टी-20 फॉर्मेट को शामिल किए जाने के बाद से श्रीलंका (2010) और बांग्लादेश (2014) ने एक-एक बार गोल्ड मेंडल अपने नाम किया है.



भारतीय टीम ने एक बार भी नहीं किया शिरकत



क्रिकेट के टी-20 फॉर्मेट के शामिल किए जाने के बाद भारतीय टीम एक बार भी ऐशियाई खेलों में शिरकत नहीं किया है. ऐशियन गेम्स में पुरूष और महिला दोनों टीमें भाग ले सकती थी, लेकिन बीसीआई ने एक बार भी एशियन गेम्स में अपनी टीमों को नहीं भेजा.



आपको बता दें की पाकिस्तान की महिला क्रिकेट टीम ने दो बार गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया जबकि बांग्लादेश की टीम दूसरे नंबर रही है. ऐशियाई मुल्कों में पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश ने हमेशा अपनी कमजोर टीमों को ही भेजा है. ऐसे में ओसीए के पास क्रिकेट को बाहर करने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं दिखा.



क्रिकेट में चीन, हांगकांग, कुवैत, मलेशिया, मालदीव, नेपाल और साउथ कोरिया जैसे देशों की बेहद कमजोर टीमें हिस्सा लेती हैं इस कारण ऐशियाई खेलों में क्रिकेट के लिए कोई रोमांच नहीं बचा.