सचिन तेंडुलकर और वीरेंद्र सहवाग की दोस्ती के बारे में सभी जानते हैं. वीरेंद्र सहवाग कई बार कह चुके हैं कि उन्होंने अपने करियर की शुरूआत में सचिन तेंडुलकर की ‘कॉपी’ करने की कोशिश भी की थी. दोनों एक जैसी कद काठी के थे. दोनो के घुंघराले बाल. दोनों दाएं हाथ के बल्लेबाज. मैच देखते देखते कई बार तो समझ ही नहीं आता था कि बाउंड्री सचिन के बल्ले से निकली या फिर सहवाग के. सहवाग सचिन तेंडुलकर से मजाक भी करते रहते थे, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में सहवाग ने सचिन तेंडुलकर से ऐसा क्या मजाक किया कि बदले में उन्हें पिटाई की धमकी मिल गई. दरअसल वीरेंद्र सहवाग के मजाकिया नहले पर ये सचिन तेंडुलकर का मजाकिया दहला था.


साल 2007-08 की बात है. भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थी. टेस्ट सीरीज में हार के बाद सीबी सीरीज खेली जानी थी. टेस्ट सीरीज में ‘मंकीगेट एपीसोड’ हो ही चुका था. इसके अलावा सिडनी टेस्ट में आखिरी दिन के आखिरी ओवरों में जिस तरह की खराब अंपायरिंग हुई थी, उसको लेकर भी खूब विवाद हुआ था. भारत वो टेस्ट मैच आखिरी मिनटों में हार गया था. जाहिर है भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमों में एक तनातनी का माहौल था. सीबी सीरीज में भारत और ऑस्ट्रेलिया के अलावा श्रीलंका की टीम थी. भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें फाइनल में पहुंची थीं. टूर्नामेंट के फॉर्मेट के मुताबिक फाइनल ‘बेस्ट ऑफ थ्री’ में होना था, मतलब जो भी टीम 3 में से 2 फाइनल जीत लेगी उसे खिताब मिलेगा. फाइनल शुरू होने से पहले ऑस्ट्रेलिया के एक पूर्व क्रिकेटर को ये कहते भी सुना गया था कि ऑस्ट्रेलिया की टीम पहले दोनों वनडे जीतकर भारत को खाली हाथ घर वापस भेज देगी. ये बात भारतीय खिलाड़ियों को पता चल चुकी थी. कप्तान धोनी की अगुवाई में भारतीय टीम कंगारुओं को मात देने के लिए जी जान एक करने को तैयार थी. आखिर वो दिन आया जब सिडनी के उसी मैदान में भारत ऑस्ट्रेलिया की टीमें आमने सामने थीं, जो क्रिकेट के इतिहास के सबसे बड़े विवादों में से एक का गवाह बना था. फर्क सिर्फ इतना था कि इस बात दोनों टीमों के खिलाड़ी रंगीन कपड़ों में थे.







 


बेस्ट ऑफ थ्री के पहले फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. वीरेंद्र सहवाग प्लेइंग 11 का हिस्सा नहीं था. बाद में इस बात को लेकर काफी समय तक विवाद चलता रहा कि सहवाग को ‘ड्रॉप’ किया गया था या वो ‘अनफिट’ थे. खैर ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 239 रन बनाए और भारत को जीत के लिए 240 रनों का लक्ष्य दिया. लक्ष्य बड़ा नहीं था, सचिन और रॉबिन उथप्पा ने पहले विकेट के लिए 50 रनों की साझेदारी भी कर ली थी, लेकिन इसके बाद रॉबिन उथप्पा, गौतम गंभीर और युवराज सिंह जल्दी जल्दी आउट होकर पवेलियन लौट गए. ब्रेट ली और मिचेल जॉनसन ने भारतीय टीम को दबाव में लाने की कोशिश की, बाजी पलट सकती थी लेकिन सचिन तेंडुलकर और रोहित शर्मा क्रीज पर डट गए और आखिर में रोहित शर्मा जब आउट हुए तो भारतीय टीम की जीत पक्की हो चुकी थी. इस मैच में सबसे खास बात थी सचिन तेंडुलकर की बल्लेबाजी. कभी शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ धुआंधार पारी खेलने वाले सचिन ने एक बार फिर कंगारुओं को अपना निशाना बनाया था. उन्होंने नॉट आउट 117 रन बनाए और भारत को जीत दिलाई. सचिन को उस मैच में मैन ऑफ द मैच भी चुना गया था.


पहले मैच में जीत के बाद भारतीय टीम ब्रिसबेन पहुंची. इस बार टॉस धोनी ने जीता और पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. आपको बता दें कि वीरेंद्र सहवाग को एक बार फिर प्लेइंग 11 का हिस्सा नहीं बनाया गया. एक बार फिर रॉबिन उथप्पा पिछले मैच के शतकवीर सचिन तेंडुलकर के साथ बल्लेबाजी करने क्रीज पर आए. सचिन के कंधे में तकलीफ थी. इसके बावजूद उन्होंने जबरदस्त बल्लेबाजी की. भारतीय बल्लेबाजी सचिन तेंडुलकर के इर्द गिर्द ही रही. उन्होंने 91 रनों की शानदार पारी खेली, जिसकी बदौलत भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 259 रनों का लक्ष्य दिया. भारत की तरफ से प्रवीण कुमार ने जबरदस्त गेंदबाजी की और कंगारुओं को संभलने का मौका ही नहीं दिया. ऑस्ट्रेलियाई टीम 32 रन पर 3 विकेट गंवा चुकी थी. एडम गिलक्रिस्ट, रिकी पॉन्टिंग और माइकल क्लार्क पवेलियन लौट चुके थे. इसके बाद मिडिल ऑर्डर के संघर्ष के बाद भी भारतीय टीम ने 9 रन से वो मुकाबला जीत लिया. वो एक एतिहासिक जीत थी. ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज मान बैठे थे कि ऑस्ट्रेलिया को तीसरा वनडे नहीं खेलना पड़ेगा, उससे पहले ही सीरीज का नतीजा आ जाएगा. हुआ बिल्कुल वैसा ही था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में नहीं बल्कि भारत के पक्ष में. यहां ये भी बताना मजेदार है कि सीरीज के दोनों ही मैचों में एंड्रयू सायमंड्स को हरभजन सिंह ने ही आउट किया. भारत ने दो दशक से भी ज्यादा समय के बाद ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जीती थी.


असली कहानी इसके बाद शुरू होती है. कई जानकार ये कहते हैं कि सीबी सीरीज सचिन तेंडुलकर के करियर की ये सबसे बड़ी जीतों में शुमार है. खास तौर पर इस बात को ध्यान में रखते हुए कि सचिन ने दोनों ही मैचों में शानदार बल्लेबाजी की थी. बल्कि दोनों ही मैचों में वो जीत के हीरो थे. सचिन के पूरे करियर में इस बात को लेकर खूब गर्मागर्म बहसें होती रहीं कि सचिन ने रिकॉर्ड्स को सैकड़ों बनाए लेकिन उन्होंने टीम को कभी बड़े मुकाबलों में नहीं जिताया. खास तौर पर जिन मैचों में भारतीय टीम पर दबाव था, वहां तो सचिन और नहीं चले. हालांकि आंकड़े हमेशा इस बात के खिलाफ रहे, लेकिन कहने वाले इस बात को बड़ी शिद्दत से कहते थे और मानते भी थे. ऐसे वक्त में दोनों ही मैचों में शानदार बल्लेबाजी करके मैच जिताने वाले सचिन की यकीनन ये करियर की बड़ी जीत थी. मैच खत्म हो चुका था. ‘प्रेजेन्टेशन सेरेमनी’ भी खत्म हो चुकी थी. स्टेडियम की लाइटें बुझाई जा चुकी थीं. स्टेडियम में रोशनी सिर्फ प्रेस बॉक्स वाले हिस्से में थी, जहां दोनों टीमों के कप्तानों को मीडिया से बात करनी थी.


हुआ यूं कि अचानक मेरी नजर मैदान की तरफ गई. मैदान में सचिन तेंडुलकर नजर आए. बिल्कुल अकेले...हाथ में शैंपेन. मैंने प्रेस कॉन्फ्रेंस से अपना कैमरा निकाला और सीधे मैदान की तरफ आया. थोड़ी ही देर में मीडिया के कुछ और दोस्त वहां पहुंच गए थे. वो बिल्कुल अलग किस्म का लम्हा था. सचिन तेंडुलकर बिल्कुल अलग अंदाज में थे. एक बड़ी जीत के बाद सातवें आसमान पर. उन्होंने मीडिया के सभी लोगों के साथ फोटो खिचाईं. ये ‘ऑफर’ भी उनकी तरफ से ही आया कि चलो फोटो खिंचाते हैं. सचिन के मैदान में होने की खबर अब तक प्रेस कॉन्फ्रेंस हॉल तक पहुंच चुकी थी. वहां से कई और पत्रकार भी मैदान में आ गए. इस सारी मौजमस्ती के बीच ना सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म हो गई बल्कि भारतीय खिलाड़ी एक एक करके टीम बस में जाकर बैठ भी चुके थे. लेकिन सचिन अब भी मूड में थे. वो उस शानदार जीत के लम्हें को जी भर के जीना चाहते थे. ये सबकुछ चल ही रहा था कि वीरेंद्र सहवाग अपने कंघे पर एक बैग लटकाए उनके पास से निकले, उन्होंने मजाकिया अंदाज में सचिन तेंडुलकर से कहा- “पाजी हुंड़ इत्थे (पाजी अब यहां ही) ही रहना है क्या, एक कंधा तो टूट गया अब क्या दूसरा टुड़वाना है”. सचिन तेंडुलकर ने भी पलट कर जवाब दिया, “वीरू तेरे लिए मेरा एक कंधा ही काफी है”. सहवाग इस जवाबी हमले के लिए तैयार नहीं थे, उन्होंने रूक कर पूछा पाजी क्या कह रहे हो, सचिन ने भी दोबारा कहा- तेरी पिटाई के लिए मेरा एक कंधा ही काफी है”. मैदान में मौजूद सभी पत्रकार जोर से हंसने लगे. इस मजाकिया “तू-तू मैं मैं” के बाद सचिन और वीरेंद्र सहवाग टीम बस के लिए चले गए. लेकिन तब तक ऑस्ट्रेलिया में इतिहास रचा जा चुका था.