DRS in Ranji Trophy 2022: क्या दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड 'BCCI' के पास घरेलू टूर्नामेंट में DRS सिस्टम लगाने के लिये पैसे नहीं है? या पैसे बचाने के लिये रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) जैसे बड़े घरेलू टूर्नामेंट में भी DRS नहीं लगाया जा रहा? ये कुछ ऐसे सवाल है जो फिलहाल सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं. रणजी ट्रॉफी के इस पूरे सीजन में जब-जब क्रिकेट फैंस को अंपायरों के फैसले पर संदेह हुआ तब-तब सोशल मीडिया पर इस तरह के पोस्ट आते रहे हैं. ताजा बवाल सरफराज खान (Sarfaraz Khan) को साफ-साफ आउट होने के बावजूद नॉट आउट देने के बाद उठा है.
दरअसल, रणजी ट्रॉफी के फाइनल मैच के पहले दिन सरफराज खान के खिलाफ एलबीडब्ल्यू की जोरदार अपील हुई. मध्य प्रदेश के तेज गेंदबाज गौरव यादव को पूरा यकीन था कि सरफराज आउट हैं लेकिन अंपायर ने उन्हें नॉट आउट दे दिया. यहां DRS भी नहीं था, इसलिये रिव्यू लेने का कोई सवाल नहीं बनता था. ऐसे में सरफराज क्रीज पर डटे रहे. बाद में उन्होंने शतक लगाकर मुंबई को 350 के पार पहुंचाया. अगर यह विकेट मिल जाता तो स्थिति कुछ और हो सकती थी.
रणजी ट्रॉफी के फाइनल में इस बड़ी चूक के बाद सोशल मीडिया पर घरेलू टूर्नामेंटों में DRS सिस्टम नहीं लगाने को लेकर BCCI की खूब आलोचना हो रही है. क्रिकेट फैंस साफ-साफ लिख रहे हैं कि क्या पैसे बचाने के लिये BCCI ने रणजी ट्रॉफी में DRS सिस्टम नहीं रखा.
इस मामले पर TOI ने एक रिपोर्ट की है. इसमें सूत्र के हवाले से बताया गया है कि, 'DRS में यूज होने वाले सभी उपकरणों की वायरिंग और डिरिगिंग काफी महंगी पड़ती है. हॉक आई का मतलब होता है कि कई सारे और कैमरे की जरूरत होना. रणजी मैच काफी सीमित उपकरणों के साथ खेला जाता है और फिर आधे-अधूरे DRS का भी कोई मतलब नहीं होता. जैसा कि पिछली बार सिर्फ यह देखने के लिये DRS था कि बल्ले का किनारा लगा है या नहीं. आप इसमें बॉल किस दिशा में जा रही है, यह पता नहीं लगा सकते थे, जो कि DRS के लिये बेहद जरूरी चीज होती है.'
BCCI का हालांकि इस मामले में यह तर्क हो सकता है कि उन्हें अंपायरों पर भरोसा है लेकिन फैंस यहां ये भी सवाल कर सकते हैं कि अगर ऐसा है तो IPL और अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैचों में भी DRS की भला क्या जरूरत है. बहरहाल, अभी तो यही लग रहा है कि BCCI इस मामले में कंजूसी दिखा रहा है.
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