Rohit Sharma And Steve Smith Cricket Journey: क्रिकेट के मैदान पर अक्सर कुछ ऐसा होता है जो सबको हैरान कर देता है. कभी हम किसी गेंदबाज को बल्लेबाजी में तो कभी किसी बल्लेबाज को गेंदबाजी में कमाल करते देखते हैं. क्रिकेट इतिहास में कई ऐसे खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने अपनी शुरुआती भूमिका से आगे बढ़कर कुछ ऐसा किया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी.


रोहित शर्मा और स्टीव स्मिथ दो ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने क्रिकेट की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है. दोनों ही खिलाड़ी शुरुआत में गेंदबाज थे, लेकिन बाद में उन्होंने बल्लेबाजी में इतना नाम कमाया कि आज उनकी गिनती दुनिया के महान बल्लेबाजों में होती है.


गेंदबाज से बल्लेबाज तक का सफर


रोहित शर्मा: रोहित शर्मा की कहानी प्रेरणादायक है. मुंबई के बोरीवली से ताल्लुक रखने वाले रोहित ने क्रिकेट में अपना करियर बतौर गेंदबाज शुरू किया था. उनके परिवार ने उन्हें क्रिकेट कैंप में भेजने के लिए काफी स्ट्रगल किया, जहां उनके कोच दिनेश लाड ने उनकी प्रतिभा को पहचाना. शुरुआत में रोहित स्पिन गेंदबाज थे, लेकिन लाड ने जल्द ही उनकी बल्लेबाजी प्रतिभा को पहचान लिया और उन्हें बल्लेबाजी करने के लिए प्रोत्साहित किया.


दिनेश लाड ने रोहित का दाखिला स्वामी विवेकानंद स्कूल में कराया, जहां रोहित ने अपने क्रिकेट करियर की नींव रखी. क्रिकेट में उनका संघर्ष और मेहनत रंग लाई और जल्द ही वे मुंबई की टीम के लिए खेलने लगे. रोहित को अपने करियर में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी प्रतिभा और मेहनत ने उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम का अहम खिलाड़ी बना दिया. आज रोहित की गिनती दुनिया के सबसे सफल बल्लेबाजों में होती है और उन्हें "हिटमैन" के नाम से जाना जाता है.


स्टीव स्मिथ: स्टीव स्मिथ का सफर भी कुछ ऐसा ही है. जब उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखा तो उन्हें लेग स्पिनर के तौर पर देखा जाता था. 2010 में उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई टीम में डेब्यू किया और शुरुआत में लेग स्पिनर के तौर पर खेला. शुरुआती करियर में उनकी तुलना शेन वार्न के साथ की जाती थी. हालांकि, 2013 की एशेज सीरीज उनके करियर का अहम मोड़ साबित हुई. इस सीरीज में स्टीव स्मिथ ने नंबर 3 पर बल्लेबाज़ी करते हुए खुद को एक प्रमुख बल्लेबाज के तौर पर स्थापित किया. उनकी अनूठी बल्लेबाजी शैली ने विरोधी टीमों को मुश्किल में डाल दिया और ऑस्ट्रेलिया के लिए जीत की राह आसान कर दी.


 


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