रविवार को करोड़ों क्रिकेट फैंस ने मुंबई की टीम को आईपीएल चैंपियन बनते देखा. मुंबई की टीम ने आखिरी दो ओवरों में बाजी पलटी. आखिरी दो ओवरों में जब चेन्नई सुपरकिंग्स को सिर्फ 18 रन चाहिए थे तब उसने तीन विकेट गंवाए. 3 विकेट में से दो विकेट गेंदबाजों की बदौलत मिले. एक खिलाड़ी रन आउट हुआ.


अब जरा सोचकर देखिए कि जिस मैच में रोहित शर्मा, शेन वॉटसन, महेंद्र सिंह धोनी, सुरेश रैना, काइरॉन पोलार्ड, क्विंटन डी कॉक, हार्दिक पांड्या जैसे एक से बढ़कर एक धाकड़ बल्लेबाज मैदान में हों उस मैच में जीत के हीरो दो गेंदबाज हैं. शनिवार को मैच से पहले इस बात का जिक्र हमने किया था कि फाइनल में जीत का सेहरा उस टीम के सर बंधेगा जिसके गेंदबाज बेहतर तरीके से गेंदबाजी करेंगे.

इतने बड़े मैच में अपनी भावनाओं को काबू में रखेंगे. ठीक वैसा ही हुआ. 18वें ओवर के खत्म होने तक ये बात गलत साबित होती दिख रही थी. लेकिन फिर पहले जसप्रीत बुमराह और बाद में लसिथ मलिंगा ने साबित किया कि आईपीएल अब किसी भी सूरत में सिर्फ बल्लेबाजों का ‘गेम’ नहीं रह गया है.

इस बात को हम इतना जोर देकर इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आईपीएल शुरू होने के बाद कई सालों तक ऐसी मान्यता थी कि टी-20 का ये टूर्नामेंट गेंदबाजों के लिए कब्रगाह है और बल्लेबाजों के लिए स्वर्ग. हर टीम बड़े बड़े ‘हिटर्स’ पर पैसा खर्च करती थी. लेकिन फाइनल मैच में मैन ऑफ द मैच एक गेंदबाज है- जसप्रीत बुमराह.

गेंदबाजों की कामयाबी को और बारीकी से देखिए
19वें ओवर में ड्वेन ब्रावो और बीसवें ओवर में शेन वॉटसन और शार्दुल ठाकुर का आउट होना स्वाभाविक नहीं है. 12 गेंद पर 18 रन बनाने हों और ये जिम्मेदारी निचले क्रम के बल्लेबाजों पर हो तो भी ये नतीजा समझ में आता है. लेकिन ड्वेन ब्रावो और शेन वॉटसन दोनों के दोनों ना सिर्फ अच्छे बल्लेबाज हैं, बल्कि आईपीएल के इतिहास में बड़े मैच विनर्स के तौर पर देखे जाते हैं.

दोनों के खाते में आईपीएल के शानदार रिकॉर्ड्स हैं. लेकिन अच्छी गेंदबाजी के आगे इतिहास के रिकॉर्ड्स मायने नहीं रखते. जसप्रीत बुमराह ने जिस गेंद पर ड्वेन ब्रावो को आउट किया वो ब्रावो की उम्मीद से कहीं अलग गेंद थी. बुमराह की उस गेंद की रफ्तार से ब्रावो चकमा खाए. वो गेंद करीब 150 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से फेंकी गई थी. इसके बाद बुमराह ने जब जडेजा को हाथ खोलने का मौका नहीं दिया तो ये भी उनकी काबिलियत थी.

भूलिएगा नहीं कि बड़े बड़े दिग्गज खिलाड़ी कहते हैं कि आखिरी ओवरों में तेज गेंदबाजों की गेंद पर कई बार ‘एज’ या ‘इनसाइड एज’ लगकर गेंद बाउंड्री के पार चली जाती है. लेकिन जिस सटीक लाइन लेंथ पर बुमराह गेंदबाजी कर रहे थे, उन्होंने ऐसा कोई मौका दिया ही नहीं. उनके ओवर की आखिरी गेंद पर क्विंटन डीकॉक की गलती से चार रन ‘बाय’ जरूर गए. लेकिन लसिथ मलिंगा ने आगे का संघर्ष जारी रखा.

अपनी घातक यॉर्कर के लिए मशहूर लसिथ मलिंगा ने आखिरी ओवर की पहली ही गेंद यॉर्कर फेंकी. वॉटसन सिर्फ एक रन बना पाए. दूसरी गेंद भी उन्होंने यॉर्कर ही फेंकने की कोशिश की थी. जो नीची फुलटॉस हुई. बावजूद इसके रवींद्र जडेजा सिर्फ एक रन ले पाए. इसके बाद शेन वॉटसन का रन आउट. फिर आखिरी गेंद पर जब सिर्फ दो रन चाहिए थे तब शार्दुल ठाकुर का विकेट. अब आप सोचकर देखिए कि इस रोमांचक जीत का श्रेय क्या और किसी को दिया जा सकता है.

खूब चला रोहित शर्मा का दांव
रोहित शर्मा ने 16वां ओवर मलिंगा से कराया था. इसके बाद 17वां ओवर उन्होंने जसप्रीत बुमराह से कराया. रोहित शर्मा लगातार ‘कैलकुलेशन’ कर रहे थे कि 19वां और 20वां ओवर कैसे कराना है. ये बात तो सभी को पता था कि आखिरी दो ओवरों में से एक बुमराह करेंगे और एक मलिंगा, लेकिन कौन सा गेंदबाज 19वां ओवर फेंकेगा और कौन बीसवां, यहां कप्तान रोहित शर्मा ने दाव चला.

उन्होंने बुमराह को 19वां ओवर इसीलिए दिया कि वो आखिरी ओवर के लिए ज्यादा से ज्यादा रन बचाकर देंगे. उनके ओवर की आखिरी गेंद पर अगर चार रन बाय ना गए होते तो वो इस उम्मीद पर बिल्कुल खरे उतरते. बावजूद इसके उन्होंने ठीक 9 रन आखिरी ओवर के लिए बचाए. जो मलिंगा के कमाल करने के लिए काफी थे.