सैयद किरमानी की नज़र में शास्त्री और कोहली को चुनौती देने में नाकाम है मौजूदा चयन पैनल
टीम इंडिया के दिग्गज विकेटकीपर और पूर्व सलेक्टर सैयद किरमानी ने चयन कमेटी पर सवाल उठाए हैं.
हाल ही में करुण नायर और मुरली विजय के भारतीय टेस्ट टीम से बाहर होने का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे है. जहां पहले खुद करुण नायर ने कहा था कि उनसे कोई बात नहीं हुई. वहीं इसके बाद ओपनर मुरली विजय ने भी उनके सुर में सुर मिलाया था. इसके बाद चीफ सलेक्टर एमएसके प्रसाद ने इस बातों का खंडन किया था.
इस पूरे प्रकरण में पूर्व सलेक्टर सैयर किरमानी ने सामने आकर एक गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि एमएसके प्रसाद की अगुवाई वाली चयनसमिति के पास मुख्य कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली को चुनौती देने के लिये पर्याप्त अनुभव नहीं है.
इस पूर्व विकेटकीपर की यह टिप्पणी करूण नायर और मुरली विजय को टेस्ट टीम से बाहर किये जाने को लेकर उठे विवाद के संदर्भ में आयी है.
नायर और विजय दोनों ने दावा किया है कि टीम से बाहर करने के फैसले से पहले चयनकर्ताओं ने उनसे बात नहीं की जिसका प्रसाद ने खंडन किया है. उन्होंने कहा कि इन दोनों बल्लेबाजों को इसकी जानकारी दी गयी थी.
किरमानी से जब चयन विवाद पर पूछा गया, उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप मुझसे पूछ रहे हो तो रवि शास्त्री कोच होने के कारण मुख्य चयनकर्ता है. वह और कप्तान तथा अन्य सीनियर सदस्य मिलकर चर्चा करते हैं और (वे जो चाहते हैं) उसके बारे में चयनसमिति को अवगत करा देते हैं.’’
पूर्व में चयनसमिति के अध्यक्ष रहे किरमानी ने कहा, ‘‘वर्तमान चयनसमिति इन लोगों (शास्त्री और कोहली) के सामने अनुभवहीन है. और इसलिए वे टीम प्रबंधन जो चाहता है उस पर हामी भरने में भलाई समझते हैं क्योंकि वे शास्त्री या कोहली से बहस नहीं कर सकते हैं क्योंकि वे बहुत अधिक अनुभवी हैं. ’’
पांच सदस्यीय चयनसमिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने के हिसाब से कम अनुभवी है. मुख्य चयनकर्ता प्रसाद ने छह टेस्ट और 17 वनडे खेले हैं. अन्य चार चयनकर्ताओं में शरणदीप सिंह (दो टेस्ट, पांच वनडे), देवांग गांधी (चार टेस्ट, तीन वनडे), जतिन परांजपे (चार वनडे) और गगन खोड़ा (दो वनडे) शामिल हैं और जाहिर है कि इन सभी को कोई खास अनुभव नहीं है.
किरमानी ने कहा,‘‘चयन में भाग्य भी अहम भूमिका निभाता है. मेरा उदाहरण देख लो. मैं जब अपने करियर के चरम पर था तब मुझे बाहर कर दिया गया.’’
किरमानी ने 88 टेस्ट मैच खेले जिनमें से आखिरी टेस्ट उन्होंने 1986 में खेला था.
मुरली विजय को इंग्लैंड में पहले तीन टेस्ट मैचों की नाकामी के बाद बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. जबकि करुण नायर को इंग्लैंड बिना कोई मैच खिलाए वेस्टइंडीज़ के खिलाफ सीरीज़ से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.