दीपक चहर ने खोला सीएसके का राज - जानबूझ कर बनाई थी 'बूढ़ों की टीम'
पहली बार चेन्नई सुपर किंग्स की जर्सी में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में उतरे 25 साल के युवा तेज गेंदबाज दीपक चहर ने कहा कि चेन्नई के प्रशंसक पूरे देश में इतने हैं कि हर मैदान टीम के लिए होम ग्राउंड था.
पहली बार चेन्नई सुपर किंग्स की जर्सी में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में उतरे 25 साल के युवा तेज गेंदबाज दीपक चहर ने कहा कि चेन्नई के प्रशंसक पूरे देश में इतने हैं कि हर मैदान टीम के लिए होम ग्राउंड था.
तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी नदी के जल बंटवारे को लेकर तल रहे विवाद के कारण चेन्नई को आईपीएल में अपने घरेलू मैच पुणे में खेलने पड़े थे. दीपक ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली टीम का तारीफ करते हुए कहा कि यह टीम और इसका माहौल आईपीएल की बाकी टीमों से जुदा, जिसके बारे में उन्होंने सिर्फ सुना था लेकिन यहां आकर यह बात महसूस भी की.
हर टीम से अलग सीएसके
दीपक ने आईएएनएस से कहा, "चेन्नई जब भी खेली है हर बार प्लेऑफ के लिए क्वालीफाई किया है. इस टीम का माहौल बाकी टीमों से अलग ही है. यह सब मैंने सुना था, लेकिन जब मैं वहां पर गया तो पता चला की वाकई ऐसा है. वहां के ड्रेसिंग रूम का वातावरण, टीम मैनेजमेंट का सपोर्ट बाकी टीमों से बिल्कुल अलग है. चेन्नई की फैन भी बाकी टीमों से ज्यादा हैं और अलग हैं. हम जिस भी मैदान पर जा रहे थे उस मैदान पर दूसरी टीम से ज्यादा समर्थन हमें मिल रहा था. हमारे लिए हर मैदान ही घरेलू मैदान था. इसिलए खेल के मजा आया."
फायदेमंद रहा ग्राउंड बदलना
दीपक ने कहा कि चेन्नई से पुणे जाना निजी तौर पर उनके लिए फायदेमंद था और कुछ हद तक विदेशी खिलाड़ियों के लिए भी जिन्हें चेन्नई की गर्मी परेशान कर सकती थी.
बकौल दीपक, "मेरे लिए तो यह अच्छी बात थी. क्योंकि चेन्नई का विकेट फ्लैट था पुणे का विकेट थोड़ा बहुत तेज गेंदबाजों के मुफीद था. मैं, शार्दूल वहां दो साल से खेल रहे थे. हमें इस विकेट का फायदा ही हुआ. चेन्नई से पुणे जाने में ज्यादा घाटा नहीं हुआ क्योंकि जो विदेशी खिलाड़ी थे वो चेन्नई के अंदर संघर्ष करते. क्योंकि वहां गर्मी बहुत थी."
200 का लक्ष्य भी हासिल कर लेते
आईपीएल के 11वें सीजन के फाइनल में चेन्नई का सामना सनराइजर्स हैदराबाद से था. हैदराबाद ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवरों में छह विकेट के नुकसान पर 178 रन बनाए थे. हैदराबाद के मजबूत गेंदबाजी आक्रमण को देखकर लग रहा था कि चेन्नई के लिए यह बेहद मुश्किल होगा. इस पर राहुल ने कहा कि विकेट को देखकर उनकी टीम को पता था कि वह 200 का लक्ष्य भी हासिल कर लेगी.
25 साल के इस युवा ने कहा, "विकेट बहुत अच्छा था. वो वानखेड़े का विकेट जैसा होता है वैसा ही था. हमें पता था कि अगर हमें 200 का लक्ष्य भी मिला तो हम हासिल कर लेंगे. उससे पहले क्वालीफायर-1 में विकेट बल्लेबाजों के लिए अच्छा नहीं था. ऐसे में हैदराबाद की टीम अच्छा करती है. बेशक उनका गेंदबाजी आक्रमण शानदार था, लेकिन वो वहां डिफेंड अच्छे से कर पा रहे थे जहां विकेट गेंदबाजों के लिए ज्यादा मददगार था. लेकिन वानखेड़े का विकेट ऐसा नहीं था."
वाटसन ही लगा सकते थे फाइनल में शतक
फाइनल में शेन वाटसन ने 57 गेंदों में 117 रनों की तूफानी पारी खेल चेन्नई को तीसरा आईपीएल खिताब दिलाया. वाटसन के बारे में राहुल ने कहा कि फाइनल में ऐसी पारी एक अनुभवी और बड़ा खिलाड़ी ही खेल सकता है.
जानबूझ कर बनाई थी बूढ़ों की टीम
उन्होंने कहा, "ऐसी पारी फाइनल में बड़ा बल्लेबाज ही खेल सकता है. शुरू के 10 गेंदों में उन्होंने एक रन बनाया था लेकिन उसके बाद शानदार बल्लेबाजी की. इसके लिए अनुभव चाहिए. हमारी टीम जब बनी थी तो सबने कहा था कि बूढ़ों की टीम है, लेकिन ऐसी टीम धोनी भाई ने जानबूझ के बनाई थी क्योंकि इस फॉर्मे में अनुभव भी काफी मायने रखता है. वाटसन ने जब खाली गेंदें निकालीं तो उन्हें पता था कि वह बाद में कवर कर सकते हैं यही अनुभव होता है. वाटसन के पास अनुभव है. उन्होंने अपने खेल से काफी मैच जिताएं हैं."
आईपीएल से पहले चेन्नई को बूढ़ों की टीम कहा जा रहा था. इस बारे में कभी ड्रेसिंग रूम में बात हुई? इस पर दीपक ने कहा, "इस तरह की बातें होती थीं. माही भाई कहते थे कि हमारी उम्र ज्यादा है तो हम सर्वश्रेष्ठ फील्डिंग टीम न बन सकें, लेकिन हम स्मार्ट बन सकते हैं. फील्डिंग में अतिरिक्त रन नहीं दें. बैकअप अच्छे से करें. हमें आसान कैच नहीं छोड़ने,आसान फील्डिंग नहीं छोड़नी है. उनको पता है कि कैसे टीम को चलाना है."