देशभर में कोरोनावायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और फिलहाल इनमें कमी होती नहीं दिख रही है. दिल्ली में भी इस महामारी के केस 11 हजार के पार पहुंच चुके हैं. इस महामारी के साथ ही प्रवासी मजदूरों का मुद्दा भी गंभीर समस्या के तौर पर सामने आया है. दिल्ली में भी दूसरे राज्यों के कई प्रवासी मजदूर हैं, जिन्हें उनके गृह राज्य भेजने से पहले कई जगहों पर क्वारंटीन किया गया. इन्हीं में से एक है दिल्ली का प्रसिद्ध क्रिकेट स्टेडियम- अरुण जेटली स्टेडियम.
DDCA ने की थी पेशकश
कोरोना के कारण क्रिकेट पूरी तरह से बंद है और ऐसे में स्टेडियम पूरी तरह से खाली पड़े हुए हैं. इसको देखते हुए ही दिल्ली और जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) ने स्टेडियम को क्वारंटीन सेंटर के तौर पर इस्तेमाल करने की पेशकश की थी. दिल्ली सरकार ने आखिर इसका इस्तेमाल किया और अपने घर लौटने को तैयार कई प्रवासी मजदूरों को कुछ वक्त यहां ठहराया.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, तीन दिन तक फिरोज शाह कोटला स्टेडियम (पुराना नाम) में 2000-2500 के करीब प्रवासी मजदूरों को ठहराया गया था. यहां पर इनकी जांच और रहने का प्रबंध किया गया था. करीब 3 दिन तक ये प्रवासी यहां रहे और मंगलवार 19 मई को सभी अपने-अपने प्रदेशों के लिए निकल गए, जिसके बाद स्टेडियम को सैनिटाइज किया गया.
ड्रेसिंग रूम और मैदान बंद
हालांकि, डीडीसीए ने मैदान और स्टेडियम में खिलाड़ियों के लिए बने ड्रेसिंग रूम को पूरी तरह से बंद रखा और वहां किसी को नहीं ठहराया गया. डीडीसीए के संयुक्त सचिव राजन मनचंदा ने बताया कि स्टेडियम से जुड़े पूरे स्टाफ को पिछले 3 दिन तक तैयारियों और देखभाल में लगाया गया था.
उन्होंने बताया कि प्रशासन की ओर से डीडीसीए को सिर्फ 15 मिनट का नोटिस मिला, जिसके बाद कई बसों में भरकर प्रवासी कामगारों को स्टेडियम में लाया गया. मनचंदा ने बताया कि प्रशासन ने कहा है कि आने वाले दिनों में कई और लोगों को यहां लाया जा सकता है. इससे पहले मुंबई में भी प्रसिद्ध वानखेड़े स्टेडियम को भी क्वारंटीन फैसिलिटी के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए बीएमसी के हवाले किया जा चुका है.
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