क्रिकेट की खातिर गाड़ी बेची-देश छोड़ा, अब न्यूजीलैंड में मचाया धमाल और जीता अवॉर्ड
साउथ अफ्रीका के रहने वाले डेवन कॉनवे 26 साल की उम्र में देश छोड़कर न्यूजीलैंड चले गए. अब न्यूजीलैंड में वो उन्हें साल का सर्वश्रेष्ठ घरेलू क्रिकेटर चुना गया.
भारत समेत दुनिया के कई देश में कई ऐसे क्रिकेटर हैं, जो अपनी पहचान बनाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाम हासिल करने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं. इनमें से कुछ उस स्तर तक पहुंच जाते हैं और कुछ नहीं. ऐसा ही एक नाम है डेवन कॉनवे का. साउथ अफ्रीका के इस क्रिकेटर ने खुद को स्थापित करने के लिए अपना घर, गाड़ी और यहां तक कि अपना देश भी छोड़ दिया.
कॉनवे को बीते हफ्ते न्यूजीलैंड के सर्वश्रेष्ठ घरेलू क्रिकेटर के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. साउथ अफ्रीका में जन्मे, पले-बढ़े और क्रिकेटर के तौर पर शुरुआत करने वाले कॉनवे 3 साल पहले अपना देश छोड़ा और भविष्य़ को बेहतर करने की उम्मीद के साथ वो न्यूजीलैंड पहुंच गए.
साउथ अफ्रीका में जड़ा शतक, फिर छोड़ा देश
कॉनवे 3 साल पहले तक अपनी घरेलू टीम गॉटेंग के लिए खेल रहे थे और वहां उन्होने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अपना पहला शतक लगाया, लेकिन इससे भी उनकी किस्मत नहीं बदली. टीम में जगह पक्की नहीं रही और ये अपने देश में उनकी आखिरी पारी साबित हुई.
ईएसपीएन क्रिकइंफो को दिए इंटरव्यू में कॉनवे ने बताया, “मैं अपनी पार्टनर किम के साथ गोल्फ खेल रहा था और मैंने उससे कहा- मुझे नहीं लगता यहां मेरा खेल आगे बढ़ पाएगा और मैं न्यूजीलैंड जाने की सोच रहा हूं.” उन्होंने बताया की उनकी गर्लफ्रेंड इससे राजी थीं.
26 साल की उम्र में कॉनवे अपनी प्रॉपर्टी, घर, गाड़ी छोड़कर न्यूजीलैंड पहुंच गए. अपना क्रिकेट का सपना पूरा करने के लिए वो न्यूजीलैंड के सबसे प्रसिद्ध शहरों में से एक वेलिंग्टन पहुंचे.
वेलिंग्टन में बदली किस्मत, लगाया रनों का अंबार
कॉनवे ने जल्द ही वेलिंग्टन की टीम के लिए घरेलू क्रिकेट में तीनों फॉर्मेट में खेलना शुरू किया और यहां से उनकी किस्मत बदलती गई. अब वो टीम का नियमित हिस्सा हैं. 2019-20 सीजन में वेलिंग्टन फायरबर्ड्स के लिए खेलते हुए न्यूजीलैंड के तीनों घरेलू टूर्नामेंट में कॉनवे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बने.
अपने 17 फर्स्ट क्लास मैचों में उन्होंने 72.63 की औसत से 1,598 रन बनाए, जिनमें 4 शतक शामिल हैं. उनकी बेहतरीन बल्लेबाजी की मदद से फायरबर्ड्स ने 2003-04 के बाद पहली बार फर्स्ट क्लास टूर्नामेंट प्लंकेट शील्ड का खिताब जीता. कॉनवे के इसी प्रदर्शन के कारण उन्हें हाल ही में न्यूजीलैंड क्रिकेट के अवॉर्ड समारोह में डॉमेस्टिक प्लेयर ऑफ द ईयर का मेडल मिला.
विराट, डिविलियर्स जैसे दिग्गजों से ली सीख
सबसे खास बात ये है कि 3 साल से न्यूजीलैंड में रह रहे कॉनवे अब राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने की पात्रता हासिल कर चुके हैं और माना जा रहा है कि जब भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत होगी, तो उन्हें ब्लैककैप्स टीम में शामिल किया जा सकता है.
कॉनवे ने साथ ही बताया है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के दिग्गज स्टार विराट कोहली, एबी डिविलियर्स और जो रूट जैसे बल्लेबाजों से वो काफी प्रभावित हैं और इनकी बैटिंग देखकर इन्होंने काफी कुछ सीखा. वो बताते हैं कि उनके जैसी तकनीक हासिल करने की कोशिश में उन्हें अपनी फॉर्म से समझौता करना पड़ा, लेकिन उन्होंने खुद पर भरोसा रखा और जल्द ही खुद को स्थापित कर दिया.
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