मर्जी नहीं 'मजबूर' होकर छोड़ी धोनी ने टीम इंडिया की कप्तानी!
नए साल की शुरूआत में ही टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तान एमएस धोनी ने वनडे और टी20 की कप्तानी छोड़ने का फैसला लिया.
नई दिल्ली: नए साल की शुरूआत में ही टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तान एमएस धोनी ने वनडे और टी20 की कप्तानी छोड़ने का फैसला लिया. लेकिन खबरों के मुताबिक भारतीय क्रिकेट टीम को 2 विश्वकप दिलाने वाले इस कप्तान ने कप्तानी छोड़ी नहीं बल्कि छुड़वाई गई. समाचार पत्र हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक सूत्रों के हवाले से ये खबर सामने आई है कि बोर्ड ने धोनी की जगह विराट कोहली की वनडे और टी20 में ताजपोशी करने के लिए धोनी को अपना पद छोड़ने के लिए कहा.
4 जनवरी को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने एक स्टेटमेंट जारी कर कहा कि भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल कप्तान एमएस धोनी अब वनडे और टी20 क्रिकेट में भारत की कप्तानी नहीं करेंगे जबकि वो भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बना रहेंगे.
हालांकि बीसीसीआई के एक सूत्र ने बताया कि 'धोनी ने कप्तानी छोड़ी नहीं बल्कि उन्हें ये फैसला लेने के लिए मजबूर किया गया.' सलेक्शन कमेटी के चेयरमैन एमएसके प्रसाद ने टीम इंडिया के पूर्व कप्तान धोनी से झारखंड और गुजरात के बीच खेले जा रहे रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल में राजकोट में मुलाकात की और कप्तानी छोड़ने के फैसले पर बात की. जिसके बाद धोनी ने ये बड़ा फैसला ले लिया. इस बड़े फैसले के बाद एमएसके प्रसाद ने सामने आकर कहा, 'मैं धोनी को उनकी परफेक्ट टाइमिंग के लिए सेल्यूट करता हूं. धोनी जानते हैं कि विराट इस पद के लिए अब तैयार हैं जो कि टेस्ट में भी बतौर कप्तान शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं.'
सूत्रों के हवाले से ये बताया गया कि 'धोनी को कप्तानी से हटाने की ये प्रक्रिया चंद रोज़ पहले की नहीं बल्कि कई महीनों से चल रही थी. भारतीय क्रिकेट का नया रोडमैप बनाने की तैयारी सितंबर 21 को नई चयन समिति बनने के साथ ही शुरू हो गई. जिसका प्लान साल 2019 विश्वकप के लिए एक युवा कप्तान वाली भारतीय टीम तैयार करने की थी.'
ये बात धोनी को भी समझाई गई कि वो 2019 में 38 साल के हो जाएंगे तो क्यों ना कप्तानी टेस्ट में शानदार प्रदर्शन कर रहे विराट कोहली को सौंप दी जाए. इस बारे में एक बार फिर इंग्लैंड के खिलाफ विराट कोहली की शानदार कप्तानी के बाद रणजी ट्रॉफी के दौरान धोनी से की गई. जहां पर वो झारखंड टीम के साथ बतौर मेंटर मौजूद रहे.
जिसके बाद धोनी ने तुरंत फैसला लिया और साल की शुरूआत में उन्होंने कप्तानी छोड़ टीम में बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया.
समाचार पत्र 'टीओआई' में छपी खबर के मुताबिक बिहार क्रिकेट एसोसिशन के सेक्रेटरी आदित्य वर्मा ने भी ये दावा किया था कि धोनी ने दबाव के चलते कप्तानी से हटने का फैसला लिया. आदित्य वर्मा ने बताया कि 'दुखी कैप्टन कूल ने तब कप्तानी त्यागने का फैसला लिया जब उनसे बीसीसीआई ने भविष्य में अपने क्रिकेट प्लान के बारे में पूछा.'
इन तमाम खबरों से ये साफ लग रहा है कि जितनी आसानी से सीधे-सीधे बिना किसी सुगबुगाहट के कप्तान धोनी ने कप्तानी छोड़ दी मामला उतना सीधा नज़र नहीं आता.
हालांकि विराट ने धोनी के कप्तानी छोड़ने के बाद बतौर वनडे-टी20 कप्तान अपने पहले इंटरव्यू में कहा, 'मैं खुश हूं कि धोनी के सुझाव और उनके क्रिकेटिंग दिमाग से हमें मदद मिलेगी, साथ ही अब वो फ्री होकर अपना गेम खेल सकेंगे. मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि वो क्रिकेट को एंजॉय करें क्योंकि उन्होंने देश की सेवा में बहुत दवाब झेल लिया है.'
कप्तान धोनी ने भारतीय क्रिकेट टीम को 2007 में टी20 और 2011 में फिफ्टी ओवर क्रिकेट में विश्व चैंपियन बनाया. धोनी की अगुआई में भारत पहली बार टेस्ट में नंबर-1 की कुर्सी पर काबिज़ हुआ.
एकदिवसीय में धोनी ने कुल 199 मैचों में टीम का नेतृत्व किया. दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर माने जाने वाले धोनी ने टीम को कप्तान रहते कुल 110 मैचों में जीत दिलाई जबकि 74 मुकाबलों में उन्हें हार मिली. चार मुकाबले टाई और 11 मैचों का कोई परिणाम नहीं निकला. कप्तान रहते हुए एक बल्लेबाज के तौर पर भी धोनी कामयाब रहे. उन्होंने कप्तान रहते एकदिवसीय में 54 का औसत और 86 के स्ट्राइक रेट से 6,683 रन बनाए.