भारत ने आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप 2019 का अपना पहला मैच 5 जून को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला जहां टीम ने शानदार जीत दर्ज की. लेकिन इस दौरान एमएस धोनी के साथ कुछ ऐसा हुआ जो अभी तक सुर्खियों में हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं विकेटकीपर बैट्स्मैन एमएस धोनी के ग्लव्स की. दरअसल धोनी ने इस मैच में जो ग्लव्स पहना था वो हेरे रंग का था लेकिन उस गल्व्स के सामने की तरफ पैरा मिलिट्री का बलिदान लोगो भी था. लेकिन मैच के दौरान ऐसा कुछ नहीं हुआ. मैच के दो दिन बाद ये विवाद सामने आ गया कि धोनी अपने विकेटकीपिंग ग्लव्स पर बलिदान लोगो का इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि ये आईसीसी के नियमों के खिलाफ है. तो चलिए जानते हैं कि अभी तक इस मामले में क्या क्या हुआ और कैसे इस पूरे मामले ने तूल पकड़ी.


कहां से हुई शुरूआत


दरअसल 37 साल के धोनी ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एक बल्लेबाज को स्टंप आउट किया और फिर उनका ग्लव्स कैमरे में कैद हो गया. खैर उस समय तो किसी की उसपर नजर नहीं गई लेकिन बाद में इसपर विवाद खड़ा होने लगा. ये बलिदान लोगो/ चिह्न् सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा. और ये कहा जाने लगा कि ये सिर्फ पैरा कमांडो वाले ही पहन सकते हैं और क्रिकेट में इसकी अनुमति नहीं है. बता दें कि धोनी को भारतीय सेना साल 2011 में लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक से सम्मानिक कर चुकी है. इसके बाद साल 2018 में वो अपनी वर्दी में पद्म भूषण अवार्ड भी राष्ट्रपति से ले चुके हैं.


ICC का BCCI से अपील करना


इसके बाद तुरंत आईसीसी ने इस मामले में बीसीआई से अपील कि और ग्लव्स पर बने लोगों को जल्द से जल्द हटाने को कहा. ईसीसी के महाप्रबंधक, रणनीति समन्व्य, क्लेयर फरलोंग ने कहा, "हमने बीसीसीआई से इस चिन्ह को हटवाने की अपील की है." धोनी के दस्तानों पर 'बलिदान ब्रिगेड' का चिन्ह है. सिर्फ पैरामिलिट्री कमांडो को ही यह चिन्ह धारण करने का अधिकार है. आईसीसी के नियम के मुताबिक, "आईसीसी के कपड़ों या अन्य चीजों पर अंतर्राष्ट्रीय मैच के दौरान राजनीति, धर्म या नस्लभेदी जैसी चीजों का संदेश नहीं होना चाहिए."


BCCI ने धोनी का दिया साथ


इसके बाद धोनी का साथ देते हुए शासकों की समिति (सीओए) प्रमुख विनोद राय ने कहा कि महेंद्र सिंह धोनी विकेटकीपिंग ग्लव्स पर कृपाण वाले चिन्ह को लगाना जारी रख सकते हैं क्योंकि यह सेना से जुड़ा नहीं है. उन्होंने इसके साथ ही कहा कि बीसीसीआई ने इसको लेकर आईसीसी से मंजूरी देने के लिये कहा है. राय ने आगे कहा, बीसीसीआई पहले ही मंजूरी के लिये आईसीसी को औपचारिक अनुरोध कर चुका है. आईसीसी के नियमों के अनुसार खिलाड़ी कोई व्यावसायिक, धार्मिक या सेना का लोगो नहीं लगा सकता है. हम सभी जानते हैं कि इस मामले में व्यावसायिक या धार्मिक जैसा कोई मामला नहीं है.


विनोद राय ने कहा, ''आईसीसी के नियमों के मुताबिक कोई भी खिलाड़ी किसी तरह का धार्मिक बिल्ला, सेना का चिन्ह या फिर कमर्शियल किसी चिन्ह का इस्तेमाल नहीं कर सकता. इस केस के अंदर धोनी ने जिस चिन्ह का इस्तेमाल किया वो इनमें से किसी का भी नहीं था. इसलिए हम आईसीसी से ये कहने जा रहे हैं कि ये नहीं हटाया जाएगा.''


इसके आगे विनोद राय ने कहा, ''लेकिन अगर किसी केस में वो ऐसा महसूस करते हैं तो हम आईसीसी से इसके लिए परमिशन लेंगे. जैसा कि हमने पहले सेना की टोपी के इस्तेमाल के वक्त किया था. क्योंकि हम आईसीसी के नियमों का सम्मान करते हैं और अगर आईसीसी ने ऐसे कुछ मानदंड बनाएं हैं तो हम उनके साथ जाएंगे.''


ICC ने BCCI की अपील को किया खारिज


आईसीसी ने कहा कि ''धोनी को 'बलिदान बैज वाले' ग्लव्स पहनने की इजाजत नहीं है. हमारा नियम लोगो लगाने की इजाजत नहीं देता.'' ICC ईवेंट के नियम किसी भी व्यक्तिगत संदेश या लोगो को कपड़ों या उपकरणों पर लगाने अनुमति नहीं देते हैं. इसके साथ ही लोगो विकेटकीपर दस्ताने से जुड़े नियमों को खिलाफ है.


क्या कहता है ICC का नियम


आईसीसी के नियमों के तहत किसी भी अंतरराष्ट्रीय मैच (International Match) के दौरान कपड़ों या क्रिकेट से जुड़ी अन्य चीजों पर राजनीति (Politics), धर्म (Religion) या नस्लभेदी (Racism) बातों को बढ़ावा देता संदेश नहीं होना चाहिए. साथ ही निजी मैसेज (Personnal Message) देते प्रतीक को नहीं धारण किया जा सकता है. इसमें कॉमर्शियल ब्रांड को दिखाते टैटू तक शामिल हैं. आईसीसी के नियम कहते हैं किसी भी देश के क्रिकेट खिलाड़ी अपनी पोशाक और क्रिकेट से जुड़े अन्य साज-ओ-सामान पर कॉमर्शियल लोगो का इस्तेमाल अपने देश के क्रिकेट बोर्ड (Cricket Board) की मंजूरी के साथ कर सकते हैं. इस कड़ी में धोनी ने बीसीसीआई या आईसीसी से किसी किस्म की पूर्व अनुमति नहीं ली थी.


क्या होता है बलिदान बैज


भारतीय सेना के प्रशिक्षित पैरा कमांडो ही 'बलिदान' बैज का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसे धारण करने की योग्यता भी आसानी से नहीं मिलती है. इसे पहनने की योग्‍यता हासिल करने के लिए कमांडो को पैराशूट रेजीमेंट के हवाई जंप के नियमों पर खरा उतरना पड़ता है. गौरतलब है कि अगस्‍त 2015 में धोनी ने आगरा में पांच बार छलांग लगाकर 'बलिदान' बैज को पहनने की योग्‍यता हासिल की थी. तब धोनी 1,250 फीट की ऊंचाई से कूद गए थे और एक मिनट से भी कम समय में मालपुरा ड्रॉपिंग जोन के पास सफलतापूर्वक उतरे थे. धोनी ने उस समय कहा था कि वह सेना में अधिकारी बनना चाहते थे, लेकिन किस्मत ने उन्हें क्रिकेटर बना दिया.