9 में से 6 मैच जीतकर चेन्नई की टीम प्वाइंट टेबल में दूसरे नंबर पर है. कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ गुरूवार की हार से कोई बड़ा उलटफेर नहीं होने जा रहा है. बावजूद इसके धोनी के लिए कुछ बातें चिंता पैदा कर रही हैं. कोलकाता के खिलाफ मैच में शेन वॉटसन का स्ट्राइक रेट 144 का था. ड्यूप्लेसी ने 180, रैना ने 120, रायडू ने 124 और खुद कप्तान धोनी ने 172 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए.
इकलौते बल्लेबाज रवींद्र जडेजा हैं जो 12 गेंद पर 12 रन बनाकर आउट हो गए. परेशानी उनके 12 गेंद पर 12 रन बनाने या उनके सौ के स्ट्राइक रेट से नहीं है. परेशानी इस बात से है कि इस सीजन में रवींद्र जडेजा बेरंग नजर आ रहे हैं. ना उनका बल्ला चल रहा है. ना ही गेंदबाजी में वो कमाल दिखा रहे हैं. मुसीबत इस बात की है कि अब उनकी फील्डिंग भी बीच बीच में सुस्त और लचर दिखती है.
कोलकाता के खिलाफ मैच में उन्होंने सुनील नरेन का कैच दो बार टपकाया, जो बाद में हार की वजह बना. क्रिस लिन के जल्दी आउट होने के बाद अगर सुनील नरेन भी जल्दी आउट हो गए होते तो कोलकाता की टीम पर दबाव बढ़ जाता लेकिन जडेजा की वजह से चेन्नई की टीम ने ये मौका गंवा दिया. रवींद्र जडेजा जिस तरह के फील्डर हैं उनसे एक के बाद एक कैच का छूटना हर किसी को हैरान करता है.
बल्ले और गेंद से भी मिली है नाकामी
रवींद्र जडेजा आईपीएल की वजह से शोहरत बटोरने वाले खिलाड़ी हैं. आईपीएल ने ही उन्हें इस दर्जे तक पहुंचाया है. लेकिन इस सीजन में वो अब तक ‘क्लिक’ नहीं हुए हैं. अब तक खेले गए 9 मैचों की 8 पारियों में रवींद्र जडेजा ने सिर्फ 59 रन बनाए हैं. उनका औसत सिर्फ 16 रनों का है. उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 19 रन है और स्ट्राइक रेट 115.68 इस सीजन में उनके बल्ले से सिर्फ 3 चौके और 2 छक्के निकले हैं.
गेंदबाजी में भी उन्होंने टीम को कुछ भी ‘कॉन्ट्रीब्यूट’ नहीं किया है. अब तक वो सिर्फ 3 विकेट ले पाए हैं. उन्होंने प्रति ओवर साढ़े आठ से थोड़े ज्यादा रन दिए हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि रवींद्र जडेजा अभी तक इस सीजन में अपनी साख पर खरे नहीं उतरे हैं.
रवींद्र जडेजा टीम के सीनियर खिलाड़ी हैं. अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भी अब उन्हें करीब एक दशक का वक्त हो चला है. आईपीएल के मैचों की उठापटक से वो वाकिफ हैं. उन्हें इस बात का भी अंदाजा अच्छी तरह से है कि यहां ‘वैल्यू फॉर मनी’ का खेल है. किसी भी खिलाड़ी की कीमत का सीधा प्रदर्शन उसकी फॉर्म से है. अच्छे से अच्छा खिलाड़ी एक सीजन में फ्लॉप हो जाए तो अगली बार उसकी बोली लगाने से लोग घबराते हैं. जाहिर है जडेजा को ये बातें भीतर भीतर परेशान कर रही होंगी. उन्हें नाकामी के डर से बाहर निकलना होगा.
धोनी के चहेते रहे हैं रवींद्र जडेजा
रवींद्र जडेजा चेन्नई सुपरकिंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के चहेते खिलाड़ियों में से एक हैं. अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में जडेजा ने अपने वनडे और टेस्ट करियर की शुरूआत महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में ही की थी. धोनी अपनी कप्तानी में यंगिस्तान के हिमायती थे. उन्हें हमेशा से ऐसे खिलाड़ी पसंद आते थे जो फील्डिंग में चौकन्ने रहते हों. जडेजा इसमें माहिर थे. इसीलिए धोनी की कप्तानी में वो वनडे टीम का नियमित हिस्सा रहे. उनकी गेंदबाजी में काफी निखार आया था.
धोनी ने अपनी कप्तानी में छोटे शहर के खिलाड़ियों को हमेशा आगे बढ़ाया. उन्हें ‘एक्सपोजर’ दिया. इस लिहाज से भी जडेजा को धोनी का साथ मिला. फिर समय बदला, धोनी ने कप्तानी छोड़ दी. विराट कोहली की कप्तानी में जडेजा कुछ खास नहीं कर पाए. लंबे समय से वो वनडे टीम से बाहर हैं. टेस्ट में उन्हें मौका जरूर मिला है लेकिन वनडे में कुलदीप यादव और यजुवेंद्र चहल के रहते उनकी वापसी के आसार भी कम ही दिख रहे हैं. टी-20 में अच्छा प्रदर्शन करके उनके पास वनडे टीम में वापसी के दरवाजे को खटखटाने का मौका था. लेकिन वो मौका वो हर मैच के साथ हाथ से गंवा रहे हैं.