Disabled Cricketer Raja Babu Sharma: राजा बाबू शर्मा गाजियाबाद की सड़कों पर अपना ई-रिक्शा चलाते हैं. दरअसल, राजा बाबू शर्मा विकलांग क्रिकेटर हैं, लेकिन प्रायोजकों की कमी के कारण कोविड महामारी के दौरान उत्तर प्रदेश विकलांग क्रिकेट संघ को भंग कर दिया गया. जिसके बाद राजा बाबू शर्मा गाजियाबाद की सड़कों पर अपना ई-रिक्शा चलाकर गुजारा कर रहे हैं. इस खिलाड़ी के बारे में कहा जाता है कि वह बचपन से शानदार क्रिकेटर रहे हैं, लेकिन ट्रेन एक्सीडेंट में इस प्रतिभाशाली क्रिकेटर ने अपना एक पैर खो दिया. उस वक्त इस खिलाड़ी की उम्र महज 7 साल थी. उन्होंने एबीपी लाइव के साथ खास बातचीत में क्रिकेट के प्रति अपने प्यार और जिंदगी के संघर्षों के बारे में बात किया.


'मुश्किल हालात में परिवार के लोगों ने साथ दिया'


एबीपी लाइव के साथ खास बातचीत में राजा बाबू शर्मा ने बताया कि उस ट्रेन एक्सीडेंट के बाद कैसे परिवार के लोगों ने साथ दिया, जिससे उनकी जिंदगी बदल गई. उन्होंने कहा कि "वो कहते हैं ना किसको बनाने में परिवार का बहुत बड़ा हाथ होता है, जब मैं कठिन समय से गुजर रहा था, जब मैं छोटा था, मेरी माँ ने मेरा ख्याल रखा. वह कहते हैं कि उस वक्त सब मेरे पर तरस खाते थे, क्योंकि हादसे में मैंने अपना एक पैर खो दिया था, लेकिन मां कहती थी कि उसके बेटे ने केवल एक पैर खोया था, लेकिन वह जिंदा है यह ज्यादा अहम है.


कानपुर साउथ प्रीमियर लीग टूर्नामेंट के ब्रांड एंबेसडर बने


उत्तर प्रदेश के चौक गांव के कालपी ग्राम के रहने वाले राजा बाबू शर्मा ने ट्रेन दुर्घटना के बाद गली क्रिकेट खेलना शुरू किया. इसके बाद उन्होंने कानपुर की टीम में अपनी जगह बनाई. उस वक्त वह नियमित तौर पर खेल रहे थे. दरअसल, अपनी शॉट खेलने की शानदार काबिलियत के कारण वह मशहूर हो गए. स्थानीय अखबारों ने इस खिलाड़ी के बारे में लिखना शुरू कर दिया. साल 2011 में कानपुर क्रिकेट एसोसिएशन ने कानपुर साउथ प्रीमियर लीग का आयोजन किया. जहां राजा बाबू भी ट्रॉयल देने गए और अच्छा किया, लेकिन आईसीसी के नियमों ने उन्हें रनर नहीं बनने दिया और इसलिए वह नहीं खेल सके. हालांकि, आयोजकों ने उन्हें टूर्नामेंट का ब्रांड एंबेसडर बनाया था.


साल 2015 में उत्तर प्रदेश सरकार ने किया सम्मानित


राजा बाबू शर्मा को विकलांगों के लिए क्रिकेट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, क्योंकि वह इस वक्त तक नियमित क्रिकेट खेल रहे थे. दरअसल, साल 2013 में राजा बाबू शर्मा मेरठ के अमित शर्मा से मिले, जो उस वक्त उत्तर प्रदेश विकलांग क्रिकेट संघ के अध्यक्ष थे. इसके बाद राजा बाबू शर्मा के लिए हालात बदलने लगे. राजा बाबू शर्मा ने पहले टीम में जगह बनाई, फिर टीम के कप्तान बने. राजा बाबू शर्मा कहते हैं कि 3 दिसंबर 2015 को मुझे लखनऊ में विकलांग क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित किया गया. इसके अलावा अहमदाबाद में सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर का पुरस्कार भी मिला. वहीं, साल 2017 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मुझे सम्मानित किया.


ई-रिक्शा की बदौलत चल रहा है परिवार


तकरीबन 6 सालों तक क्रिकेट खेलने के बाद प्रायोजकों की कमी के कारण टीम को भंग कर दिया गया. क्रिकेट खेलना जारी रख सकें, इस कारण राजा बाबू शर्मा ने एक ढाबा खोला. वहां राजा बाबू शर्मा के साथ उनके जैसे कई और खिलाड़ी शामिल हुए. बहरहाल, साल 2018 में नोएडा के एक व्यवसायी एसपी चौधरी ने राजा बाबू शर्मा के बारे में जाना, जिसके बाद उन्होंने राजा बाबू शर्मा को एक ई-रिक्शा उपहार में दिया. अब यह ई-रिक्शा उनकी आय का मुख्य स्रोत है. राजा बाबू शर्मा इस ई-रिक्शा की बदौलत मौजूदा वक्त में अपनी पत्नी समेत 2 बच्चों का पालन-पोषण कर रहे हैं.


मध्य प्रदेश व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के लिए खेलते हैं राजा


राजा बाबू शर्मा कहते हैं कि दोस्तों और साथी खिलाड़ियों द्वारा प्यार से 'प्राणनाथ' कहा जाता था, क्योंकि वह अपनी शानदार बल्लेबाजी से गेंदबाजों के खिलाफ आसानी से रन बनाने में सक्षम थे. बहरहाल, अब राजा मध्य प्रदेश व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के लिए व्हीलचेयर क्रिकेट खेलते हैं. वह कहते हैं कि हमारी टीम काफी मजबूत है, हमने कई बार प्रतिष्ठित माधवराव सिंधिया टूर्नामेंट जीता है. उन्होंने कहा कि आगामी टूर्नामेंट के लिए कड़ी मेहनत कर रहा हूं. वह आगे कहते हैं कि मैंने इस टूर्नामेंट में शानदार क्रिकेट खेला है. राजा के मुताबिक, उन्होंने 15-20 मैचों में तकरीबन 120-130 छक्के लगाए हैं. इस दौरान स्ट्राइक रेट तकरीबन 225 का रहा है. पिछले दिनों राजा बाबू शर्मा ने टीएनएम अकादमी में केवल 21 गेंदों पर 72 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेली.


'लोगों को लगता है कि मुझे सरकार से बहुत पैसा मिला होगा, लेकिन...'


राजा बाबू शर्मा कहते हैं कि लोगों को लगता है कि मुझे सरकार से बहुत पैसा मिला होगा, लेकिन वास्तविकता उनकी कल्पना से बहुत दूर है. ईमानदारी से कहूं तो री आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर है कि मेरे पास एक ठीक-ठाक क्रिकेट बैट तक नहीं है. वह आगे कहते हैं कि मेरे ई-रिक्शा को ठीक करवाने में कुछ पैसे लगेंगे, लेकिन इस वक्त मेरे पास इतने भी पैसे नहीं हैं. हालांकि, राजा बाबू शर्मा को उम्मीद है कि वह अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत हालात बदलने में जरूर कामयाब होंगे. गौरतलब है कि बीसीसीआई ने विकलांग क्रिकेट खेलने वाले लोगों को मान्यता दी है. साथ ही विकलांग क्रिकेट के लिए अलग अलग बोर्ड बनाया है, जिसे डीसीसीआई (डिफरेंटली-एबल्ड क्रिकेट काउंसिल ऑफ इंडिया) कहा जाता है. डिफरेंटली-एबल्ड क्रिकेट काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ महंतेश जीके हैं. बहरहाल, उन्होंने राजा जैसे लोगों के बारे में डेटा एकत्र करने और पूरी प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए एक पंजीकरण प्रक्रिया शुरू कर दिया है.


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