DLS method All History: आईपीएल 2023 में चेन्नई सुपर किंग्स ने बाज़ी मारी. बारिश के चलते मैच में दर्शक और खिलाड़ियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. अंत में बारिश के चलते डकवर्थ लुईस नियम के तहत इस मैच का फैसला हुआ था. चेन्नई को 15 ओवर में 171 रन का टारगेट दिया गया था, जिसे हासिल कर धोनी की कप्तानी वाली CSK ने खिताब अपने नाम किया था. तो आइए जानते हैं कि आखिर DLS Method यानी डकवर्थ लुईस नियम किसने और कब बनाया था. 


आईपीएल 2023 फाइनल में गुजरात ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 20 ओवर में 4 विकेट पर 214 रन बोर्ड पर लगाए थे. फाइनल के बाद कई लोगों का ऐसा मानना था कि अगर डकवर्थ लुईस नियम ना होता यानी मैच पूरा होता, तो शायद चेन्नई चैंपियन नहीं बन पाती. 


कब और किसन बनाया था डकवर्थ लुईस नियम?


डकवर्थ लुईस नियम यानी DLS Method एक गणितीय गणना है, जिसका इस्तेमाल सीमित ओवरों के मैचों में बारिश या किसी और कारण से रुकावट के बाद टारगेट को सेट करने के लिए किया जाता है. इसका पूरा नाम ‘डकवर्थ लुईस स्टर्न प्रणाली’ (Duckworth–Lewis–Stern Method) है, जिसकी खोज दो ब्रिटिश संख्यिकीविदों ने की थी. इसमें एक का नाम फ्रैंक डरवर्थ और दूसरे का टोनी लुईस था. 


इस नियम को 1997 में पहली बार सामने रखा गया था और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल ने 1999 इसे आधिकारिक तौर पर अपना लिया था. अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में इस नियम को पहली बार 1997 में ज़िम्बाब्वे और इंग्लैंड के बीच खेले गए एक मैच में इस्तेमाल किया गया था. 


DLS Method से पहले चलते थे ये नियम


बता दें कि DLS Method से पहले क्रिकेट में एवरेज रन रेट मेथड का इस्तेमाल किया जाता था, जो कुछ खास कारगर नहीं था. इसके बाद 1991 में Most Productive Overs Method लाया गया गया, लेकिन पहले नियम यानी एवरेज रन रेट मेथड की तरह ये नियम भी कारगर नहीं हुआ. इसमें कई झोल देखने को मिले थे. इस तरह से DLS Method की शुरुआत हुई. हालांकि इस नियम को लेकर भी कई आलोचनाएं की जाती हैं. 


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