वरिष्ठ खेल पत्रकार, शिवेंद्र कुमार सिंह

भारतीय क्रिकेट के इतिहास में शायद पहली बार तेज गेंदबाजों को लेकर इतनी चर्चा हो रही है. हम भारतीयों को आदत पड़ी हुई थी कि हम वेस्टइंडीज, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के तेज गेंदबाजों को लेकर खौफ में रहें. इतिहास में ना भी जाएं तो पिछले दो दशक में कभी डेल स्टेन डराते थे तो कभी शोएब अख्तर या ब्रेट ली. इन गेंदबाजों की तुलना में भारतीय तेज गेंदबाजों का इतना खौफ कभी नहीं था.

पिछले करीब एक दशक में भारतीय क्रिकेट में कई नए तेज गेंदबाज आए लेकिन उनकी ‘कंसिसटेंसी’ बड़ी मुसीबत रही. एल बालाजी, आरपी सिंह, इरफान पठान, मुनाफ पटेल, वीआरवी सिंह, पंकज सिंह, सुदीप त्यागी जैसे कई और नाम हैं जो अब या तो मैदान के बाहर हैं या फिर सिर्फ आईपीएल में नजर आते हैं. इससे उलट पिछले कुछ समय में भुवनेश्वर कुमार, उमेश यादव और मोहम्मद शमी की तिगड़ी ने लगातार शानदार प्रदर्शन किया है.

इसमें चौथे गेंदबाज के तौर पर अनुभवी ईशांत शर्मा भी हैं. इन खिलाड़ियों के प्रदर्शन का ही नतीजा है कि भारतीय क्रिकेट के जिस ‘डिपार्टमेंट’ को हमेशा अपेक्षाकृत कमजोर माना गया है, उसे लेकर लोग बातें कर रहे हैं. उसकी तारीफ कर रहे हैं. चर्चा इस बात पर हो रही है कि क्या इस वक्त भारतीय तेज गेंदबाजों की टोली विश्व क्रिकेट में सबसे खतरनाक है?

वॉर्म-अप मैचों में चमके भारतीय तेज गेंदबाज

चैंपियंस ट्रॉफी के दोनों वॉर्म-अप मैचों में भारतीय तेज गेंदबाजों ने कमाल का प्रदर्शन किया है. न्यूज़ीलैंड के खिलाफ पहले वॉर्म-अप मैच में भारतीय तेज गेंदबाजों ने न्यूजीलैंड को 189 रन पर समेट दिया. न्यूजीलैंड की टीम सिर्फ 38.4 ओवर ही बल्लेबाजी कर पाई. भुवनेश्वर कुमार और मोहम्मद शमी ने न्यूजीलैंड के 3-3 बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाई. उमेश यादव के खाते में भी 1 विकेट आया.

भारत ने वो मैच डकवर्थ लुइस नियम के आधार पर 45 रन से जीता था. इसके बाद बांग्लादेश की टीम को भारत ने 240 रनों के बड़े अंतर से हराया. बांग्लादेश की पूरी टीम मैच के आधे यानि पच्चीस ओवर तक भी क्रीज पर नहीं टिक पाई. बांग्लादेश को 84 रन पर समेट देने में एक बार फिर तेज गेंदबाजों का ही रोल रहा. भुवनेश्वर कुमार और उमेश यादव ने 3-3 विकेट लिए. मोहम्मद शमी ने भी एक विकेट लिया.

लाइन लेंथ के साथ रफ्तार है सबसे बड़ा हथियार

भारतीय तेज गेंदबाजों की सबसे खास बात ये है कि हालिया समय में इन सभी गेंदबाजों ने 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के आस पास गेंदबाजी की है. कभी कभार इससे भी ज्यादा. पिछले तमाम सालों में ये पहला मौका है जब भारत के तेज गेंदबाज 140 किलोमीटर के आस पास की रफ्तार से गेंदबाजी कर रहे हैं. तेज रफ्तार से जब भुवनेश्वर, उमेश और शमी ‘शॉर्टलेंथ’ गेंद फेंक रहे हैं तो बल्लेबाजों को उनका इलाज नहीं समझ आ रहा है.

‘शॉर्टलेंथ’ छोड़ भी दी जाए तो ‘फुललेंथ’ और ‘गुडलेंथ’ पर स्विंग और सीम करती गेंदों का जवाब बल्लेबाजों को नहीं मिल रहा है. इससे पहले भारतीय तेज गेंदबाज 130-135 के आस पास गेंदबाजी किया करते थे. इस रफ्तार पर गेंदों का सामना करने में बल्लेबाजों को मुश्किल नहीं होती थी. उनके पास ‘पुल’ और ‘हुक’ जैसे शॉट्स खेलने की सहूलियत थी.

अपने तेज गेंदबाजों की रफ्तार देखकर विराट कोहली भी उसी रफ्तार से दिमाग चलाते हैं. वो अपने गेंदबाजों को बाउंड्री के डर से बाहर निकालकर सिर्फ रफ्तार के साथ लाइन लेंथ पर ‘फोकस’ करने की सोच पर लाए हैं. छोटे छोटे ‘स्पेल’ और जरूरत के मुताबिक ‘फील्ड प्लेसमेंट’ भी तेज गेंदबाजों की कामयाबी की वजह है.

उमेश यादव, मोहम्मद शमी और भुवनेश्वर कुमार ने विराट कोहली की कप्तानी में टेस्ट क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया है. विराट कोहली की कप्तानी में खेले गए टेस्ट मैचों में उमेश यादव के खाते में करीब 30 विकेट हैं, शमी के खाते में 40 विकेट हैं. वनडे क्रिकेट में टीम की कमान संभाले अभी विराट कोहली को ज्यादा वक्त नहीं हुआ है. उन्हें और उनके तेज गेंदबाजों को पता है कि फटाफट क्रिकेट में प्लान जल्दी जल्दी बदलने पड़ते हैं. ऐसे में उन्हें और मुस्तैद रहने की जरूरत है.

इन सारी रणनीतियों में अनिल कुंबले का भी रोल अहम है. गेंदबाज होने के नाते उन्हें गेंदबाजों के ‘कंसर्न’ अच्छी तरह मालूम हैं. टीम मैनेजमेंट की भी इस बार पर पैनी नजर है कि कब किस गेंदबाज को आराम देना है, जिससे उसे बेकार की चोट से बचाया जा सके.