Duckworth-Lewis Method: भारत-वेस्टइंडीज (IND vs WI) के बीच तीन मैचों की वनडे सीरीज का आखिरी मुकाबला का नतीजा डकवर्थ-लुईस पद्धति (Duckworth-Lewis Method) के सहारे निकला. इस मुकाबले में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 36 ओवर में 225 रन बनाए, तभी बारिश के कारण खेल रूका और भारतीय पारी वहीं समाप्त करनी पड़ी. इसके बाद डकवर्थ-लुईस नियम लगा और विंडीज को 35 ओवर में 257 रन का टारगेट मिला. विंडीज की टीम 26 ओवर में 137 रन ही बना सकी और मैच भारत ने 119 रन से जीत लिया.


डकवर्थ लुईस पद्धति हमेशा से क्रिकेट फैंस को चौंकाती रही है. इस नियम के तहत दिए जाने वाले लक्ष्य या नतीजों को अकसर आलोचना का भी शिकार होना पड़ा है. लेकिन वास्तव में इस पद्धति के अलावा अन्य कोई मैथेड बारिश या अन्य बाधा से रूके मुकाबलों में नतीजे देने में खरी नहीं उतर पाई है. ऐसे में यही पद्धति कई सालों से सीमित ओवर के क्रिकेट में बारिश या अन्य किसी रुकावट के बावजूद नतीजे देती रही है.


जब भी किसी कारण से मैच लंबे वक्त तक बाधित होता है तो फैंस के दिमाग में सवाल उठने लगते हैं कि अब अगर डकवर्थ-लुईस नियम लग गया तो क्या होगा. जब यह नियम लग जाता है और मैच में लक्ष्य संशोधित होते है या फैसले आते हैं तो भी फैंस हक्का-बक्का रह जाते हैं. हर किसी के मन में यह सवाल उठता है कि भला ये लक्ष्य कैसे दिया गया या फिर ये नतीजा क्यों आया? आइये आज हम आपको इस पद्धति के कैलकुलेशन की पूरी प्रोसेस समझाते हैं...


डकवर्थ-लुईस पद्धति में जिन दो चीजों के आधार पर गणना होती है, वह है- बचे हुए ओवर और बचे हुए विकेट. दरअसल, मैच के दौरान बल्लेबाज इन्हीं दोनों फैक्टर्स के आधार पर रन बनाने की गति धीमी या तेज करते हैं. इसलिए डकवर्थ-लुईस नियम में भी इन दोनों फैक्टर्स के आधार पर ही नतीजे दिए जाते हैं. डकवर्थ-लुईस पद्धति में इसके लिए एक टेबल है, जिसमें बचे हुए ओवर और विकटों के आधार पर एक टीम के पास कितने रिसोर्स शेष बचे हैं, उसकी वैल्यू उपलब्ध होती है.


जैसे- अगर एक टीम 27 ओवर खेल चुकी है और उसके 3 विकेट गिरे हैं और बारिश के कारण मैच रोक दिया गया है तो उसके पास 23 ओवर का खेल बाकी रहने और 7 विकेट शेष रहने के कारण 53.4 प्रतिशत रिसोर्स बचे रह जाएंगे. यानी वह अपने रिसोर्स का कुल 46.6% ही उपयोग कर पाई है. इसी तरह दूसरी टीम के भी रिसोर्स वैल्यू की गणना होती है. ये रिसोर्स वैल्यू एक सूत्र में रखी जाती है और लक्ष्य या नतीजे की गणना की जाती है. 


टीम-2 का लक्ष्य = टीम-1 का स्कोर * (टीम-2 द्वारा उपयोग किए गए रिसोर्स/टीम-1 द्वारा उपयोग किए गए रिसोर्स)


उदाहरण के लिए अगर एक टीम ने 50 ओवर पूरे खेलकर 270 रन बनाए और दूसरी टीम 30 ओवर में 4 विकेट खोकर 160 रन बना चुकी है और बारिश के कारण आगे मैच संभव नहीं हो सका है तो पहले दोनों टीमों के उपयोग किए गए रिसोर्स की गणना होगी. पहली टीम ने पूरे 50 ओवर खेले, ऐसे में उसने अपने 100% रिसोर्स उपयोग कर लिए लेकिन दूसरी टीम के 20 ओवर और 6 विकेट बाकी थे, इस हिसाब से उसके 55.4% रिसोर्स (डकवर्थ-लुईस पद्धति के लिए उपयोग की जाने वाली टेबल के आधार पर) ही उपयोग हो पाए. ऐसे में नतीजा यह होगा..


टीम-2 का लक्ष्य = 270 * (55.4/100)
टीम-2 का लक्ष्य = 150 रन


अब चूंकि टीम-2 पहले ही 160 रन बना चुकी है. ऐसे में उसे 10 रन से विजयी घोषित किया जाएगा.


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