इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज हारने के बाद भारतीय टीम पांचवें और अंतिम टेस्ट में दो बदलाव के साथ मैदान पर उतर सकती है. 38 मैचों की कप्तानी में हर बार टीम बदल कर उतरने वाले कप्तान विराट कोहली ने साथैंप्टन टेस्ट में पहली बार बिना बदली हुई टीम उतारी थी. कोहली की ये रणनीति फेल हुई थी और टीम को हार का सामना करना पड़ा था.
सीरीज गंवाने के बाद टीम चयन को लेकर कोहली की आलोचना हुई थी क्योंकि न तो हार्दिक पांड्या अपने चयन को सही साबित कर पाए और न ही आर अश्विन मोईन अली की तरह विकेट निकाल पाए.
द ओवल में होने वाले अंतिम टेस्ट की तैयारी के लिए जब टीम इंडिया मैदान पर उतरी तो बदलाव के संकेत साफ दिख रहे थे. हालाकि ये बदलाव टॉप ऑर्डर में नहीं बल्कि मिडिल ऑर्डर में हो सकते हैं. भारतीय चयनकर्ताओं ने आखिरी के दो टेस्ट के लिए दो बदलाव किए थे जिसमें पृथ्वी शॉ और हनुमा विहारी का नाम था. 18 साल के उभरते हुए खिलाड़ी पृथ्वी शॉ को सीरीज में फ्लॉप रहने वाले मुरली विजय की जगह शामिल किया गया था जबकि विहारी को कुलदीप यादव की जगह टीम में शामिल किया गया था.
फर्स्ट क्लास क्रिकेट में इस वक्त सबसे अधिक औसत वाले हनुमा विहारी को इसलिए भी टीम में शामिल किया गया था क्योंकि लॉर्ड्स टेस्ट में कोहली पीठ दर्द के कारण थोड़े असहज दिखे थे.
प्रैक्टिस सेशन के दौरान हनुमा विहारी को कोहली और अजिंक्य रहाणे के साथ बल्लेबाजी करते देखा गया. साथ ही बल्लेबाजी कोच संजय बांगड़ उन्हें जरूरी सलाह भी देते देखे गए. अगर हनुमा विहारी ओवल में डेब्यू करते हैं तो वो भारत के 292वें टेस्ट खिलाड़ी होंगे.
विहारी किसकी जगह टीम में आएंगे इस बात के संकेत प्रैक्टिस में मिलते दिखे. टीम के ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या ने नेट पर गेंदबाजी तो की लेकिन बल्लेबाजी करने सबसे अंत में आए जिससे ये साफ पता चलता है कि अंतिम टेस्ट में उनकी जगह नहीं बन रही है.
कोहली ने पांड्या को पांचवें गेंदबाज के तौर पर टीम में रखा लेकिन बतौर ऑलराउंडर अपनी छाप छोड़ने में असफल रहे हैं. साथैंप्टन में उनके प्रदर्शन के बाद तो दिग्गजों ने सवालों का बौछार कर दिया और पांड्या को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की.
दूसरी तरफ बदलाव के संकेत आर अश्विन से मिले. हिप इंज्री से परेशान अश्विन को लेकर टीम मैनेजमेंट की तरफ से चौथे टेस्ट से पहले यही कहा गया था कि वो फिट हैं लेकिन मैच में उनकी फिटनेस नहीं दिखी. इंग्लैंड की ओर से जहां मोईन अली ने 9 विकेट चटका दिए तो वहीं अश्विन बमुश्किल 3 विकेट ही हासिल कर पाए.
प्रैक्टिस के दौरान उन्हें जॉगिंग और स्ट्रेचिंग करते देखा गया जिसके बाद वो हाथ में गेंद को स्पिन कराते रहे, दूसरी तरफ रविन्द्र जडेजा ने जमकर गेंदबाजी और बल्लेबाजी का अभ्यास किया. अगर जडेजा को मौकाम मिलता है तो उनका इस सीरीज में पहला टेस्ट होगा.
संभव है कि भारत 7 सितंबर से शुरू होने वाले टेस्ट में चार गेंदबाजों के साथ ही उतरे.