भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच तीन मैचों की टेस्ट सीरीज़ की शुरुआत से पहले ही टीम इंडिया को अपने नंबर एक गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह के चोटिल होने से बड़ा झटका लगा. लेकिन इसके तुरंत बाद एक ऐसे खिलाड़ी की टीम इंडिया में लगभग एक साल बाद वापसी करवाई गई जिसने शायद ही कोई गलती की जिस वजह से वो टीम इंडिया से बाहर हो गया.


अब तक आप समझ गए होंगे कि हम विदर्भ के एक ऐसे खिलाड़ी की बात कर रहे हैं जो इस रीज़न से भारत में पहुंचने वाला पहला तेज़ गेंदबाज़ बना. यानि उमेश तिलक यादव की. उमेश यादव ने साल 2018 के अक्टूबर महीने के लगभग एक साल बाद भारतीय टीम में वापसी की है और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहली पारी में ही शुरुआती तीन विकेट झटककर उन्होंने बता दिया है कि अब वो इस मौके को लपकने के इरादे से टीम इंडिया में वापस आए हैं.

आइये जानें कैसा रहा है उमेश यादव का करियर

फिल्मी अंदाज़ वाली कहानी:
बिल्कुल फिल्मी कहानी, एक गरीब परिवार, जिसमें पिता एक कोयले की खान में काम करते हैं. एक वक्त पर उस घर का बेटा उमेश पुलिस में नौकरी करना चाहता था जिससे की वो अपने परिवार की मदद कर सके. लेकिन ये सपना, सपना ही रह गया क्योंकि उनके लिए नियती ने कुछ और ही लिखा था.

19 साल की उम्र में उमेश ने क्रिकेट का हाथ थामा और अपनी तेज़ रफ्तार गेंदबाज़ी से फिर पीछे पलटकर नहीं देखा.

उमेश ने विदर्भ टीम के लिए अपने करियर की शुरुआत की. उन्होंने साल 2008 में रणजी ट्रॉफी में अपने खेल से सबको प्रभावित किया. जब उन्होंने 14 के बेमिसाल औसत से 20 विकेट झटक लिए.

लेकिन डॉमेस्टिक क्रिकेट में 2 साल के कमाल के खेल के बाद ही उमेश को भारतीय टीम के लिए पहला मौका मिल गया. 140 से ऊपर की गति से लगातार गेंदबाज़ी ने उन्हें धोनी की टीम में जगह दिला दी.

अंतराष्ट्रीय शुरुआत:
उमेश को पहली बार ज़िम्बाबवे के खिलाफ 2010 के दौरे पर जगह मिली. इसके बाद उमेश की रफ्तार से प्रभावित होकर दिल्ली की टीम ने उन्होंने इस साल के सीज़न के लिए भी खरीद लिया.

इतना ही नहीं, उमेश पर धोनी का भरोसा इस कदर जमा कि उन्होंने फिर इस तेज़ रफ्तार स्टार को 2011 में ही वेस्टइंडीज़ के खिलाफ टेस्ट टीम में शामिल करवा दिया. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्हें टीम में जगह मिली. भारत ने ये टेस्ट सीरीज़ तो गंवाई लेकिन उमेश के प्रदर्शन ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया. उन्होंने उस सीरीज़ में अपने नाम 14 विकेट किए.

उस दौर में कमज़ोर दिख रहे भारतीय पेस उटैक को इससे नई जान भी मिली.

लेकिन 2012 में यादव चोटिल हुए जिसके बाद वो लगभग एक साल के लिए टीम से बाहर हो गए. इसके बाद साल 2013 की चैम्पियन ट्रॉफी की टीम में उमेश को फिर से मौका मिला. लेकिन इंग्लैंड में उनका लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाना उनके लिए मुसीबत बनता गया. वो लगातार टीम में बरकरार नहीं रह सके.

2015 विश्वकप में कमाल:
इसके बाद 2015 विश्वकप में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया-न्यूज़ीलैंड गई. इस विश्वकप में उमेश टीम का एक अहम हिस्सा रहे. ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर उन्होंने विरोधी बल्लेबाज़ों को अपनी गति और बाउंस से खासा परेशान किया. इस विश्वकप में वो भारत के सबसे सफल गेंदबाज़ रहे, उन्होंने कुल 18 विकेट अपने नाम किए.

2015 विश्वकप के बाद से उमेश यादव 2016 के आखिर में ऐसा टीम इंडिया में आए कि फिर 2017 में पूरे साल वो भारतीय टीम का हिस्सा बने रहे. 2018 में भी कप्तान कोहली ने उनपर अपना भरोसा बनाए रखा. लेकिन 2019 में उन्होंने इस सीरीज़ से पहले कोई मौका नहीं दिया गया.

अब एक बार फिर से जसप्रीत बुमराह की चोट उमेश के लिए एक जीवनदान की तरह आई है.

IPL के स्टार:
इसके बाद आईपीएल के सातवें सीज़न में उमेश को गौतम गंभीर की कोलकाता नाइट राइडर्स ने खरीद लिया. इसके बाद साल 2018 में विराट कोहली ने उमेश पर भरोसा जताया और अपनी आईपीएल टीम का हिस्सा बनाया.

इस दौरान विराट कोहली के हाथों में नेतृत्व आने के बाद भी उमेश, विराट की भी पसंद बने रहे और कभी अंदर-कभी बाहर होते रहे.