अफगानिस्तान में महिला क्रिकेट को सपोर्ट नहीं मिला और बैन कर दिया गया. क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने नवंबर में होबार्ट में अफगानिस्तान के खिलाफ खेले जाने वाले एकमात्र टेस्ट को रद्द करने के संकेत दिए हैं. ओपनिंग बैट्सवुमैन और ऑफ स्पिनर रहीं भारतीय महिला क्रिकेटर नेहा तंवर से एबीपी न्यूज ने एक्सक्लूसिव बातचीत की, जो भारतीय टीम की तरफ से वेस्टइंडीज, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के खिलाफ खेल चुकी हैं. वो कहती हैं कि ऑस्ट्रेलिया का उठाया गया कदम सराहनीय है और मैं इसका पूरा समर्थन करती हूं. अकेला ऑस्ट्रेलिया ही पूरी दुनिया में ऐसा देश है जो तालिबान के इस फैसले के खिलाफ खड़ा हुआ है. ऑस्ट्रेलिया इसलिए सभी स्पोर्ट्स में अच्छा माना जाता है क्योंकि वो समानता को बहुत महत्व देता है.


नेहा ने कहा कि ऐसा नहीं है कि T20 या वन-डे पर ही असर पड़ेगा. स्पोर्ट्स ऐसी जगह है जहां ना धर्म देखा जाता है ना महिला और पुरुष का भेद देखा जाता है. इसलिए हर बोर्ड की यह जिम्मेदारी बनती है कि वो ऑस्ट्रेलिया के इस कदम के समर्थन में खड़ा हो जिससे मानसिक दबाव तालिबान के विरुद्ध बनाया जा सके और वो इस कदम को वापस लेने पर मजबूर हो जाएं. लेकिन सिर्फ ऑस्ट्रेलिया के कदम से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, उसका साथ बाकी देश और आईसीसी देंगे तो जरूर दबाव पड़ सकता है. 


बीसीसीआई के जवाब पर प्रतिक्रिया


नेहा तंवर ने कहा कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के बयान पर बीसीसीआई ने कहा कि वो कंट्री फर्स्ट पॉलिसी में विश्वास रखती है  और अफ़ग़ानिस्तान के खिलाफ क्रिकेट खेलने या ना खेलने पर सरकार का फैसला जो भी होगा उसको ही मान्यता देते हुए आगे इस पर कोई फैसला लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि बीसीसीआई के इस बयान से ज्यादा क्लैरिटी नहीं आ पाई है. बीसीसीआई का अच्छा रुख रहा है क्रिकेट को लेकर और उन्होंने बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान के क्रिकेट बोर्ड को सपोर्ट भी किया है. अब बीसीसीआई को कोई अच्छा कदम लेना पड़ेगा.


अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को होगा इसका नुकसान


पूर्व क्रिकेटर नेहा तंवर कहती हैं कि किसी भी देश की प्रगति उसके स्पोर्ट्स पर निर्भर करती है. महिलाओं के लिए यही पाबंदियां रहीं तो वो आगे कैसे बढ़ पाएंगी? अफगानिस्तान का रेवेन्यू भी बहुत अच्छा नहीं है लेकिन स्पोर्ट्स से उनको काफी रेवेन्यू मिल जाता है. मेंस टीम भी बैन हो जाएगी तो काफी हद तक उनका रिव्यू रुक जाएगा. इसका बहुत असर उनकी अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है. नेहा आगे कहती हैं कि तालिबान ने महिलाओं का हक छीन लिया है, आज कल के ज़माने में कोई देश ऐसा करता है तो मन दुखी होता है. हमें इसके विरुद्ध जरूर कुछ करना चाहिए. 


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